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काशी से कांग्रेस ने किया चुनावी शंखनाद : प्रियंका गांधी ने कहा- किसानों की कातिल सरकार कैसे करेगी इंसाफ

Varanasi News : कांग्रेस की यूपी प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) आज पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर हैं। वहां से उन्होंने प्रधानमंत्री और सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर जमकर हमला बोला। वह ‘किसान न्याय रैली’ को संबोधित करने काशी पहुंची हैं। उनके साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री व आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक भूपेश बघेल, पार्टी के यूपी अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू, दीपेंद्र हुड्डा, पूर्व सांसद राजेश सिंह समेत सभी वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद हैं। अपने संबोधन में प्रियंका ने किसान आंदोलन से लेकर लखीमपुर खीरी घटना (Lakhimpur Kheri Incident) तक का जिक्र किया और केंद्र-राज्य सरकार पर जमकर बरसीं। उन्होंने आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम को लेकर भी सवाल उठाए। आयोजन जगतपुर इंटर कॉलेज के मैदान में हुआ।

प्रियंका गांधी ने कहा, “कोरोना के समय जहां-जहां से रिपोर्ट आई, रिपोर्ट में यही आया कि जनता त्रस्त है। परेशान है और सरकार मदद की बजाय आक्रामक हो गई है। अगर कोई कहता था कि मेरे पास सुविधा नहीं है, मेरे पास ऑक्सीजन नहीं है, कोई अस्पताल कहता था कि हमारे पास ऑक्सीजन नहीं है, तो सरकार मदद की बजाय उन पर आक्रमण कर रही थी। हाथरस के मामले में सरकार ने अपराधियों पर आक्रमण नहीं किया। सरकार ने अपराधियों को नहीं रोका। सरकार ने परिवार को सदस्यों को अपनी बेटी की चिता जलाने से रोका। पुलिस ने बेटी की चिता जला दी। हाथरस के मामले में पीड़ित परिवार ने भी मुझे कहा कि दीदी हमें इस सरकार से न्याय की उम्मीद नहीं है। लेकिन हमें न्याय चाहिए।”

लखीमपुर के गुनहगार सब हैं

उन्होंने आगे कहा, “लखीमपुर खीरी में क्या हुआ। इस देश के गृह राज्यमंत्री के बेटे ने अपनी गाड़ी के नीचे 6 किसानों को निर्ममता से कुचल दिया। 6 के 6 परिवार यह कहते हैं कि हमें पैसे नहीं चाहिए। हमें मुआवजा नहीं चाहिए। हमें न्याय चाहिए। आपने देखा कि सरकार पूरी तरह से उस मंत्री और मंत्री के बेटे के बचाव में लगी रही। पुलिस-प्रशासन विपक्ष के नेताओं को रोकने में लगा था। जब मैंने रात में वहां जाने की कोशिश की तो हर सड़क पर पुलिस थी। मुझे रोकने की कोशिश की गई। तमाम जगह पुलिस के घेरे थे, नाकेबंदियां थी। जो पीड़ित परिवार हैं, उनके घरों में उन्हें नजरबंद किया गया। लेकिन अपराधी को पकड़ने के लिए एक भी पुलिस वाला नहीं निकला। अपराधी के घर में उन्होंने निमंत्रण भेजा कि आप आकर हमसे बात कीजिये। आपने दुनिया के किसी भी देश में या हमारे देश के इतिहास में ऐसा देखा है कि एक आदमी 6 लोगों को कुचल दे और पुलिस उसको निमंत्रण दे रही हो कि आइये हमसे बात कीजिये।”

किसानों ने आजादी दिलाई है

प्रियंका गांधी ने आगे कहा, “जिस आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, ये आजादी हमें किसने दी है? ये आजादी हमें किसानों ने दी है, किसान के बेटे ने दी है। इस देश को किसान ने सींचा है। आज भी किसान का बेटा हमारी सीमाओं पर खड़ा है। ये देश एक आस्था है, एक उम्मीद है। इसी न्याय की उम्मीद पर इस देश को आजादी मिली। जब महात्मा गांधी आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए गये तो उनके दिल में ये था कि मेरी जनता को, किसानों को, दलितों को न्याय मिलना चाहिए। हमारा संविधान न्याय पर आधारित है। लेकिन हमारे देश में न्याय की उम्मीद सब छोड़ चुके हैं। मैं जब लखीमपुर खीरी में शहीद नछतर सिंह के घर गई तो उनके परिजनों ने बताया कि उनका बेटा सीमा सुरक्षा बल में भर्ती हुआ है।”

किससे न्याय मांगेंगे

उन्होंने आगे कहा, “जब मैं अगले परिवार से मिली तो उन्होंने बताया कि उनके सभी बेटे सेना में देश की रक्षा के लिए तैनात हैं। मैं पत्रकार के घर गई। मुझे बताया गया कि उनको काम करते हुए मारा गया। उनको जीप के नीचे कुचला गया। क्योंकि वो वीडियो ले रहे थे, सच्चाई दिखाना चाह रहे थे। सभी परिवारों ने यही कहा कि हमें न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है। अगर हमारे देश में कोई कुचला जाता है, किसी पर हिंसा होती है, किसी पर अत्याचार होता है और उसको न्याय मिलने की उम्मीद नहीं होती तो वह किसके पास जाएगा। अगर सरकार, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, गृह राज्यमंत्री और विधायक सभी मिले हुए हैं, सभी उनकी तरफ अपनी पीठ मोड़ दें तो जनता किसके पास जाए और क्या करे?”

600 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं

किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए प्रियंका गांधी ने कहा, “आप जानते हैं कि किसानों ने 9-10 महीने से एक आंदोलन जारी रखा है। इस आंदोलन में 600 से अधिक किसान शहीद हुए हैं। ये आंदोलन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ये जानते हैं कि सरकार के तीन काले कानून के जरिये उनकी आमदनी, उनके खेत, उनकी फसल सब इनके मित्रों के पास जाने वाली है। मोदी जी के अरबपति मित्रों ने पिछले साल हिमाचल से सेब 88 रुपये किलो में खरीदा था। इस साल वही सेब 72 रुपये किलो में खरीद रहे हैं। सबकी मजबूरी हो गई है कि वो सेब का दाम घटाएं। किसान की लागत बढ़ गई है, क्योंकि फसल की कीमत तय करने का फैसला अब खरबपति तय कर रहे हैं । यह स्थिति पूरे देश में होगी। जब इनके कानून लागू होंगे तो आपकी खेती, आपकी फसल सब आपसे छीना जाएगा।”

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