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Farmers Protest : 25 मई को यमुना प्राधिकरण का घेराव करेंगे हजारों किसान, अफसरों की संपत्ति की जांच की उठी मांग

Greater Noida : शुक्रवार, 6 मई को किसान एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरन सिंह प्रधान के नेतृत्व में यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (Yamuna Expressway Industrial Development Authority) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) डॉ अरुणवीर सिंह को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा।

संगठन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रमेश कसाना ने बताया कि किसान एकता संघ के बैनर तले क्षेत्र के किसानों ने 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा, आबादी निस्तारण, विकसित भूखंड, किसानों की 33 साला व आबादियों को तोड़ने के विरोध में मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिखा है। अगर मांगे पूरी नहीं हुईं, तो 25 मई को क्षेत्र के किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर यमुना प्राधिकरण का घेराव कर तालाबंदी करेंगे। यमुना प्राधिकरण के चल रहे सभी विकास कार्यों को बंद कराया जाएगा।

ये लोग रहे मौजूद

अपनी मांगों को लेकर आज देशराज नागर, श्री कृष्ण बैसला, अखिलेश प्रधान, अरविंद सैकेटरी, देवेन्द्र जगनपुर, मनीष बीडीसी, अजीत नागर, दुर्गेश शर्मा आदि ज्ञापन देने पहुंचे थे।

ये हैं 7 प्रमुख मांगें –

1-किसानों का कहना है कि यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के 80% कृषकों को 64.7% प्रतिकर दिया जा चुका है। लेकिन 20 फीसदी किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है। इन सभी को तत्काल मुआवजा दिया जाए।

2-साथ ही 10% विकसित भूखंड बिना डेवलपमेंट चार्ज का सौंपा जाए।

3-किसान लंबे समय से आबादी, बैक लीज और शिफ्टिंग बिना विलंब किए जल्द से जल्द निस्तारित करने की मांग कर रहे हैं। साथ ही बिना वजह आबादी न तोड़ी जाए। खासतौर पर जब तक आबादी की समस्या का हल नहीं हो जाता।

4-किसान एकता संघ ने कहा है कि जबरन आबादी तोड़ने वाले अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर उनकी संपत्ति की जांच की जाए।

5-साथ ही प्रभावित किसानों को मूल मुआवजा जल्द से जल्द मिले।

6-इसके अलावा किसानों को 33 साला का लाभ दिया जाए।

7-संगठन ने कहा है कि घर के मुखिया की मृत्यु के बाद 10% विकसित भूखंडों का परिवार के सदस्यों के आधार पर अलग-अलग विभाजन हो। खातेदारों के नाम पर भी अलग-अलग विकसित भूखंड दिए जाएं।

किसान संगठन ने कहा है कि अगर किसानों की 7 सूत्रीय मांगों का जल्द से जल्द निस्तारण नहीं हुआ, तो हजारों की संख्या में किसान 25 मई को यमुना प्राधिकरण की तानाशाही के खिलाफ महापंचायत करेंगे। इसकी पूरी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

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