New Delhi : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) सांसदों, विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की सुनवाई और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) तथा अन्य एजेंसियों द्वारा जांच में तेजी लाने के अनुरोध वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। शीर्ष अदालत उस जनहित याचिका पर 15 अप्रैल के बाद सुनवाई करेगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता और न्याय मित्र विजय हंसारिया ने प्रधान न्यायाधीश (Chief Justice on India – CJI) एनवी रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ से याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत जताई। क्योंकि नेताओं के मुकदमों में तेजी से सुनवाई करने के आदेश के बावजूद पिछले पांच वर्षों से करीब 2,000 मामले लंबित हैं।
रिपोर्ट दाखिल की गई है
सुनवाई शुरू होने पर हंसारिया ने तत्काल अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि देश में सांसदों, विधायकों के खिलाफ मुकदमों के अटके रहने पर विस्तारपूर्वक 16वीं रिपोर्ट दाखिल की गयी है। इसके अनुसार, निचली अदालतों में कई आपराधिक मामले लंबित हैं। पीठ ने कहा, ‘‘बाहर वे वर्षों तक इंतजार कर सकते हैं। कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन जब आप उच्चतम न्यायालय आते हैं, तो यह (मामला) बेहद आवश्यक हो जाता है।’’
15 अप्रैल के बाद होगी
सीजेआई ने कहा, ‘‘यह जनहित याचिका है। हमने कुछ आदेश पारित किए हैं। उस पर काम चल रहा है। कृपया कुछ वक्त इंतजार करिए। समस्या यह है कि न्यायाधीशों को उपलब्ध होना होता है। अगर मैं इस मामले के लिए विशेष पीठ गठित करता हूं, तो इससे दो पीठों के कामकाज में बाधा आएगी। शुक्रवार को क्या मैं दो पीठों को थोड़ा वक्त देने के लिए कह सकता हूं?’’ न्याय मित्र के अनुरोध के बाद सीजेआई याचिका पर 15 अप्रैल के बाद सुनवाई के लिए राजी हो गए।
लिस्टिंग के लिए हुआ तैयार
इस बीच, पीठ ने कहा कि वह विभिन्न आधार पर सांसदों, विधायकों के खिलाफ मुकदमों की सुनवाई कर रहे कुछ विशेष न्यायाधीशों के ट्रांसफर का अनुरोध कर रहे कुछ उच्च न्यायालयों की अंतरिम अर्जी पर सुनवाई कर सकती है। इससे पहले पीठ 9 फरवरी को जनहित याचिका की सुनवाई के लिए तत्काल सूचीबद्ध करने पर विचार के लिए राजी हो गयी थी।
तुरंत जरूरत बताई
हंसारिया ने कहा था कि मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों और पार्षदों के खिलाफ लंबित मुकदमों की जानकारी देने वाली एक ताजा रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गयी है। लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए तत्काल एवं सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। उनकी इस दलील पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई के लिए तैयार हुआ था।