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रोचक : एक लाख बीस हजार साल पुराने अवशेष से बदली मानव विकास की थ्योरी, होमो सैपियंस से अलग मनुष्यों का था राज

Australia : पुरातत्वविज्ञानियों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने इंसानों के विकास के एक महत्वपूर्ण हिस्से के बारे में पता लगाया है। अब तक यह हिस्सा मानव विकास के क्रम से लापता था। इससे आधुनिक मानव और मनुष्यों के अपने पूर्वजों के बारे में जानने की कोशिश को नया बल मिला है।

इजराइल (Israel) के नेशेर रामला में खुदाई में एक खोपड़ी मिली है। संभावना जताई जा रही है कि यह एक अलग होमो आबादी के अंतिम बचे मानव का उदाहरण हो। यह आबादी करीब 4,20,000 से 1,20,000 साल पहले अब के इजराइल में रहती थी। इजराइल के अनुसंधानकर्ता हर्शकोवित्ज, योशी जेदनर और सहकर्मियों ने ‘साइंस’ में प्रकाशित अध्ययन में कहा है कि इस आदिकालीन मानव समुदाय ने कई हजार वर्षों तक निकटवर्ती होमो सैपियंस समूहों के साथ अपनी संस्कृति और जीन साझा किए।

सिर्फ इसी तरह के मानव रहते थे
नए जीवाश्म खोपड़ी के पीछे के हिस्सों समेत अन्य टुकड़ों और लगभग एक पूरे जबड़े के विश्लेषण से कई तथ्यों का पता चला है। यह जिस व्यक्ति का अवशेष है, वह पूरी तरह होमो सैपियंस नहीं था। ये अवशेष 1,40,000-1,20,000 वर्ष पुराने हैं। न ही ये होमो वंश के विलुप्त सदस्य निएंडथरल मानव के थे। विशेषज्ञों का मानना है कि उस समय इस क्षेत्र में केवल इसी तरह का मानव रहता था। यह व्यक्ति होमो के एक विशिष्ट समुदाय का लगता है, जिसकी पहचान विज्ञान ने पहले कभी नहीं की।

होमो सैपियंस से अलग है
कई अन्य जीवाश्म मानव खोपड़ियों से विस्तारपूर्वक तुलना करने पर अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि खोपड़ी के पीछे की हड्डी ‘‘पुरातनकालीन’’ विशेषताओं वाली है, जो शुरुआती और बाद के होमो सैपियंस से अलग है। यह हड्डी निएंडथरल और शुरुआती होमो सैपियंस में पायी हड्डियों के मुकाबले थोड़ी मोटी है।

1932 में हुई थी खोज
इसका जबड़ा भी पुरातनकालीन विशेषताओं वाला है, लेकिन यह निएंडथरल में पाए जाने वाले जबड़ों जैसा है। हड्डियां आदिकालीन और निएंडथरल का विशिष्ट मिश्रण दिखाती हैं। विशेषज्ञों ने दावा किया है कि इजराइल के अन्य स्थलों जैसे मशहूर लेडी ऑफ ताबून पर मिले जीवाश्म इन नई मानव आबादी का हिस्सा हो सकते हैं। ‘‘लेडी ऑफ ताबून’’ की खोज 1932 में की गई थी।

पता चलेगा
विस्तृत अध्ययन करने पर इस महत्वपूर्ण अजीब मानव ने निएंडथरल शरीर रचना और उनके व्यवहार के बारे में काफी कुछ सिखाया। खासकर ऐसे वक्त में जब हमें अपने पूर्वजों के बारे में बहुत कम पता है। अगर ताबून सी1 और कासिम तथा जूतियेह गुफाओं के अन्य जीवाश्म नेशेर रामला होमो समूह के सदस्य थे, तो इस विश्लेषण में अनुसंधानकर्ताओं द्वारा पूर्व में दिए गए शरीर रचना विज्ञान में कुछ विसंगतियों का पता चलेगा।

साझा करते थे
रहस्यमयी नेशेर रामला होमो निएंडथरल के साथ हमारे हाल के साझा पूर्वज को दर्शा सकते हैं। दूसरे शब्दों में कहे तो अलग-अलग होमो आबादियों के बीच अंतर प्रजनन अधिक आम था। मगर पहले इसका अंदाजा नहीं लगाया गया था। यहां तक कि टीम को नेशेर रामला स्थल पर पत्थर के करीब 6,000 औजार भी मिले। ये औजार उसी तरीके से बनाए गए हैं, जैसे कि होमो सैपियंस समूहों ने बनाए थे। इससे यह पता चलता है कि नेशेर रामला होमो और होमो सैपियंस न केवल जीन का आदान-प्रदान करते थे, बल्कि औजार बनाने की तकनीक भी साझा करते थे।

शिकार करते थे
इस स्थल पर पकड़े गए, मारे गए और वहां खाए गए पशुओं की हड्डियां भी मिली हैं। अध्ययन से पता चला है कि नेशेर रामला होमो ने कछुओं, हिरन, औरोक्स, सूअर और शुतुरमुर्ग समेत कई प्रजातियां का शिकार किया।

आग का प्रयोग करते थे
साथ ही वे अपना खाना पकाने के लिए आग जलाते थे, जो जीवाश्मों के वर्षों पुरानी कैम्पफायर की खोज से पता चलता है। निश्चित तौर पर नेशेर रामला होमो कैम्पफायर जलाने और आग बनाने के लिए न केवल लकड़ियां इकट्ठा करते थे, बल्कि आग को नियंत्रित भी करते थे। जैसा कि आज के लोग करते हैं।

जवाब मिलना बाकी है
अभी कई सवालों का जवाब मिलना बाकी है। जैसे कि अलग-अलग होमो समूह एक-दूसरे से कैसे बातचीत करते थे? इस अवधि में होमो आबादियों में होने वाले सांस्कृतिक और जीव विज्ञान संबंधी बदलावों के लिए इसका क्या मतलब है। अध्यनकर्ता ऐसे सवालों के जवाब ढूंढने में जुटे हैं।

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