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Ganga Expressway के काम में आई तेजी : मंत्रालयों से मिली सभी स्वीकृति, पढ़ें पूरा प्रोजेक्ट

Ganga Expressway : पूर्वी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे (Ganga Greenfield Expressway) के निर्माण कार्य में फिर तेजी आई है। भारी बारिश की वजह से इस एक्सप्रेस-वे का काम सुस्त पड़ गया था। वेस्ट यूपी की ऐतिहासिक-पौराणिक नगरी मेरठ से शुरू होकर 594 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे (Ganga Expressway) प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज में समाप्त होगा।

देश का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे

डीबीएफओटी (Design, Build, Finance, Operate & Transfer) (टोल) मॉडल पर बन रहे देश के सबसे लंबे एक्सप्रेसवे को चार भाग में बांट कर काम कराया जा रहा है। मेरठ से बदायूं तक के पहले सेक्शन के 130 किमी निर्माण के लिए आईआरबी इन्फ्राट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड (IRB Infrastructure Developers Limited) और अन्य 3 सेक्शंस में करीब 464 किमी निर्माण के लिए अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (Adani Enterprises Limited) को कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है। बिड में इन दोनों कंपनियों ने सबसे कम की बोली लगाई थी।

ये है प्रोग्रेस

उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी-यूपीडा (Uttar Pradesh Expressways Industrial Development Authority – UPEIDA) से मिली जानकारी के मुताबिक 2 अक्टूबर तक गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के क्लीयरिंग और ग्रबिंग का कुल 67.81 प्रतिशत काम हुआ है। इसमें सेक्शन 1 में 81 फ़ीसदी, सेक्शन 2 में 74%, सेक्शन 3 में 60% और सेक्शन 4 में 57% काम हुआ है। दरअसल पिछले कुछ वक्त से उत्तर प्रदेश में हो रही लगातार भारी बारिश के चलते एक्सप्रेस के निर्माण कार्य में बाधा आई। लेकिन अब काम में तेजी आ रही है।

8700 पेड़ काटने की मंजूरी मिली

गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे रूट में कुल 11163 पेड़ पड़ रहे हैं। इसके लिए 1035 आवेदन केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय को भेजे गए थे, जिसमें से 846 आवेदनों पर केंद्रीय मंत्रालय ने स्वीकृति दे दी है। इसके तहत कुल 8731 पेड़ों को काटने की मंजूरी मिली है। इनमें से 2697 वृक्ष अब तक काटे गए हैं।

94 प्रतिशत भूमि अधिग्रहित

गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना में अप्रैल 2022 तक जारी रिकॉर्ड के मुताबिक –
मेरठ के 9 गांव के 1116 किसानों से
हापुड़ के 29 गांव के 3925 किसानों से
बुलंदशहर के 8 गांव के 1004 किसानों से
अमरोहा के 25 गांव के 3146 किसानों से
संभल के 31 गांव के 5140 किसानों से
बदायूं के 85 गांव के 14001 किसानों से
शाहजहांपुर में 41 गांव के 5624 कृषकों से
हरदोई में 88 गांव के 17696 किसानों से
उन्नाव के 76 गांव में 15059 किसानों से
रायबरेली के 63 गांव के 12299 कृषकों से
प्रतापगढ़ के 43 गांव के 5927 किसानों और
प्रयागराज के 20 गांव के 3323 कृषकों सहित
कुल 88260 किसानों से 93.55 प्रतिशत जमीन अधिग्रहित हो चुकी है।

यहां से शुरू होगा

प्रवेश नियंत्रित गंगा एक्सप्रेसवे (Total Access Controlled) मेरठ-बुलन्दशहर मार्ग (N.H.334) पर जनपद मेरठ के बिजौली ग्राम के समीप से प्रारम्भ होगा एवं प्रयागराज बाईपास (N.H.2) पर जनपद प्रयागराज के जुड़ापुर दॉदू गांव के समीप समाप्त होगा। सब कुछ ठीक रहा तो साल 2024 तक इस एक्सप्रेसवे को तैयार कर लिया जाएगा।

12 जिलों को सीधे जोड़ेगा

यह एक्सप्रेसवे यूपी के 12 जिलों को सीधे जोड़ेगा। गंगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ एवं प्रयागराज से होकर जायेगा। शुरुआत में यह एक्सप्रेसवे 6 लेन का तैयार हो रहा है। लेकिन बाद में इसे 8 लेन तक विस्तार दिया जा सकेगा। इसकी लम्बाई 594 किमी (593.947 किमी) एवं राइट ऑफ वे 120 मीटर है। गंगा एक्सप्रेसवे पर प्रवेश एवं निकासी के लिए अतिरिक्त 17 स्थानों पर इण्टरचेंज की सुविधा दी जाएगी। आपातकाल में वायु सेना के विमानों के लैण्डिंग और टेक ऑफ के लिए जनपद शाहजहांपुर में एक्सप्रेसवे पर हवाई पट्टी विकसित की जाएगी।

381 अंडरपास बनेंगे

एक्सप्रेसवे के आस-पास के गांवों के निवासियों को सुगम आवागमन की सुविधा के लिए स्टैगर्ड के रूप में 3.75 मीटर सर्विस रोड का प्रावधान किया गया है। एक्सप्रेसवे निर्माण के अंतर्गत 7 आरओबी, 14 दीर्घ सेतु, 126 लघु सेतु, 381 अण्डरपास का निर्माण कराया जाएगा। इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे का डिजाइन स्पीड 120 किमी/घण्टा के आधार पर तैयार हुआ है। इसमें ग्रुप की संख्या 4 (प्रत्येक ग्रुप में 03 पैकेज) रहेगी। इस पर जन सुविधा परिसर 9, मुख्य टोल प्लाजा 2 (मेरठ एवं प्रयागराज), रैम्प टोल प्लाजा 15, गंगा नदी पर लगभग 960 मीटर एवं रामगंगा नदी पर लगभग 720 मीटर लम्बाई के बड़े पुल बनाए जाएंगे।

6 घंटे का होगा सफर

इस एक्सप्रेस-वे के पूर्ण हो जाने से लखनऊ से मेरठ की बीच की दूरी सिमट जाएगी। दोनों शहरों के बीच 12-15 घण्टे के स्थान पर 5-6 घण्टे लगेंगे। जबकि प्रयागराज और मेरठ के बीच की दूरी लगभग साढ़े छः घण्टे में तय की जा सकेगी। 21 अगस्त, 2021 को गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के क्रियान्वयन के लिए सेक्योरिटाइजेशन के आधार पर पंजाब नेशनल बैंक ने 5,100 करोड़ रुपये की ऋण स्वीकृति पत्र के हस्तांतरण पर साइन किया था।

संकल्पित है सरकार

इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार जनकल्याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने के साथ ही, अवस्थापना सुविधाओं के तेजी से विकास के लिए कृतसंकल्प है। राज्य सरकार प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश को देश का ग्रोथ इंजन बनाने के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

इतनी लागत आएगी

गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना की आकलित सिविल निर्माण लागत लगभग 22,125 करोड़ रुपये है। एक्सप्रेसवे के लिए जरूरी भूमि अधिग्रहण में कुल 9,255 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी। प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित लागत 36,230 करोड़ रुपये है। इस एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद करीब 20 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

पीएम ने किया था शिलान्यास

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की आचार संहिता से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 दिसंबर, 2021 को शाहजहांपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे का शिलान्यास किया था। विधानसभा चुनाव के बाद एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू करने का निर्णय लिया गया था। बिड के मुताबिक अडानी ग्रुप के अधिकारियों की टीम मशीनों के साथ बदायूं पहुंची थी। भूमि पूजन के बाद एक्सप्रेस-वे का निर्माण शुरू कर दिया गया था।

एनसीआर तक पहुंचेंगे उत्पाद

देश के दूसरे सबसे लंबे गंगा एक्सप्रेस वे के निर्माण से न केवल ऐतिहासिक नगरी मेरठ और सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज के बीच आवागमन में सुविधा मिलेगी, बल्कि रोजगार और कारोबार के संसाधन भी विकसित होंगे। इस एक्सप्रेस वे के बनने के बाद इससे जुड़े क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक विकास होगा। कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा। इससे देश के विकास को बल मिलेगा। सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि प्रदेश के 12 जनपदों में निर्मित उत्पाद सरलता से राजधानी दिल्ली और एनसीआर के शहरों तक पहुंच जाएंगे।

औद्योगिक गतिविधियां बढ़ेंगी

राज्य सरकार इस एक्सप्रेस-वे से जुड़े इलाकों में इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान और मेडिकल संस्थान के लिए भी जमीन उपलब्ध कराएगी। ताकि इस एक्सप्रेस-वे को विकास का मार्ग बनाया जा सके। इसके अलावा यहां खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए भी समुचित संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे।

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