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8 साल बाद भी अधूरा काम : डीएम ने भवानी छापर राजकीय आईटीआई का किया निरीक्षण, निर्माण की गुणवत्ता पर जतायी नाराजगी

-जांच के लिए टेक्निकल टीम का किया गठन

-2014 में प्रारंभ हुई थी परियोजना, अभी तक नहीं हो सकी पूर्ण, डीएम ने जतायी नाराजगी

-निर्माण कार्य को शीघ्रता से पूर्ण किये जाने का दिया निर्देश

Deoria News : जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह (Jitendra Pratap Singh IAS) एवं पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा (Sankalp Sharma IPS) ने विकास खण्ड बनकटा अन्तर्गत भवानी छापर में निर्माणाधीन राजकीय आईटीआई का निरीक्षण किया।

7 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी

डीएम ने वर्ष 2014 से अभी तक परियोजना के पूर्ण न होने पर गहरी नाराजगी जतायी और निर्माण कार्य की गुणवत्ता भी संतोषजनक न मिलने पर कार्यदायी संस्था यूपीपीसीएल (UPPCL) के परियोजना निदेशक से स्पष्टीकरण तलब किया। साथ ही कार्य की गुणवत्ता की जांच करने के लिए अधिशासी अभियंता आरके सिंह की अध्यक्षता में एक तकनीकी टीम का गठन भी किया है, जो 7 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। उन्होंने कहा कि लोकहित की इस महत्वपूर्ण परियोजना को शीघ्र पूर्ण किया जाये।

निर्माणाधीन आईटीआई का निरीक्षण करने पहुंचे

जिलाधिकारी शनिवार की अपराह्न बनकटा ब्लॉक के भवानी छापर में निर्माणाधीन आईटीआई का निरीक्षण करने पहुंचे। वहां निर्माणाधीन भवन की दीवार में प्रयुक्त ईंट एवं पिलर में प्रथमदृष्टया तकनीकी खामी दिखी। जिलाधिकारी ने परियोजना से संबंधित बोर्ड न मिलने पर सहायक अभियंता यूपीपीसीएल को फटकार लगाई। इसके पश्चात वे मुख्य भवन पहुंचे और प्रयुक्त सामग्री की गुणवत्ता देखी।

घटिया गुणवत्ता पर असंतोष व्यक्त किया

उन्होंने दरवाजे और कुंडी की घटिया गुणवत्ता पर असंतोष व्यक्त किया। भवन के वायरिंग में प्रयुक्त तार एवं स्विच की गुणवत्ता भी उन्होंने देखी। उन्होंने आईटीआई को चारो ओर से बाउंडरी वाल से सुरक्षित करने का निर्देश दिया।

08 साल हो गये हैं

निरीक्षण के उपरांत जिलाधिकारी ने बताया कि यह परियोजना जनपद में चल रही सबसे पुरानी परियोजनाओं में से है। साल 2014 में इस परियोजना की शुरुआत हुई। 08 साल हो गये हैं। इसकी टाइमलाईन भी पूर्ण हो चुकी है। अभी कार्य पूर्ण नहीं हुआ है। रंगाई-पुताई का कार्य भी नहीं हुआ है। कार्य में टेक्निकल मानक का ध्यान नहीं दिया गया है।

6 करोड़ 66 लाख की यह परियोजना है

पिलर एवं दीवार आदि में मानक का ध्यान नहीं दिया गया है। परियोजना का विभागीय बोर्ड भी नहीं लगा है, जिसमें कार्य से संबंधित जवाबदेही किसकी है स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। 6 करोड़ 66 लाख की यह परियोजना है। कॉन्ट्रेक्टर के लिये आवश्यक है कि जब कार्य हो रहा हो, तो एक टेक्निकली क्वालिफाइड जेई अथवा एई को तैनात करे, वह भी मौके पर नहीं मिला।

दण्ड निर्धारण किया जायेगा

जिलाधिकारी जेपी सिंह ने कहा कि इसके लिये जवाबदेही तय की जाएगी। साथ ही प्रयास किया जाएगा कि इस सत्र में यह परियोजना पूर्ण कर ली जाए, जिससे बच्चों को शिक्षा मिल सके। निर्माण में जो कमियां है उसके लिये दण्ड निर्धारण किया जायेगा। यह भी प्रयास होगा कि इस शैक्षिक सत्र के समाप्ति के पश्चात अगले सत्र में बच्चों का नामांकन यहां हो सके, ताकि बिहार बार्डर एवं इंटेरियर इलाकों के बच्चों को इनका लाभ मिल सके। 

इस अवसर पर एडीएम भाटपाररानी संजीव उपाध्याय, अधिशासी अभियंता आरके सिंह सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।

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