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भाटपाररानी सीट : आजादी से अब तक नहीं खिल सका है कमल, दो दशक से उपाध्याय परिवार का कब्जा

Deoria News : आजादी के बाद से अब तक देवरिया की भाटपाररानी विधानसभा सीट (Bhatpar Rani Assembly constituency) पर जीत दर्ज नहीं कर पाने वाली भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janta Party) ने 7 बार चुनाव लड़ चुके नेता को यहां कमल खिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है। देखना है पार्टी का यह भरोसा मतदाताओं को कितना भाता है।

भारतीय जनता पार्टी ने भाटपार रानी विधानसभा सीट से सभाकुंवर कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है। जबकि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अपने मौजूदा विधायक आशुतोष उपाध्याय को फिर चुनावी अखाड़े में उतारा है। भाटपाररानी सीट कॉन्ग्रेस और समाजवादियों का गढ़ है। इस सीट पर पिछले दो दशक से लगातार समाजवादी पार्टी के ही उम्मीदवार जीते हैं।

राम मंदिर लहर में भी नहीं मिली जीत
साल 1952 में हुए चुनाव से वर्ष 2017 तक भारतीय जनता पार्टी एक बार भी भाटपाररानी विधानसभा सीट जीतने में कामयाब नहीं हुई है। बड़ी बात है कि राम मंदिर लहर और मोदी लहर के बावजूद यहां साइकिल की रफ्तार बनी रही। देवरिया के सभी विधानसभा सीटों पर यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के छठे चरण में 3 मार्च को मतदान होना है।

अब तक नहीं मिली है जीत
साल 2017 में मोदी लहर के चलते भाजपा ने जनपद की 7 में से 6 विधानसभा सीटों पर शानदार जीत दर्ज की। लेकिन भाटपार रानी में पार्टी को सफलता नहीं मिली। यहां से समाजवादी पार्टी के आशुतोष उपाध्याय चुनाव जीतने में कामयाब रहे। यह शायद गोरखपुर मंडल की एकमात्र सीट है, जहां से अब तक भाजपा का कोई उम्मीदवार नहीं जीत सका है।

सारे समीकरण साधे
हालांकि पार्टी ने तमाम सामाजिक, राजनीतिक समीकरण साधने की कोशिश की। उम्मीदवार बदले, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा। पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने यहां से सलेमपुर सांसद रविंद्र कुशवाहा के भाई जयनाथ कुशवाहा को टिकट दिया था। लेकिन वह आशुतोष से हार गए थे।

सभाकुंवर को मिली जिम्मेदारी
पार्टी ने सभाकुंवर कुशवाहा को यह जिम्मेदारी सौंपी है। उनके कंधों पर पार्टी को भाटपार रानी विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कराने का भार है। कुशवाहा अपने राजनीतिक करियर में अब तक एक बार लोकसभा और 6 बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। हर बार उन्हें हार मिली।

7 बार लड़े चुनाव
सभाकुंवर ने साल 1996 में भाटपार रानी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना पहला चुनाव लड़ा। इसके बाद साल 2002, 2007 में समता पार्टी और 2012 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी बने। 2013 के उपचुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोका।

लोकसभा का चुनाव लड़े
साल 2014 में कांग्रेस ने उन्हें देवरिया लोकसभा का चुनाव लड़ाया। मगर वे जीत दर्ज नहीं कर सके। साल 2017 में उन्होंने बसपा से फिर विधानसभा के चुनाव में हिस्सा लिया। अथक मेहनत और संघर्ष के बावजूद उन्हें हार मिली। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली। अब उन्हें भाजपा ने भाटपाररानी क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है।

उपाध्याय परिवार के पास है सीट
वहीं समाजवादी पार्टी ने अपने मौजूदा विधायक आशुतोष उपाध्याय को फिर प्रत्याशी बनाया है। सन 2002 के चुनाव से अब तक यह सीट उपाध्याय परिवार के पास है। आशुतोष उपाध्याय लगातार दूसरी बार भाटपाररानी से विधायक हैं। इनके पिता स्वर्गीय कामेश्वर उपाध्याय क्षेत्र के कई बार विधायक और मंत्री रहे। इलाके में उपाध्याय परिवार का अपना जनाधार है।

नतीजे तय करेंगे
दरअसल चुनाव दर चुनाव उपाध्याय परिवार का वोट प्रतिशत बढ़ता ही रहा है। जबकि विरोधी चारों खाने चित्त होते चले गए हैं। बहुजन समाज पार्टी ने यहां से जिला पंचायत सदस्य अजय कुशवाहा और कांग्रेस ने युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे केशव चंद्र यादव को चुनावी अखाड़े में उतारा है। देखना है, इस सीट पर सभाकुंवर कमल खिलाने में कामयाब रहते हैं। या फिर, उपाध्याय इस सीट से जीत का हैट्रिक लगाकर विपक्षियों को जवाब देंगे।

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