New Delhi : भारत सरकार ने संसद में आज एक विशेष विधेयक पारित किया, जो अपराध की जांच को रफ्तार देने और सजा दर (conviction rate) बढ़ाने में बेहद प्रभावी साबित होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जवाब के बाद बुधवार को राज्यसभा में आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) विधेयक, 2022 विधेयक पारित हुआ। विधेयक को लोकसभा में 4 अप्रैल को पारित किया गया था।
अमित शाह ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य अपराध दर में कमी, अपराधियों की सजा की दर में वृद्धि और देश की सुरक्षा को बढ़ावा देना है। गृह मंत्री ने कहा कि बिल किसी भी व्यक्ति की निजता से समझौता नहीं करेगा और उचित जांच के बाद अधिनियम के नियमों को अधिसूचित किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, “अन्य देशों की तुलना में सख्ती के मामले में हमारा कानून ‘बच्चा’ (कुछ नहीं) है। दक्षिण अफ्रीका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में अधिक कड़े कानून हैं। यही वजह है कि उनकी सजा की दर बेहतर है।”
मानवाधिकारों की रक्षा करेगा
शाह ने कहा कि विधेयक “अपराध पीड़ितों के मानवाधिकारों की रक्षा करने के लिहाज से भी अहम है, न कि केवल अपराधियों के लिए।” बिल के प्रावधानों का दुरुपयोग करने का हमारा इरादा नहीं है। यह हमारी पुलिस को अपराधियों से आगे रखने के लिए है। अगली पीढ़ी के अपराधों से पुरानी तकनीकों से नहीं निपटा जा सकता है। हमें आपराधिक न्याय प्रणाली को अगले स्तर तक ले जाने का प्रयास करना होगा।” शाह ने कहा, “डेटा की सुरक्षा के लिए सर्वश्रेष्ठ तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा और जनशक्ति का प्रशिक्षण होगा।”
ये अधिकार देता है
यह बिल शरीर के उचित माप (उंगली के निशान, हथेली के निशान और पैरों के निशान, फोटोग्राफ, आईरिस और रेटिना स्कैन, भौतिक और जैविक नमूने) लेने के लिए कानूनी मंजूरी प्रदान करता है। इससे अपराध की जांच अधिक कुशलता और तेजी से हो सकेगी।” विधेयक पर बहस में कुल 17 सदस्यों ने भाग लिया। कुछ विपक्षी सदस्यों ने विधेयक को “असंवैधानिक” करार दिया और कहा कि इसे सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाना चाहिए।
NCRB को मिलेगी ताकत
यह विधेयक माप के रिकॉर्ड को एकत्र करने, संग्रहीत करने, संरक्षित करने और रिकॉर्ड के साझाकरण, प्रसार, विनाश और निपटान के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) को सशक्त बनाने का भी प्रयास करता है। यह विधेयक एक मजिस्ट्रेट को किसी भी अपराधी को नमूने देने का निर्देश देने का भी अधिकार देता है। साथ ही पुलिस या जेल अधिकारियों को भी यह अधिकार दिया गया है।