New Delhi: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने आज राजधानी नई दिल्ली में पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research and Development) की स्थापना के 51 साल पूरे होने पर एक कार्यक्रम में शिरकत की। वहां उन्होंने लोकतंत्र में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने में पुलिस की जरूरत बताई और उनकी कुर्बानी को याद किया। साथ ही उन्होंने टोक्यो ओलंपिक-2020 में रजत पदक विजेता मीराबाई चानू को सम्मानित किया। मणिपुर सरकार ने मीराबाई चानू को पुलिस विभाग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (खेल) के रूप में नियुक्त किया है। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री ने पुलिसबलों की सराहना करते हुए उनकी जिम्मेदारियों और लोकतांत्रिक प्रणाली को सक्षम बनाने में उनकी भूमिका पर चर्चा की।
35000 जवानों ने शहादत दी
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, कोई भी संस्था हो वह अपने क्षेत्र के अंदर 51 साल तक अपनी प्रासंगिकता को बना सकता है और बनाए रखता है तो उसका मतलब है। उसके काम में प्रासंगिकता और दम दोनों हैं। उन्होंने आगे कहा, 75 सालों में देश में 35,000 पुलिस के जवानों ने बलिदान दिया। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुलिस स्मारक की रचना की। यह बताता है कि पुलिस के जवान 35,000 बलिदान देकर देश की सेवा में जुटे हैं। उन्होंने आगे कहा, अगर क़ानून-व्यवस्था ठीक नहीं है तो लोकतंत्र कभी सफल नहीं हो सकता है। क़ानून-व्यवस्था को ठीक रखने का काम पुलिस करती है। पूरे सरकारी तंत्र में सबसे कठिन काम अगर किसी सरकारी कर्मचारी का है, तो वह पुलिस के मित्रों का है।
मीराबाई चानू को सम्मानित किया
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो के 51वें स्थापना दिवस समारोह में टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतकर देश का मान बढ़ाने वाली मीराबाई चानू को सम्मानित किया। मणिपुर सरकार ने मीराबाई चानू को पुलिस विभाग में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (खेल) के रूप में नियुक्त किया है। उन्होंने चानू को शानदार खेल प्रदर्शन के लिए बधाई दी और उन्हें देश के युवाओं को प्रेरित करने की अपील की।
1970 में हुई थी स्थापना
भारत सरकार ने दिनांक 28.8.1970 को गृह मंत्रालय के अधीन पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की औपचारिक रूप से स्थापना की। इसमें विद्यमान पुलिस अनुसंधान एवं परामर्श समिति को पुलिस बलों के आधुनिकीकरण और बेहतर बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस संगठन को पुलिस से जुड़े मुद्दों पर सीधे व प्रभावी रूप से ध्यान देने की जिम्मेदारी दी गई। साथ ही पुलिस की समस्याओं के गतिशील, सुव्यवस्थित एवं सार्थक अध्ययन के जरिए हल को प्रोत्साहित करने का जिम्मा दिया गया।