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समस्या : आवारा कुत्तों से परेशान निवासियों ने नसबंदी और मुआवजे की मांग की, सीईओ ऋतु महेश्वरी को लिखा खत

Noida News : यूपी की औद्योगिक राजधानी नोएडा में निवासी आवारा कुत्तों के आतंक से परेशान हैं। आए दिन बड़े-बच्चे, बूढ़े और घरेलू सहायिकाएं आवारा कुत्तों का निशाना बन रही हैं। इससे परेशान लोगों ने अब उनके नसबंदी की मांग शुरू कर दी है।

शहर के प्रमुख संगठन डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (DDRWA) ने नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) की सीईओ ऋतु महेश्वरी (CEO Ritu Maheshwari IAS) को खत लिख कर लोगों की समस्याओं से अवगत कराया है। साथ ही इस खतरे से निपटने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं।

गंभीर समस्या है
संगठन ने लिखा है, “डीडीआरडब्ल्यूए ( डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन, गौतमबुद्ध नगर) आपके ध्यान में लाना चाहता है कि गलियों के आवारा कुत्तों की समस्या शहर की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। अखबारों और व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए रोजाना मिल रही जानकारी के मुताबिक अब कुत्तों का आतंक सारी हद पार कर चुका है। शहर के बच्चे, बूढ़े और ज्यादातर घरेलू सहायिकाएं कुत्तों का शिकार हो रही हैं।”

कार्रवाई हो
संगठन के उपाध्यक्ष संजीव कुमार ने कहा है, “इसके निवारण के लिए हमारा संगठन नोएडा प्राधिकरण और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई करने की अपील करता है। आवारा कुत्तों का खतरा इन दिनों भयावह रूप ले रहा है। कुत्तों के काटने और सड़कों पर खुलेआम घूम रहे मवेशियों से होने वाली दुर्घटनाएं इंसानों के साथ-साथ जानवरों के लिए भी अभिशाप बन गई हैं।”

हादसे हो रहे हैं
संगठन ने आगे लिखा है, “इस समस्या के कारण प्रतिदिन कई जानवर घायल हो रहे हैं। इसी तरह निवासी भी इस समस्या के कारण हर दिन जख्मी हो रहे हैं। यहां तक कि कई लोगों को अपनी जान भी गंवानी पड़ी है। सड़कों पर मवेशियों के खुले घूमने के कारण दोपहिया वाहनों पर सवार लोगों के हादसों का खतरा अधिक होता है।”

10 साल लगेंगे
संगठन ने लिखा है, “एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (AWBI) के दिशानिर्देशों के अनुसार, आवारा कुत्तों को उनके आवास से विस्थापित नहीं किया जा सकता है। इसलिए इस समस्या के समाधान का एक ही रास्ता बचा है, जिसे आवारा पशुओं की नसबंदी के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। भले ही नोएडा प्राधिकरण योजनाबद्ध तरीके से कुत्तों की आबादी को कम और स्थिर करने की कोशिश कर रहा है, मगर शहर में अन्य 4 – 5 एजेंसियों को इस काम में लगाया जाना जरूरी है। फिर भी प्रक्रिया में कम से कम 8 से 10 साल लगेंगे।”

रिकॉर्ड बनाया जाए
संगठन के अध्यक्ष एनपी सिंह ने कहा है, “प्राधिकरण को कुत्तों की संख्या, फॉलो-अप और ऑडिट के लिए दस्तावेजीकरण करना चाहिए। जब तक इस संकट को पूर्ण रूप से नियंत्रित नहीं किया जाता है, प्रशासन को कुत्ते के काटने और दुर्घटना पीड़ितों के लिए मुआवजा पैकेज प्रदान करना चाहिए। प्रशासन द्वारा पीड़ितों का निजी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज किया जाए।”

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