Gorakhpur News :
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीते दिन जनपद गोरखपुर में 72.78 करोड़ रुपये की लागत से क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला के नवीन उच्चीकृत भवन का लोकार्पण किया। उन्होंने प्रयोगशाला का भ्रमण कर जांच की प्रक्रिया आदि के बारे में जानकारी प्राप्त की। सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा अवगत कराया गया कि विधि विज्ञान प्रयोगशला में डाटा स्टोरेज (मोबाइल, लैपटॉप, सीसीटीवी आदि) एवं रिकवरी, आवाज मिलान सम्बन्धी जांच, फॉरेन्सिक सिद्धांतों के इन्जीनियरिंग में उपयोग, अपराध सम्बन्धी झूठ पकड़ने, विस्फोटक पदार्थ एवं आग्नेयास्त्र (बुलेट) सम्बन्धी जांच की जा सकेगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोगों को विधि विज्ञान प्रयोगशाला के रूप में एक नई सौगात प्राप्त हुई है। वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में भारत सरकार ने देश में 03 नये कानून लागू किये, जिनकी अवधारणा प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को समय से न्याय देने की है।
ब्रिटिश कालखण्ड की दण्ड पर आधारित अवधारणा से हटकर प्रत्येक व्यक्ति को समय पर न्याय दिलाने की दृष्टि से गत वर्ष जुलाई में भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम-2023 को लागू किया गया, जिसमें यह व्यवस्था की गयी कि जिन अपराधों में 07 वर्ष से ऊपर की सजा है, उनमें फॉरेन्सिक साक्ष्य जुटाये जाएगें।
उन्होंने कहा कि नये कानूनों के लिए प्रदेश सरकार ने पहले से ही तैयारी की थी। पहले अपराधी अपराध करता था, अपराध के बाद साक्ष्य एकत्रित किये जाते थे, तो अपराधी को सजा इसलिए नहीं हो पाती थी, क्योंकि अच्छी लैब नहीं थी। लैब के अभाव में सही जांच नहीं हो पाती थी, जिससे अपराधी बच जाता था। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2017 में देश की सर्वाधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में मात्र 04 लैब थीं। इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार ने कमिश्नरी स्तर पर एक-एक विधि विज्ञान प्रयोशाला की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। सरकार के प्रयासों से विगत 08 वर्षों में लैब की संख्या बढ़कर 12 हो गयी है। प्रत्येक कमिश्नरी में एक लैब की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए 06 अन्य लैब को स्वीकृति दी गयी है, जो निर्माणाधीन हैं। इस लैब में सभी प्रकार के फॉरेन्सिक से जुड़े हुए पहलुओं की जांच की जा सकेगी, जिससे अपराधी के खिलाफ ठोस साक्ष्य ससमय न्यायालय में प्रस्तुत कर उसे दण्डित करवाया जा सकेगा।
सीएम योगी ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने की इस अवधारणा पर आधारित यह व्यवस्था सम्पूर्ण प्रदेश में लागू की गयी है। प्रत्येक जनपद में साक्ष्य एकत्रित करने के लिए दो-दो मोबाइल फॉरेन्सिक वैन उपलब्ध करायी गयी हैं। अब अपराध होने के कुछ ही घण्टे में अपराधी के विरुद्ध पुख्ता साक्ष्य होंगे। पहले दुष्कर्म, आतंकवाद तथा मर्डर आदि की घटनाएं होती थीं, तो बैलेस्टिक जांच में बहुत समय लगता था, लेकिन अब ऐसा नही हो पायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर की इस लैब में डीएनए जांच की सुविधा भी उपलब्ध करायी गयी है। अब कोई भी अपराधी अपराध करके बच नहीं पायेगा। गोरखपुर की इस ए-श्रेणी की अपग्रेड लैब में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होगी। यहां तेजी से, सटीक और पुख्ता साक्ष्य आधारित जांच होगी। यह फॉरेन्सिक लैब मॉडर्न पुलिसिंग के लिए गेम चेंजर साबित होगी। इसका लाभ प्रदेश के सभी लोगां को प्राप्त होगा। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश के नागरिकां को समय से न्याय दिलाने हेतु वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध करवाकर न्यायालय के माध्यम से अपराधी को समय से सजा दिलायी जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के युवाओं को फॉरेन्सिक तकनीक के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार उपलब्ध कराने के लिये प्रदेश की राजधानी में यू0पी0 स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ फॉरेन्सिक साइन्सेज स्थापित किया गया है, जिसमें सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा डिग्री के अलग-अलग प्रकार के पाठ्यक्रम संचालित हैं। यह वर्तमान समय में नये प्रकार के अपराधों को रोकने के लिए तकनीक के माध्यम से वैज्ञानिक साक्ष्य उपलब्ध कराकर, अपराधी को समय पर सजा दिलाने और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए सरकार द्वारा किये गये प्रयासों का हिस्सा है।
