-जिलाधिकारी की सख्ती का असर, आदेश के 69 साल बाद चार भू-संपत्ति निष्क्रांत संपत्ति के रूप में हुई दर्ज
-20 जून 1953 के आदेश का हुआ अनुपालन
-सहायक अभिरक्षक (न्यायिक) फैजाबाद क्षेत्र का था आदेश
-सलेमपुर तहसील के ग्राम भटौली तप्पा मईल के शमसुल हसन विभाजन के समय चले गए थे पाकिस्तान
-कुल 1.5380 हेक्टेयर जमीन निष्क्रांत घोषित
Deoria News : जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (Jitendra Pratap Singh IAS) की सख्ती का असर दिखने लगा है। सहायक अभिरक्षक (न्यायिक) फैजाबाद क्षेत्र द्वारा 1953 में दिए गए आदेश के क्रम में लगभग 69 साल बाद चार भू-संपत्तियों को राजस्व अभिलेखों में निष्क्रांत संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया गया है।
सलेमपुर तहसील के ग्राम भटौली तप्पा मईल निवासी शमसुल हसन पुत्र स्वर्गीय माजीद अली विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। उनकी ग्राम भटौली तप्पा मईल में गाटा संख्या 85, 61, 112 व 271 में सम्मिलित रूप से कुल 1.5380 हेक्टेयर भू संपत्ति थी।
भूमि अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया था
पाकिस्तान जाने की वजह से उनकी यहां रह गई संपत्ति का प्रकरण सहायक अभिरक्षक (न्यायिक), फैजाबाद क्षेत्र के समक्ष पहुंचा। सहायक अभिरक्षक न्यायिक ने दिनांक 20 जून 1953 को निष्क्रांत संपत्ति अधिनियम 1950 के आधार पर उक्त संपत्ति को निष्क्रांत श्रेणी की घोषित कर दी थी और प्रशासन को उक्त भूमि अपने कब्जे में लेने का आदेश दिया था।
69 वर्ष से लंबित आदेश का अनुपालन हो गया
लेकिन, अभी तक इस निर्देश का अनुपालन नहीं हो पाया था। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह की सख्ती के बाद आखिरकार लगभग 69 वर्ष से लंबित आदेश का अनुपालन हो गया। पाकिस्तान जाने वाले लोगों की निष्क्रांत घोषित संपत्ति का वितरण पाकिस्तान से आने वाले शरणार्थियों में प्राथमिकता के आधार पर किया जाता था।
समयबद्ध निस्तारण का निर्देश दिया
जिलाधिकारी ने ऐसे समस्त राजस्व प्रकरणों के समयबद्ध निस्तारण का निर्देश दिया है, जिनका संबन्ध शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968 से अथवा निष्क्रांत संपत्ति अधिनियम 1950 से संबंधित हो।
प्रबंधन की कार्रवाई शुरू कर दी गई
जिलाधिकारी ने बताया कि ग्राम भटौली तप्पा मईल, तहसील सलेमपुर की राजस्व अभिलेख में शमसुल हसन की संपत्ति को निष्क्रांत संपत्ति के रूप में दर्ज कर लिया गया है। इसके साथ ही निष्क्रांत संपत्ति को कब्जे में लेकर उसके प्रबंधन की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जनपद में ऐसी सभी संपत्तियों को चिन्हित करके उनका निस्तारण किया जा रहा है।