Uttar Pradesh : उर्वरक की कमी और कालाबाजारी को देखते हुए योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने किसानों को गुणवत्तायुक्त रासायनिक उर्वरक उपलब्ध कराने एवं उर्वरक का शत् प्रतिशत वितरण सुनिश्चित करने के लिये प्रदेश के समस्त मण्डलायुक्त एवं जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं। इसमें कहा गया है कि प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीन के माध्यम से उर्वरक की बिक्री की जाए। उसके बाद सभी लाभार्थी किसानों का विवरण उर्वरक वितरण रजिस्टर पर अंकित किया जाए।
साथ ही यह भी निर्देश दिये हैं कि डीएपी, एनपीके एवं एसएसपी उर्वरकों की बिक्री बोरी पर अंकित अधिकतम खुदरा मूल्य से अधिक दर पर न की जाय। ऐसा करने वाले उर्वरक विक्रेताओं पर नियमानुसार कार्रवाई किये जाने के आदेश दिये गये हैं। अपर मुख्य सचिव कृषि, डॉ देवेश चतुर्वेदी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में किसानों ने रबी फसलों की बुवाई का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया है। इस समय वेसल-ड्रेसिंग में मुख्य रूप से फास्फेटिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। इससे वर्तमान में फास्फेटिक उर्वरकों की मांग अधिक होती है। ऐसे में शासन की प्राथमिकता है कि प्रत्येक किसान को उसकी मांग एवं आवश्यकतानुसार फास्फेटिक उर्वरक की उपलब्धता अवश्य सुनिश्चित हो।
हर केंद्र का सत्यापन करें
अपर मुख्य सचिव, कृषि ने बताया कि किसानों को पहचान पत्र के आधार पर उनकी जोत एवं फसल के आधार पर संस्तुत मात्रा के अनुसार ही उर्वरक उपलब्ध कराये जाने के निर्देश दिये गये हैं। ताकि महंगे उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग एवं कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यों में दुरूपयोग को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय अधिकारी नियमित रूप से जनपद में बफर गोदामों एवं थोक उर्वरक विक्रेताओं के भौतिक स्टॉक का आईएफएमएस पोर्टल के अनुसार तथा फुटकर उर्वरक विक्रेताओं के भौतिक स्टॉक का पीओएस मशीन से मिलान करते हुये सत्यापन की कार्रवाई सुनिश्चित करें।
कड़ी कार्रवाई करें
डॉ चतुर्वेदी ने कहा कि यदि उर्वरक विक्रेता अधिकतम खुदरा मूल्य पर उर्वरक बिक्री करता पाया जाए तो उसके विरूद्ध सर्वोच्च प्राथमिकता पर विधिसंगत कार्रवाई की जाए। साथ ही अनावश्यक भण्डारण कर उर्वरकों का कृत्रित अभाव उत्पन्न करने वाले खाद विक्रेताओं के पास अधिक भण्डारित स्टॉक को बाजार में किसानों को बिक्री हेतु अविलम्ब अवमुक्त कराएं। इसमें शामिल दोषियों के विरूद्ध सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत विधिक कार्रवाई करें।