New Delhi : खरीफ विपणन सत्र 2022-23 (खरीफ फसल) के लिए धान की खरीद से देश के 1 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं। 1 मार्च, 2023 तक देश में लगभग 713 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई और 146960 करोड़ रुपये का न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान सीधे किसानों के खाते में स्थानांतरित कर दिया गया है।
खरीद की प्रक्रिया के निर्बाध संचालन के लिए सभी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। खरीदे गए धान के बदले चावल की आपूर्ति जारी है और 713 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद के बदले 01 मार्च 2023 तक केंद्रीय पूल में लगभग 246 लाख मीट्रिक टन चावल प्राप्त किया गया है। देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय पूल में वर्तमान में चावल का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध है।
वर्तमान खरीफ विपणन सत्र 2022-23 की खरीफ फसल के लिए, 766 लाख मीट्रिक टन धान (चावल के मामले में 514 लाख मीट्रिक टन) की खरीद का अनुमान लगाया गया है। वर्तमान खरीफ विपणन सत्र 2022-23 की रबी फसल के लिए, लगभग 158 लाख मीट्रिक टन धान (चावल के मामले में 106 लाख मीट्रिक टन) की मात्रा की खरीद का अनुमान लगाया गया है।
रबी फसल को शामिल करने के साथ, यह उम्मीद की जाती है कि पूरे खरीफ विपणन सत्र 2022-23 के दौरान लगभग 900 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा सकती है।
सभी राज्यों में गेहूं की फसल सामान्य
गेहूं की फसल की स्थिति की निगरानी के लिए कृषि और किसान कल्याण विभाग डीएएंडएफडब्ल्यू (DAADFW) द्वारा गठित समिति की एक बैठक हाल ही में आईसीएआर- भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल में आयोजित की गई थी। बैठक में आईएमडी, आईसीएआर, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू), प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ-साथ डीए एंड एफडब्ल्यू के अधिकारियों ने भाग लिया। गेहूं की फसल की स्थिति को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्यों द्वारा प्रस्तुत किया गया और विस्तार से चर्चा की गई, यह गेहूं के रकबे का 85 प्रतिशत से अधिक है।
समिति ने आकलन किया कि आज की तारीख में सभी प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल की स्थिति सामान्य है। आईसीएआर और एसएयू के गहन प्रयासों के कारण, बड़ी संख्या में टर्मिनल हीट स्ट्रेस सहिष्णु किस्मों को विकसित किया गया था और अब विशेष रूप से उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक के अनुमानित क्षेत्र में खेती की जा रही है। इसके अलावा, हरियाणा और पंजाब में लगभग 75 प्रतिशत क्षेत्र जल्दी और समय पर बुवाई की स्थिति में है और इसलिए, जल्दी बुवाई वाले फसल क्षेत्र मार्च के महीने में गर्मी की स्थिति से प्रभावित नहीं होंगे।
आईसीएआर-सीआरआईडीए, हैदराबाद में स्थित अखिल भारतीय समन्वित कृषि मौसम विज्ञान अनुसंधान परियोजना एआईसीआरपीएएम (MICRPAM) के सहयोग से आईएमडी जिला कृषि मौसम विज्ञान इकाइयों डीएएमयू (DAMU) के नेटवर्क के माध्यम से सप्ताह में दो बार मंगलवार और गुरुवार को कृषि सलाह जारी कर रहा है, यह संपूर्ण देश में केवीके का हिस्सा हैं। आईसीएआर- भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल उन किसानों को आवश्यक फसल विशिष्ट सलाह प्रदान करता है जो या तो केवीके से मोबाइल ऐप या राज्य कृषि विभागों के माध्यम से जुड़े हुए हैं।
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में, फसल की स्थिति की निगरानी के लिए फसल मौसम निगरानी समूह की बैठकें हर हफ्ते आयोजित की जाती हैं, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के संबंधित विभाग और मंत्रालय शामिल होते हैं।
यह भी निर्णय लिया गया कि आईसीएआर/एसएयू के साथ केंद्र और राज्य सरकारों की सभी विस्तार एजेंसियों को नियमित रूप से किसानों के खेतों का दौरा करना चाहिए और जहां भी गर्मी के प्रभाव की स्थिति होती है, वहां किसानों को समय पर परामर्श देना चाहिए।