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यूपी के 24 जिले बाढ़ से अति संवेदनशील : सीएम योगी ने प्रबंधन के लिए दी 15 जून की डेडलाइन, पढ़ें शासन की पूरी तैयारी

Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक बैठक में शासन स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बाढ़ प्रबन्धन और जन-जीवन की सुरक्षा के दृष्टिगत की जा रही तैयारियों की समीक्षा की और व्यापक जनहित में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस बैठक में बाढ़ की दृष्टि से अतिसंवेदनशील/ संवेदनशील जनपदों के जिलाधिकारियों ने भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सहभागिता की तथा अपनी तैयारियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रदेश में व्यापक जन-धन हानि के लिए दशकों तक कारक रही बाढ़ की समस्या के स्थायी निदान के लिए विगत 06 वर्षों में किए गए सुनियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिले हैं। बाढ़ की दृष्टि से अति संवेदनशील जिलों की संख्या में अभूतपूर्व कमी आई है। विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार राज्य सरकार ने आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग कर बाढ़ से खतरे को न्यूनतम करने में सफलता पाई है। बाढ़ से जन-जीवन की सुरक्षा के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय से अच्छा कार्य हुआ है। उन्होंने इस वर्ष भी बेहतर समन्वय, क्विक एक्शन और बेहतर प्रबन्धन से बाढ़ की स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कराये जाने के आदेश दिये।

सीएम ने कहा कि जन-धन की सुरक्षा को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए वर्ष 2017-18 से अब तक 982 बाढ़ परियोजनाएं पूर्ण की गईं। इसमें 282 परियोजनाएं अकेले वर्ष 2022-23 में पूरी की गई हैं। वर्तमान में 265 नई परियोजनाओं, 07 ड्रेजिंग सम्बन्धी परियोजनाओं और पूर्व से संचालित 140 परियोजनाओं सहित कुल 412 परियोजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। इन परियोजनाओं का 50 प्रतिशत कार्य पूरा हो गया है। अवशेष कार्य नियत समय के भीतर पूरा करा लिया जाए।

प्रदेश में बाढ़ की दृष्टि से 24 जनपद अति संवेदनशील एवं 16 जनपद संवेदनशील श्रेणी में हैं। अति संवेदनशील श्रेणी में जनपद महराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर, गाजीपुर, गोण्डा, बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, संतकबीरनगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं।

जबकि संवेदनशील श्रेणी में जनपद सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्धनगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज सम्मिलित हैं।

सीएम ने निर्देशित किया कि अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति हेतु पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबन्ध सुनिश्चित किया जाए। सभी 780 बाढ़ सुरक्षा समितियाँ एक्टिव मोड में रहें। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबन्धों का जिलाधिकारी स्वयं निरीक्षण कर लें। अतिसंवेदनशील और संवेदनशील प्रकृति वाले जिलों में जिलाधिकारीगण, क्षेत्रीय सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगरीय निकाय के चेयरमैन/ अध्यक्ष की उपस्थिति में बाढ़ पूर्व हो रही तैयारियों की समीक्षा करें। जिलाधिकारीगण संवेदनशील स्थलों का भौतिक निरीक्षण जनप्रतिनिधियों के साथ जरूर करें। यह कार्य माह जून के पहले सप्ताह में कर लिया जाए।

उन्होंने कहा कि भारतीय मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, केंद्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के साथ ही प्रदेश के सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत, पशुपालन, कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण के बीच बेहतर तालमेल हो। केन्द्रीय एजेंसियों/ विभागों से सतत संवाद-सम्पर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त आकलन/ अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध करायी जाए। भारत सरकार की एजेंसियों की मदद से आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान की बेहतर प्रणाली के विकास के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।

राज्य में बाढ़ से सुरक्षा के लिए विभिन्न नदियों पर 3869 किमी लम्बाई वाले 523 तटबन्ध निर्मित हैं। बाढ़ की आशंका को देखते हुए सभी तटबन्धों की सतत निगरानी की जाए। राज्य स्तर और जिला स्तर पर बाढ़ राहत कण्ट्रोल रूम 24ग7 एक्टिव मोड में रहें। बाढ़ के साथ-साथ जलभराव के लिए भी ठोस प्रयास करना होगा। जिलाधिकारीगण स्वयं रुचि लेकर जलभराव से बचाव के लिए व्यवस्था की देख-रेख करें। प्रत्येक दशा में आगामी 30 जून तक नालों आदि की सफाई का कार्य पूर्ण करा लिया जाए।

बाढ़ के प्रति अतिसंवेदनशील तटबन्धों जैसे –
-गोरखपुर में राप्ती नदी पर निर्मित बढ़या-कोठा तटबन्ध, गाहासाड़-कोलिया एवं बोक्टा-बरवार तटबन्ध
-जनपद बलिया में गंगा नदी पर दूबे छपरा-टेंगरही तटबन्ध एवं सरयू नदी पर निर्मित तुर्तीपार-श्रीनगर तटबन्ध
-कुशीनगर में बड़ी गंडक नदी पर एपी तटबन्ध एवं अमवाखास तटबन्ध
-देवरिया ने गोर्रा नदी पर पाण्डेय माझा-जोगिया तटबन्ध
-गोण्डा में सरयू नदी पर निर्मित सकरौर-भिखारीपुर तटबन्ध एवं एल्गिन ब्रिज-चरसरी तटबन्ध
-जनपद बहराइच में सरयू नदी पर निर्मित बेल्हा-बेहरौली तटबन्ध एवं रेवली आदमपुर तटबन्ध
-बलरामपुर में राप्ती नदी पर निर्मित बलरामपुर-भड़रिया एवं राजघाट तटबन्ध
-बस्ती में कटरिया-चांदपुर तटबन्ध, चांदपुर-गोरा तटबन्ध, कलवारी-रामपुर तटबन्ध, विक्रमजोत-घुसवा तटबन्ध एवं काशीपुर-दुबौलिया तटबन्ध
-बाराबंकी में सरयू नदी पर अलीनगर-रानीमऊ तटबन्ध और रामपुर में कोसी नदी पर लालपुर रुहेला तटबन्ध पर मरम्मत के समस्त कार्य पूर्ण करा लिए जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अत्यन्त आवश्यक है कि अपराधी/ माफिया प्रवृत्ति/ खराब छवि के लोग सिंचाई विभाग की परियोजनाओं की ठेकेदारी में कतई न प्रवेश करने पाएं। ठेकेदार तय करते समय सूक्ष्मता से पड़ताल कर इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि ऐसा होता हुआ पाया गया और उसमें किसी शासकीय अधिकारी/ कर्मचारी की संलिप्तता मिली, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उत्तर प्रदेश पुलिस रेडियो मुख्यालय द्वारा बाढ़ से प्रभावित जनपदों में 113 बेतार केन्द्र अधिष्ठापित किए गए हैं। पूरी मॉनसून अवधि में यह केन्द्र हर समय एक्टिव रहें। आपदा प्रबन्धन के लिए जनपदों की अपनी कार्ययोजना होनी चाहिए। एनडीआरएफ/ एसडीआरएफ के सहयोग से युवाओं को प्रशिक्षित किया जाए। समस्त अतिसंवेदनशील तटबन्धों पर नामित प्रभारी अधिकारी 24*7 अलर्ट मोड में रहें। तटबन्धों पर क्षेत्रीय अधिकारियों/ कर्मचारियों द्वारा लगातार निरीक्षण एवं सतत् निगरानी की जाती रहे। बारिश के शुरुआती दिनों में रैटहोल/ रेनकट की स्थिति पर नजर रखी जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़/ अतिवृष्टि की स्थिति पर सतत नजर रखी जाए। नदियों के जलस्तर की मॉनीटरिंग की जाए। प्रभावित जिलों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ/ पीएसी तथा आपदा प्रबन्धन टीमें 24*7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबन्धन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जानी चाहिए। इन्हें विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाए।

नौकाएं, राहत सामग्री आदि के प्रबन्ध समय से कर लिए जाएं। बाढ़ एवं अतिवृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। बड़ी नौका का प्रयोग किया जाए। छोटी नौका/ डोंगी का प्रयोग कतई न हो। नौका पर सवार सभी लोग लाइफ जैकेट जरूर पहने हुए हों।

बाढ़ के दौरान और बाद में बीमारियों के प्रसार की सम्भावना बढ़ जाती है। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेष स्वास्थ्य किट तैयार करके जनपदों में पहुंचा दी जाए। क्लोरीन, ओआरएस, बुखार आदि की पर्याप्त दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। कुत्ता काटने/ सांप काटने की स्थिति में प्रभावित लोगों को तत्काल चिकित्सकीय मदद मिलनी चाहिए। लोगों को बताया जाए कि बाढ़ का पानी कतई न पीयें, जब भी पानी पीयें, उबाल कर-छान कर पीयें। राहत शिविरों में चिकित्सकों की टीम भी विजिट करे।

बाढ़ के दौरान जिन गांवों में जलभराव की स्थिति बनेगी, वहां आवश्यकतानुसार पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। इसके लिए जनपदों में स्थिति को देखते हुए स्थान का चयन कर लिया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं का टीकाकरण समय से कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। कण्ट्रोल रूम क्रियाशील रहे।

बाढ़ प्रभावित लोगों को दी जाने वाली राहत सामग्री की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए। राहत आयुक्त स्तर से खाद्य सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए। राहत सामग्री का पैकेट मजबूत हो, लोगों को कैरी करने में आसानी हो। जिलाधिकारीगण यह सुनिश्चित करें कि किसी भी काश्तकार की निजी भूमि पर सिल्ट न डाली जाए। यदि विशेष परिस्थिति में ऐसा करना आवश्यक हो, तो काश्तकार को विश्वास में लिया जाए और मनरेगा के माध्यम से सिल्ट का उचित निस्तारण कराया जाए।

सीएम ने कहा कि जनपद बिजनौर में विदुरकोटि के पास पूर्व में गंगा जी का प्रवाह था। बदलते समय के साथ यह धारा दूर हो गई है। विदुरकोटि के पास गंगा की जलधारा प्रवाह के लिए परियोजना का प्रस्ताव तैयार करें। यह कार्य स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने में भी सहायक होगा। नदी के किनारे बसे आवासीय इलाकों और खेती की सुरक्षा में नदियों के चैनलाइजेशन उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं। यह कार्य सतत जारी रहना चाहिए। इसके लिए ड्रोन आदि नवीनतम तकनीक का प्रयोग करते हुए समय से कार्ययोजना तैयार करें। जो सिल्ट निकले उसका नियमानुसार ऑक्शन किया जाए।

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