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उत्तर प्रदेश : सीएम योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी में मनाया ‘शिक्षक दिवस,’ पिछली सरकारों पर साधा निशाना

Uttar Pradesh: शिक्षक दिवस (Teachers Day) के मौके पर 5 सितंबर, रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को नमन किया। उन्होंने कहा कि देश में वर्ष 1947 से सरकारें चली आ रही हैं। इतने लम्बे समय बाद भी सरकार का विकास का विजन तय नहीं हो पाता था, अपने एक संकीर्ण एजेंडे के साथ सरकारें आती-जाती थीं। एक नेतृत्व वह था, जिसने आज़ादी के तत्काल बाद सोमनाथ मन्दिर के कार्य के शुभारम्भ का विरोध किया था और एक नेतृत्व आज है, जो अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण कार्य के लिए प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर 5 सदी के इंतजार को दूर कर गौरव की अनुभूति कर रहा है। पूर्व की सरकारें संकीर्ण एजेंडे के साथ आती थीं, इसे काशी ने महसूस किया होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वाराणसी का विकास पूरे प्रदेश के विकास का आधार था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में काशी में प्रवासी भारतीय दिवस का सफल आयोजन किया गया। प्रवासियों की इच्छा भारत में आने की होती थी, लेकिन नहीं आ पाते थे, उन्हें यह सौभाग्य प्रधानमंत्री ने दिया। प्रदेश सरकार ने प्रवासी नगर बनाया, टेण्ट सिटी बनायी थी। यह सबसे शानदार प्रवासी सम्मेलन था। पूर्व में, प्रवासी भारतीय दिवस राज्य की राजधानियों में होता था। उन्होंने कहा कि शासन की योजनाओं से सरकारों की नीयत का पता चल जाता है। प्रयागराज कुम्भ व प्रवासी सम्मेलन ने शासन की नीयत साफ कर दी। उत्तर प्रदेश ने साढ़े चार वर्षों में प्रधानमंत्री के विजन को सार्थक किया। इसके विकास में सभी का योगदान रहा। प्रदेश के बारे में अब लोगों में अच्छी धारणा बनी है।

सीएम ने कहा कि आजादी के बाद भारतीयता से जुड़े लोगों को हतोत्साहित किया गया। इससे इतर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय आस्था व संस्कृति की आत्मा की पहचान के रूप में देश को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया गया। योग दिवस व कुम्भ को वैश्विक आयाम मिला। एक नेतृत्व ने सोमनाथ के निर्माण का विरोध किया, तो आज अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण का कार्य किया जा रहा है। काशी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर बन रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1916 में काशी की गंदगी का उल्लेख किया था। आज काशी, नई काशी के रूप में प्रस्तुत है। मां विंध्यवासिनी धाम योजना के साथ ही, मथुरा आदि में जो योजनाएं लागू हो रही हैं, उससे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। उन्होंने अयोध्या में प्रथम बार दीपोत्सव के आयोजन का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे प्रजापति समुदाय को रोजगार का अवसर मिला। प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध का फायदा यह हुआ है कि मिट्टी के बर्तन का निर्माण ज्यादा होने लगे। मिट्टी की मूर्तियों के निर्माण की संख्या बढ़ी है, जिससे कुंभकारों को लाभ हुआ है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत के विजन ने देश का कल्याण किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि काशी से डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् का सम्बन्ध है। बी एच यू परिवार इसके निर्माण में सभी का अविस्मरणीय योगदान मानता है। सनातन धर्म का केन्द्र काशी प्राचीनकाल से रहा है। काशी को जानने व देखने की उत्सुकता सदा से बनी रही है। लोग इसके भौतिक स्वरूप को नहीं देख पाते थे। पिछले 7 वर्षों से काशी अपने नए कलेवर के रूप में पुरातन कलेवर का स्वरूप बनती जा रही है। भौतिक विकास के रूप में काशी जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप बढ़ रही है। प्रधानमंत्री के संकल्प के साथ विकास का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। काशी के साथ ही अन्य स्थलों पर भी विकास के कार्य पूरे हो रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में दंगों के बिना कोई त्योहार नहीं होता था। विगत चार वर्षों में प्रदेश में व्यापक परिवर्तन दिखाई पड़ रहा है। सभी ने अपने क्षेत्र में कार्य किया। उत्तर प्रदेश के बारे में जो गलत धारणाएं थीं, वह चार वर्षों में सही हुई हैं। प्रदेश में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है। राज्य सरकार ने अलग-अलग क्षेत्रों में प्रयास किया है। इन प्रयासों से विगत तीन-चार वर्षों में चौथे नम्बर की रैंकिंग को दूसरे स्थान पर ला खड़ा किया है।

सीएम ने कहा कि कोरोना की प्रथम लहर में राज्य सरकार ने अपनी बसों के माध्यम से कोटा से सभी छात्रों को घर पहुंचाया। प्रयागराज से छात्रों को घर पहुंचाया। प्रदेश के 40 लाख लोगों को घर तो पहुंचाया ही, अन्य राज्यों के लोगों को भी उनके घरों तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच विचार करना होगा कि हम बच्चों को कैसे शिक्षा से जोड़ें। इसके लिए तकनीक की जरूरत है, लेकिन जिसके पास स्मार्ट फोन, टैबलेट नहीं हैं वह शिक्षा से कैसे जुड़ें। हम उन बच्चों के लिए सहज तकनीक की खोज करें। इसके लिए प्रयास करने की जरूरत है। शिक्षक ओपन स्कूल के माध्यम से शिक्षा दें। यह पुरातन गुरुकुल परम्परा रही है। ऐसी ही शिक्षण व्यवस्था की जरूरत है। हमारे पास अभी भी कई चुनौतियां हैं। उन चुनौतियां का सामना करने के लिए काशी का शिक्षक समाज आगे आए। विद्वत समाज हमेशा समाज को सकारात्मक ऊर्जा दे सकता है। काशी की यह ऊर्जा देश को नई ऊर्जा देगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रो संजय गुप्ता, संजय पाठक, दीनानाथ सिंह, प्रो कौशल कुमार मिश्र, प्रो सुनील मिश्रा, जेपी लाल, प्रो आर एन चौरसिया, आचार्य नंदिता शास्त्री, प्रो ओ पी भारती, रश्मि सिंह एवं प्रभा सिंह को अंगवस्त्र एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इससे पूर्व, मुख्यमंत्री ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं पं दीनदयाल उपाध्याय के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित कर प्रबुद्ध सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस अवसर पर पर्यटन एवं संस्कृति राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ नीलकंठ तिवारी, स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क, पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल, विधायक सौरभ वास्तव, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष महेश वास्तव एवं महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

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