Uttar Pradesh : योगी आदित्यनाथ सरकार गांव स्तर पर बड़े सुधार के लिए प्रयास कर रही है। बुधवार को समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने कहा कि एसडीएम, सीओ, एसओ, तहसीलदार, खण्ड विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी आदि सभी अपनी तैनाती के क्षेत्र में ही रात्रि प्रवास करें। शासकीय आवास है, तो वहां रहें अथवा किराए का आवास लें, लेकिन रात्रि में अपने ही क्षेत्र में रहें। इस व्यवस्था का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराएं।
तहसील दिवस का आयोजन होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि माह के प्रत्येक प्रथम व तृतीय शनिवार को तहसील दिवस का आयोजन किया जाए। दूसरे व चौथे शनिवार को थाना दिवस एवं ब्लॉक दिवस का आयोजन किया जाए। थाना दिवस का आयोजन थाने पर तथा ब्लॉक दिवस का आयोजन ब्लॉक कार्यालय पर किया जाए। ब्लॉक दिवस पर समस्त सम्बन्धित अधिकारी स्वयं उपस्थित रहकर विकास खण्ड से जुड़े प्रकरणों एवं समस्याओं का निस्तारण करेंगे।
जनसमस्याओं को प्राथमिकता दें
सीएम ने कहा कि फील्ड में तैनात अधिकारी, कर्मचारी जनसमस्याओं के निस्तारण को शीर्ष प्राथमिकता दें। आमजन के साथ संवेदनशील व्यवहार रखें। यह ध्यान रखें कि आपका आचरण आमजन के मन में शासन के प्रति विश्वास का आधार बनता है। जनता की संतुष्टि ही आपके प्रदर्शन की श्रेष्ठता का मानक होगा।
सबको मिलेगा न्याय
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है। सोमवार से शुक्रवार तक जनहित से सीधे जुड़ाव रखने वाले कार्यालयों में हर दिन एक घण्टे की अवधि जनसुनवाई के लिए नियत है। इस अवधि में अधिकारी जनता से मिलें, शिकायतें, समस्याएं सुनें और मेरिट पर उनका निस्तारण करें। आईजीआरएस, सीएम हेल्पलाइन जनता की समस्याओं के निदान का अच्छा माध्यम बन कर उभरा है। इसके प्रकरण लम्बित न रहें। इनकी हर कार्यालय में सतत् समीक्षा होनी चाहिए।
अमृत सरोवर तैयार हों
सीएम ने कहा कि जल संरक्षण के विशेष अभियान के अन्तर्गत प्रत्येक जनपद और महानगर में 75-75 ‘अमृत सरोवर’ तैयार कराए जाएं। साफ-सफाई रहे। सरोवर में गन्दा पानी कतई न जाए। यहां गांव के किसी बुजुर्ग, प्रतिष्ठित व्यक्ति द्वारा राष्ट्रीय पर्व पर राष्ट्रध्वज भी फहराया जाए। प्रजापति समाज को मिट्टी निकालने की अनुमति दी गई है, तालाब निर्माण में इससे भी सहूलियत मिलेगी।
सबको मिले शिक्षा
उन्होंने कहा कि ‘स्कूल चलो अभियान’ को प्रभावी बनाएं। एक भी बच्चा स्कूल जाने से वंचित न रहे। हर विद्यार्थी निर्धारित यूनीफॉर्म में ही स्कूल आए। जनप्रतिनिधि से विद्यालयों को गोद लेने का आग्रह करें। अधिकारी भी ऐसा प्रयास कर सकते हैं।