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सीएम योगी ने किया स्कूल चलो अभियान-2023 का शुभारंभ : बताया सरकार ने कैसे किया बेसिक एजूकेशन का कायाकल्प

Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शनिवार को यहां लोक भवन में ‘स्कूल चलो अभियान-2023’ का शुभारम्भ किया। उन्होंने कार्यक्रम के शुभारम्भ के अवसर पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में इस कार्यक्रम को नए उत्साह के साथ संचालित किया जाएगा और आने वाले समय में एक भी बच्चा स्कूल जाने से न छूटे, इस जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए इस वृहद कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। यह कार्यक्रम सफलता की नई ऊंचाईयों को छूते हुए उत्तर प्रदेश के हर बच्चे को स्कूल पहुंचने और उसे निरोग रखने का कार्य करेंगे। उन्होंने बेसिक शिक्षा विभाग तथा स्वास्थ्य विभाग से इन कार्यक्रमों के लिए नोडल विभाग के रूप में अपने-अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए देश के सामने नया मॉडल प्रस्तुत करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बेसिक शिक्षा परिषद के पांच विद्यार्थियों को निःशुल्क पाठ्य-पुस्तक तथा कार्य पुस्तिका प्रदान की। उन्होंने निपुण एसेसमेंट टेस्ट में उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों में से पांच विद्यार्थियों को रिपोर्ट कार्ड भी प्रदान किये। इस अवसर पर उन्होंने एनसीईआरटी द्वारा विकसित ‘स्कूल रेडिनेस कैलेण्डर’ तथा ‘शिक्षक मैनुअल’ का विमोचन किया। सीएम ने ‘मिशन शक्ति’ के अन्तर्गत बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुण सिखाने के लिए ‘रानी लक्ष्मीबाई आत्म रक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का शुभारम्भ तथा ‘आत्मरक्षा प्रशिक्षण मॉड्यूल’ का विमोचन किया। इस अवसर पर सभी जनपदों के प्रभारी मंत्री, जनप्रतिनिधिगण तथा शिक्षक ऑनलाइन जुड़े रहे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में देश की आत्मा निवास करती है। प्राचीनकाल से ही उत्तर प्रदेश शिक्षा और स्वास्थ्य का केन्द्र बिन्दु रहा है। काशी शिक्षा के क्षेत्र में पुरातनकाल से ही जग विख्यात रही है। प्रयागराज ने लम्बे समय तक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लोगों को आकर्षित किया है। भारत के वैदिक ज्ञान को लिपिबद्ध करने की भूमि जनपद सीतापुर का नैमिषारण्य है। भारत के ज्ञान-विज्ञान तथा अध्यात्म के क्षेत्र में प्राचीनकाल से ही उत्तर प्रदेश का एकाधिकार रहा है। लेकिन समय के अनुरूप अपने को तैयार न कर पाने के कारण एक समय ऐसा भी आया, जब उत्तर प्रदेश की पहचान अराजकता, गुण्डागर्दी, दंगे, अव्यवस्था तथा भ्रष्टाचार की हो गई थी। विगत 06 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार ने जो कदम उठाए उनके परिणाम सभी क्षेत्रों में देखने को मिल रहे हैं।

सीएम ने कहा कि पहले स्कूलों में ड्रॉप आउट रेट ज्यादा था। पांचवीं और आठवीं कक्षा पास होने के बाद बच्चे स्कूल छोड़ देते थे। इनमें बालिकाओं की संख्या ज्यादा थी। इसे कम करने के लिए प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2014 में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं’ का नारा दिया था। इस कार्य में भी प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग तथा शिक्षा विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में ‘स्कूल चलो अभियान’ का शुभारम्भ 01 जुलाई, 2017 को किया गया था। यह एक सफल कार्यक्रम है। इसके माध्यम से प्रयास किया गया कि कोई भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहे। इसके लिए जनप्रतिनिधियों, शिक्षकगण तथा स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों की मदद से वृहद पैमाने पर कार्यक्रम चलाए गए। परिणामस्वरूप जुलाई, 2017 में विद्यार्थियों की संख्या 01 करोड़ 34 लाख थी, वह आज बढ़कर लगभग 01 करोड़ 92 लाख हो गई है। यह बढ़ी हुई संख्या इस कार्यक्रम की सफलता को प्रदर्शित करती है।

सीएम ने कहा कि आज हमारे जनप्रतिनिधिगण अपने क्षेत्र में परिषदीय स्कूलों में ऑपरेशन कायाकल्प के माध्यम से हुए परिवर्तनां की चर्चा करते हैं। जनप्रतिनिधिगण, शिक्षा विभाग के साथ ही प्रशासनिक तथा पुलिस अधिकारियों एवं पूर्व छात्रों ने मिलकर विद्यालयों को गोद लिया। आज परिणाम है कि प्रदेश के 01 लाख 56 हजार परिषदीय विद्यालयों में से 01 लाख 36 हजार को ऑपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत बुनियादी सुविधाओं के साथ-साथ स्मार्ट क्लासेज तथा अन्य सुविधाओं से आच्छादित किया जा चुका है। शेष 20,000 विद्यालयां को भी इसी सत्र में राज्य के बजट से, ग्राम पंचायत निधि से अथवा कुछ को गोद लेकर इन कार्यक्रमों से जोड़ने का कार्य हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पाठ्यक्रम में काफी बदलाव आया है। बेसिक शिक्षा परिषद एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम अपना रहा है। मानव सम्पदा पोर्टल के माध्यम से शिक्षकों की उपस्थिति के साथ ही, अधिकारियों की उपस्थिति भी दर्ज हो रही है। ‘निपुण भारत अभियान’ के अन्तर्गत प्रत्येक विद्यालय, प्रत्येक विकासखण्ड तथा प्रत्येक जनपद को निपुण विद्यालय, निपुण विकासखण्ड तथा निपुण जनपद के रूप में घोषित करने की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा प्रारम्भ हुई है। शिक्षा के क्षेत्र में हम गुणवत्ता देने की स्थिति में पहुंच चुके हैं। बेसिक और माध्यमिक शिक्षा में 01 लाख 60 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गयी है। इसी को आगे बढ़ाते हुए आज यहां अनेक कार्यक्रमों की शुरूआत की गई है। यह कार्यक्रम बताते है कि हम एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़े हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ‘स्कूल चलो अभियान’ प्रारम्भ हो रहा है। अगले एक माह तक इसके कार्यक्रम चलेंगे। सभी शिक्षकों तथा प्रधानाचार्यों का दायित्व है कि वह ग्राम पंचायत एवं वॉर्ड के प्रतिष्ठित लोगों तथा अभिभावकों के साथ बैठकर उनका सहयोग ले। सभी विद्यालयों में अपनी ग्राम पंचायतां में स्थित घरों तथा वहां विभिन्न सामाजिक व आर्थिक परिस्थितियों में रहने वाले लोगों के बारे में एक स्टडी तथा डाटाबेस होना चाहिए। बेसिक शिक्षा परिषद इसका एक पोर्टल भी तैयार करे। यह आपके लिए तो महत्वपूर्ण होगा ही, साथ ही, एक शिक्षक के लिए भी अपने परिवेश की सामाजिक तथा आर्थिक स्थितियों का अध्ययन करने का माध्यम बनेगा। इससे स्कूल जाने से वंचित बच्चों का भी पता चलेगा कि वे किन कारणों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं, इसका भी पता चल जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार डीबीटी के माध्यम से सभी विद्यार्थियों को 1200 रुपये की धनराशि दे रही है। उनके आधार प्रमाणीकरण की कार्यवाही भी उसी समय की जानी चाहिए। जिलाधिकारी एक-एक नोडल अधिकारी बनाते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी तथा खण्ड शिक्षा अधिकारी के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करें कि यह कार्य इसी एक महीने में हो जाए। जिससे अगले एक-दो महीने के भीतर उन विद्यार्थियों के अभिभावकों के खाते में डीबीटी के माध्यम से धनराशि भेजी जा सके और समय पर वह यूनिफार्म, बैग तथा जूते-मोजे का क्रय कर सके और जाड़े से पूर्व स्वेटर का क्रय भी कर सके। यह कार्यक्रम समयबद्ध रूप से आगे बढ़ने चाहिए। सरकार विद्यालयों में खेलकूद की प्रतिस्पर्धा भी कराती है।

उन्होंने कहा कि यह प्रयास होना चाहिए कि नवम्बर, दिसम्बर के दौरान छुट्टियों के आस-पास यह कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। सरकार हर ग्राम पंचायत में खेल का मैदान बनाने की कार्यवाही कर रही है। इसके लिए स्कूल के आस-पास की भूमि को आरक्षित किया गया है। विद्यालय के नजदीक की भूमि को खेल के मैदान तथा ओपेन जिम के रूप में विकसित करने के लिए इन्टरचेंज की आवश्यकता हो, तो इसके लिए राजस्व विभाग को निर्देश दिए गए हैं। यह कार्य प्रदेश में युद्ध स्तर पर प्रारम्भ हुए हैं।

जिस समय स्कूल संचालित हों, विद्यार्थी मैदान का उपयोग करें और जब विद्यालय बन्द हो, तो गांव के बच्चे उसका उपयोग करें। उन मैदानों में सार्वजनिक कार्यक्रम भी हो। इसके रख-रखाव का कार्य भी किया जाए। इससे विद्यालय में पठन-पाठन का अच्छा माहौल बनेगा तथा बच्चें शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ भी होंगे। इस कार्य में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के साथ ही, शासकीय सहायता प्राप्त तथा निजी प्रबन्ध तंत्र के द्वारा संचालित विद्यालयों को भी जोड़ना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘स्कूल चलो अभियान’ के माध्यम से हमारा प्रयास होना चाहिए कि एक भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहे। इसके लिए अभिभावकों को तैयार करना होगा, जिससे आने वाले समय में प्रदेश में साक्षरता को शत-प्रतिशत कर सकें। यह शत-प्रतिशत साक्षरता उत्तर प्रदेश की बड़ी पूंजी होगी। इस अभियान को भी आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। कोई भी व्यक्ति अंगूठा न लगाए, बल्कि अपना हस्ताक्षर करे। कोई भी अपने घर आने वाले किसी पत्र को दूसरों से न पढ़वाए, बल्कि वह स्वयं पढ़े। यह शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है कि उसे इस योग्य बनाया जाए। आज यही कार्यक्रम ‘स्कूल चलो अभियान’ के माध्यम से प्रारम्भ हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूल जाकर अपने पाठ्यक्रम को पढ़ा लेना ही योग्य शिक्षक का काम नहीं है। शिक्षकों को अभिभावकों के साथ संवाद बनाकर बच्चों के रिपोर्ट कार्ड के बारे में सकारात्मक रूप से अवगत कराना चाहिए। एक योग्य शिक्षक का दायित्व है कि जो योग्य नहीं है उसे योग्य बनाएं। अगर आप कमजोर बच्चे को योग्यता की श्रेणी में ला देते हैं, तो यह आपकी उपलब्धि होगी। अगर सभी शिक्षकों का बच्चों के प्रति सकारात्मक, रचनात्मक तथा बेहतरीन संवाद है, तो बच्चा आजीवन उनका सम्मान करेगा। बच्चों को मेहनत के लिए प्रेरित करे। उनके अभिभावकों को सकारात्मक रूप से बताये कि उनका बच्चा अच्छा कर रहा है, थोड़ा और प्रयास की जरूरत है। शिक्षक प्रयास करेंगे, अभिभावक भी प्रयास करें। इससे हम अच्छी दिशा में आगे बढ़ेंगे। प्रतिभाशाली बच्चों को सही मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान करनी चाहिए। यदि सप्ताह में अथवा 15 दिनों मे शिक्षक तथा प्रधानाचार्य अलग-अलग क्षेत्रों में बच्चों के घरों में जाएं, तो छात्रों तथा अभिभावकों के मन में सम्मान का भाव पैदा होगा।

सीएम ने कहा कि यह देखें कि बच्चे का व्यवहार माता-पिता के प्रति तथा माता-पिता का व्यवहार बच्चे के प्रति कैसा है। इसके बारे में उन्हें अवगत कराएं। जिन शिक्षकों ने अच्छा काम किया है उनका स्थानांतरण होने पर पूरा गांव भावुक होता है। यह सरकार की भी उपलब्धि होती है कि हमारे शिक्षक के प्रति पूरा गांव सम्मान का भाव व्यक्त कर रहा है। इन शिक्षकों ने अन्य शिक्षकों के लिए एक मानक तय किया है। ट्रांसफर-पोस्टिंग शासकीय सेवाओं का हिस्सा होता है। अच्छे शिक्षकों पर अन्य लोगों का भी अधिकार होना चाहिए। यह दूसरी जगह जाएंगे तो और अच्छा काम करेंगे। लेकिन खराब शिक्षकों के लिए लोग हटाने की बातें करते हैं। यह हमें तय करना है कि हम कैसा बनना चाहते हैं, हमें लोग सम्मान दे या हमसे घृणा करें। जीवन में कोई हमसे घृणा करें, इससे नारकीय कुछ नहीं होता।

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