Gorakhpur News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे (Gorakhpur Link Expressway) का 49% काम पूरा कर लिया गया है। इस लिंक एक्सप्रेस वे के बनने के बाद दिल्ली से बंगाल तक पहुंचना सुविधाजनक हो जाएगा। क्योंकि यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर से अंबेडकर नगर, संत कबीर नगर और आजमगढ़ होते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होगा। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद यात्रा में 5 घंटे कम लगेंगे।
सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा
यह लिंक एक्सप्रेसवे लखनऊ- आगरा एक्सप्रेस वे (Lucknow-Agra Expreesway) से जुड़ जाएगा। इसी तरह यह एक्सप्रेसवे दिल्ली-लखनऊ की तरफ से आने वाले मुसाफिरों को गोरखपुर- सिलीगुड़ी ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Gorakhpur-Siliguri Greenfield Expressway) से जोड़ेगा। इससे दिल्ली से बंगाल तक की कनेक्टिविटी आसान हो जाएगी और करोड़ों लोगों को यात्रा में बड़ा लाभ मिलेगा।
वाराणसी से भी जोड़ा जाएगा
राज्य सरकार इस लिंक एक्सप्रेस वे को एक अन्य रूट से सांस्कृतिक ऐतिहासिक नगरी वाराणसी से भी जोड़ेगी। उसके लिए भी कार्य योजना तैयार की जा रही है। इस तरह गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे दिल्ली से बंगाल और बनारस तक की कनेक्टिविटी को सुगम कर देगा।
172 गांवों की जमीन अधिग्रहित हुई
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे से चार जिलों गोरखपुर, संतकबीर नगर, आजमगढ़ और अंबेडकर नगर के 172 गांव प्रभावित हुए हैं। शासन ने इन गांवों की जमीन अधिग्रहित की है। इसमें गोरखपुर के 88 गांव, संतकबीर नगर के 4, आजमगढ़ के 43 और अंबेडकर नगर के 37 गांव के किसानों से जमीन ली गई है।
49 प्रतिशत काम पूरा हुआ
यूपीडा से मिली जानकारी के मुताबिक इस लिंक एक्सप्रेस वे का 49% काम पूरा हो गया है। इस एक्सप्रेस वे की की कुल लंबाई 91.352 किलोमीटर है और इस एक्सप्रेसवे के लिए 5876.67 करोड रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे गोरखपुर के नेशनल हाईवे 27 (Bypass) पर जैतपुर से शुरू होगा और आजमगढ़ जिले के सलारपुर /चैनेज में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे (Purvanchal Expressway) पर जाकर समाप्त होगा।
6 लेन तक विस्तार होगा
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Uttar Pradesh Expressway Industrial Development Autority) इस पूरे प्रोजेक्ट को 2 पैकेज में बांट कर पूरा करा रही है। हालांकि पहले गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे को चार लेन का बनाया जा रहा है, लेकिन इसे बाद में जरूरत पर 6 लेन तक विस्तार दिया जा सकेगा। इस एक्सप्रेस-वे को टोटल एक्सेस कंट्रोल मॉडल पर तैयार किया जा रहा है।
99.5 फीसदी जमीन सरकार ने ली
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे का काम साल 2020 में 10 फरवरी से शुरू हुआ है और 4 जुलाई 2022 तक इस एक्सप्रेस वे के लिए 99.5% जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। पहले इसे साल 2022 में तैयार करने की डेडलाइन रखी गई थी। लेकिन कोविड और दूसरी वजह से अब इस एक्सप्रेसवे के तैयार होने में देरी हो रही है। अब शासन ने 2023 की डेडलाइन तय की है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का राइट-ऑफ-वे (आरओडब्ल्यू) 110 मीटर है।
ये खासियत होगी
एक्सप्रेसवे के निर्माण में 2 टोल प्लाजा, 3 रैम्प प्लाजा, 7 फ्लाई ओवर, 16 व्हेकुलर अण्डरपास, 50 लाइट व्हेकुलर अण्डरपास, 35 पेडेस्ट्रियन अण्डरपास, 7 दीर्घ सेतु, 27 लघु सेतु तथा 389 पुलियों का निर्माण भी किया जा रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना के दोनों पैकेजों के बिल्डरों का चयन ई-टेंडरिंग के जरिए किया गया है। इस परियोजना में न्यूनतम निविदा अनुमानित लागत से 3.12 प्रतिशत कम हो गई है। इससे यूपीडा को लगभग 96 करोड़ का लाभ हुआ है। पैकेज-1 का निर्माण कार्य 10 फरवी, 2020 से तथा पैकेज-2 का निर्माण कार्य 19 जून, 2020 से प्रारम्भ कर दिया गया है।
क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पूरा होने पर उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास के मोर्चे पर एक और मील का पत्थर हासिल किया जाएगा। एक्सप्रेसवे से जुड़े क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन ईकाईयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेसवे के निकट इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना के भी अवसर सुलभ होंगे। यह एक्सप्रेसवे खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों, भण्डारण ग्रह, मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने पर क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा।