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UP Cabinet Decisions : यूपी कैबिनेट ने जल से लेकर जहाज तक के प्रस्तावों को दी मंजूरी, पढ़ें मंत्रिपरिषद के सभी फैसले

Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की अगुवाई में मंगलवार को यूपी कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी मिली।

1 – वित्तीय वर्ष 2022-23 में 35 करोड़ पौधारोपण के लिए निःशुल्क पौधे उपलब्ध कराये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने प्रदेश के पर्यावरणीय लाभ एवं कृषकों की आय में सतत वृद्धि के दृष्टिगत वर्ष 2022-23 में 35 करोड़ पौधरोपण के लिए प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों, न्यायालय परिसर, कृषकों, संस्थाओं, व्यक्तियों, निजी एवं शासकीय शिक्षण संस्थाओं, भारत सरकार के विभाग एवं उपक्रम, स्थानीय निकायों यथा ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर निगम, नगर पालिका परिषद, प्राधिकरण आदि, रेलवे, रक्षा, औद्योगिक इकाइयां, सहकारी समितियां एवं अन्य को सम्बन्धित शासकीय विभागों, संस्थाओं के माध्यम से पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौधे (यूकेलिप्टस एवं पॉपलर को छोड़कर) उपलब्ध कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

बताते चलें कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-23 में 35 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से 12.60 करोड़ पौधों का रोपण पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग तथा 22.40 करोड़ पौधों का रोपण राज्य सरकार 26 अन्य राजकीय विभागों द्वारा जनसहभागिता, जिनमें नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, जनपद स्तरीय विभागों के मुख्यालय, विकास खण्डों, कृषकों, समाज सेवी संस्थाओं तथा एनएसएस के कार्यकर्ताओं का सहयोग प्राप्त कर (कोरोना प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए) किया जाएगा।


वृक्षारोपण जन आन्दोलन, 2022-23 का उद्देश्य प्रदेश के वनावरण व वृक्षारोपण में वृद्धि, जैव विविधता का संरक्षण एवं विकास तथा जन सहयोग से वानिकी को जन आन्दोलन बनाया जाना है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग वृक्षारोपण के लिए एक तकनीकी विभाग है। विभाग में पौधरोपण के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध है। निर्धारित 12.60 करोड़ पौधरोपण लक्ष्य के सापेक्ष 1755 पौधशालाओं में 40 करोड़ पौधे तैयार किये जा चुके हैं।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को छोड़कर अन्य राजकीय विभागों के पास सामान्यतः बजट उपलब्ध नहीं रहता है। इस कारण विभाग ने प्रदेश के समस्त शासकीय विभागों एवं अन्य को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की पौधशालाओं से निःशुल्क पौधे (यूकेलिप्टस और पॉपलर को छोड़कर) उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की है।

2 – ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (माइक्रो इरीगेशन) कार्यक्रम में ड्रिप एवं स्प्रिकंलर सिंचाई के प्रोत्साहन के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2026-27 (05 वर्ष) तक अतिरिक्त राज्य सहायता (टॉप-अप) अनुमन्य किये जाने के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ (माइक्रो इरीगेशन) कार्यक्रम में ड्रिप एवं स्प्रिकंलर सिंचाई के प्रोत्साहन के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2026-27 (05 वर्ष) तक अतिरिक्त राज्य सहायता (टॉप-अप) अनुमन्य किये जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को और अधिक ग्राह्य किये जाने के उद्देश्य से मंत्रिपरिषद द्वारा निर्णय लिया गया है कि ड्रिप सिंचाई, मिनी एवं माइक्रो स्प्रिकंलरके लिए लघु सीमांत कृषकों को पूर्व की भांति यथावत 90 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को 80 प्रतिशत अनुदान की सुविधा सुलभ करायी जाए। यह सुविधा इस अधिक लागतजन्य सिंचाई विधा के अंगीकरण में प्रेरक एवं सहायक होगी।


इस प्रस्तावित कुल अनुदान में अनिवार्य राज्यांश के साथ ही लघु सीमांत एवं अन्य कृषकों को 35-35 प्रतिशत अतिरिक्त राज्यांश अनुदान (टॉप-अप) के रूप में सम्मिलित होगा। कम लागतजन्य एवं लार्ज वॉल्यूम (रेनगन) स्प्रिंकलर में निर्धारित इकाई लागत के सापेक्ष लघु सीमांत कृषकों को 75 प्रतिशत एवं अन्य कृषकों को 65 प्रतिशत अनुदान प्रस्तावित है।


इस प्रकार पोर्टेबल एवं लार्ज वॉल्यूम (रेनगन) स्प्रिकंलरपर कुल अनुदान में लघु सीमान्त एवं अन्य कृषकों को 20 प्रतिशत अतिरिक्त राज्यांश अनुदान (टॉप-अप) के रूप में सम्मिलित होगा। अनुदान की यह व्यवस्था आगामी 05 वर्षों (2022-23 से 2026-27 तक) के लिए लागू रहेगी। प्रदेश के कृषक ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई का लाभ प्राप्त करने के लिए उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के पोर्टल पर पंजीकरण कराते हुए प्रथम आवक-प्रथम पावक के सिद्धान्त पर योजना का लाभ प्राप्त कर सकेंगे। शासकीय अनुदान की धनराशि संतोषजनक कार्य के सत्यापनोपरान्त डीबीटी के माध्यम से लाभार्थी के आधार सीडेड बैंक खाते में एवं बैंक ऋण की स्थिति में लाभार्थी कृषक के आधार सीडेड ऋण खाते में अंतरित की जाएगी।

3 – नगर निकाय क्षेत्र में सम्मिलित किये गये ग्रामों में भी स्वामित्व योजना के अन्तर्गत आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख क्रिया के कार्य को जारी रखे जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने नगर निकाय क्षेत्र में सम्मिलित किये गये ग्रामों में भी स्वामित्व योजना के अन्तर्गत आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख क्रिया के कार्य को जारी रखे जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।

भारत सरकार द्वारा स्वामित्व योजना का क्षेत्र ‘ग्रामीण आबादी’ नियत है, परन्तु स्वामित्व योजना के अन्तर्गत होने वाले उक्त लाभों के दृष्टिगत आम जनता के हित में राजस्व विभाग द्वारा दिनांक 15 जून, 2020, 15 जुलाई, 2020 व 25 अप्रैल, 2022 को निर्गत अधिसूचनाओं के पश्चात नगर विकास विभाग द्वारा निर्गत अधिसूचनाओं, जिसके माध्यम से कतिपय ग्राम नगर निकाय क्षेत्र (नगर निगम, नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत आदि) में सम्मिलित किये गये हैं।

इससे उन ग्रामों की परिस्थिति में परिवर्तन हुआ है। मंत्रिपरिषद द्वारा ऐसे ग्रामों में भी स्वामित्व योजना के अन्तर्गत आबादी सर्वेक्षण एवं अभिलेख क्रिया के कार्य को जारी रखने का निर्णय लिया गया है। इससे सम्पत्ति सम्बन्धी विवाद में कमी आएगी। इन ग्राम के निवासियों को अपने ग्राम के आबादी क्षेत्र में स्थित अपनी सम्पत्तियों (भवन, प्लॉट आदि) के प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त होंगे, जिनका उपयोग बैंकों से लोन आदि प्राप्त करने में किया जा सकेगा। 

4 – प्रदेश के अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को खाद्यान्न, आयोडाइज्ड नमक, साबुत चना एवं रिफाइण्ड सोयाबीन ऑयल का निःशुल्क वितरण कराये जाने से राज्य सरकार पर 3196.81 करोड़ का अनुमानित व्ययभार अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के अन्तर्गत आच्छादित अन्त्योदय एवं पात्र गृहस्थी कार्ड धारकों को वितरण के लिए आयोडाइज्ड नमक, साबुत चना एवं रिफाइन्ड सोयाबीन ऑयल की आपूर्ति के सापेक्ष राज्य सरकार पर 3196.81 करोड़ रुपये के अनुमानित व्ययभार के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।


ज्ञातव्य है कि मंत्रिमण्डल द्वारा 26 मार्च, 2022 को विचार-विमर्श के पश्चात यह निर्णय लिया गया कि सभी राशन कार्ड धारकों को माह अप्रैल से जून, 2022 (कुल 03 माह) तक प्रत्येक राशन कार्ड पर 01 किलो ग्राम आयोडाइज्ड नमक, 01 लीटर रिफाइंड ऑयल एवं 01 किलो ग्राम दाल/साबुत चना का वितरण निःशुल्क किया जाए।

यह भी निर्णीत हुआ था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अन्त्योदन राशन कार्ड धारकों को 35 किलो ग्राम खाद्यान्न एवं पात्र गृहस्थी राशन कार्ड धारकों को प्रति यूनिट 05 किलो ग्राम खाद्यान्न का निःशुल्क वितरण भी माह अप्रैल, 2022 से माह जून, 2022 (कुल 03 माह) तक किया जाए। उपरोक्त के साथ अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों अगले 03 माह के लिए प्रति माह 01 किलो ग्राम चीनी का निःशुल्क वितरण भी किये जाने का निर्णय लिया गया था।

5 – होमगार्ड्स स्वसंसेवकों को जो प्रशिक्षण अवधि में भत्ता अनुमन्य कराये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने होमगार्ड्स स्वसंसेवकों को जो-जो प्रशिक्षण जिस-जिस समय अवधि के लिए प्रदान किये जा रहे हैं, वह शासन द्वारा निर्धारित एवं अनुमोदित होने की दशा में ड्यूटी पर अनुमन्य भत्ते के समतुल्य प्रशिक्षण अवधि में भत्ता अनुमन्य कराये जाने के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है। होमगार्डस का ड्यूटी भत्ता 786 रुपये प्रतिदिन है, जबकि उसके प्रशिक्षण में भेजे जाने पर उसे मात्र 260 रुपये प्रतिदिन प्रशिक्षण भत्ता अनुमन्य है। इस कारण से होमगार्ड्स को प्रशिक्षण में समुचित मनोयोग से भाग लेने में कठिनाई होती है।


इस क्रम में होमगार्डस स्वयंसेवकों एवं अवैतनिक अधिकारियों को शान्ति एवं सुरक्षा व्यवस्था की बढ़ती चुनौतियों के दृष्टिगत अधिक कार्यकुशल एवं दक्षतापूर्ण बनाने के उद्देश्य से स्वयंसेवकों को शासन द्वारा निर्धारित ड्यूटी भत्ते के समतुल्य प्रशिक्षण अवधि में प्रशिक्षण भत्ता अनुमन्य कराये जाने का निर्णय लिया गया है। प्रशिक्षण भत्ता एवं ड्यूटी भत्ता समान होने पर होमगाडर््स स्वयंसेवकों में प्रशिक्षण के प्रति रूचि बढ़ेगी और मनोबल में वृद्धि होगी। इससे उनके द्वारा पूर्ण मनोयोग से प्रशिक्षण प्राप्त किया जा सकेगा। फलस्वरूप वे अपने दायित्वों को अधिक कुशलतापूर्वक करने में सक्षम होंगे।

6 – जनपद प्रयागराज के श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क फेज-1 का पर्यटन विकास कराये जाने के लिए उच्च विशिष्ट कार्यों के सम्बन्ध में

मंत्रिपरिषद ने जनपद प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर धाम निषादराज पार्क (फेज-1) के निर्माण के लिए प्रस्तावित उच्च विशिष्ट कार्याें यथा स्टोन वर्क वॉल लाईनिंग, आरनामेन्टल स्टोन वर्क फॉर वाल लाईनिंग, आरनामेन्टल स्टोन वर्क फॉर आर्च डिजाइन, ग्रेनाइट फ्लोरिंग, स्टोन वर्क इन कूपिंग, स्टोन क्लेडिंग, मकराना स्टोन फ्लोरिंग, ग्रेनाइट कोबल आदि के लिए 368.19 लाख रुपये (जी0एस0टी0, सेन्टेज और लेबर सेस सहित) की धनराशि से कराये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।


ज्ञातव्य है कि जनपद प्रयागराज में श्रृंगवेरपुर धाम का पौराणिक, ऐतिहासिक, धार्मिक व पुरातात्विक महत्व है। श्रृंगवेरपुर धाम माँ गंगा के तट पर प्रयागराज में माता शान्ता एवं श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि है। वन गमन के समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने भगवती सीता अनुज लक्ष्मण जी के साथ आश्रम में रात्रिवास किया तथा दूसरे दिन निषादराज ने अपनी नौका से उन्हें गंगा पार पहुंचाया था। इस परियोजना के लिए उप्र प्रोजेक्ट कॉरपोरेशन लिमिटेड को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है।

7 – आरओबी, आरयूबी निर्माण के लिए भारत सरकार की योजना सेन्ट्रल रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड से फण्डिंग के लिए भारत सरकार एवं उ0प्र0 सरकार के मध्य एमओयू सम्पादित किये जाने का प्रस्ताव अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने आरओबी/आरयूबी निर्माण के लिए भारत सरकार की योजना सेन्ट्रल रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड से फण्डिंग के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार, रेल मंत्रालय, भारत सरकार एवं उ0प्र0 सरकार के मध्य एमओयू सम्पादित किये जाने के प्रस्ताव पर एवं इस के लिए प्रस्तावित एमओयू के संलग्न ड्राफ्ट को अनुमोदित कर दिया है। मंत्रिपरिषद ने यह भी निर्णय लिया है कि प्रस्तावित एमओयू में भारत सरकार के किसी भी सन्दर्भ/स्पष्टीकरण के कारण या एमओयू में संशोधन की दशा में या अन्य निर्णय लिये जाने के लिए लोक निर्माण मंत्री का अनुमोदन प्राप्त होगा।


रेलवे उपरिगामी सेतु/अधोगामी सेतु निर्माण के लिए भारत सरकार की योजना सेन्ट्रल रोड इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड से पृथक रूप से फण्डिंग के पश्चात सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार, रेल मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार के मध्य एमओयू के आधार पर औसतन प्रति रेलवे उपरिगामी सेतु/अधोगामी सेतु निर्माण के लिए प्रदेश सरकार पर लगभग 10 प्रतिशत (भूमि अध्याप्ति एवं यूटिलिटी शिफ्टिंग) का व्ययभार मात्र आएगा। शेष व्ययभार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार, रेल मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। प्रदेश में लगभग 3,165 लेवल क्रॉसिंग (रेल सम्पार) हैं, जिनमें 470 से अधिक पर टी0वी0यू0 (ट्रैफिक व्हेकिल यूनिट) 01 लाख से अधिक है। इनमें से लगभग 300 से अधिक सम्पारों पर रेलवे उपरिगामी सेतुओं/अधोगामी सेतुओं का निर्माण आवश्यक है।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार, रेल मंत्रालय भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार एक सुरक्षित एवं निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण सम्पारों पर रेल उपरिगामी सेतुओं का निर्माण कराये जाने के इच्छुक हैं। प्रस्तावित एमओयू के अन्तर्गत सीआरआईएफ से प्राप्त होने वाली धनराशि से प्रदेश के राज्य मार्ग, मुख्य जिला मार्ग एवं अन्य जिला मार्ग (ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं रेल मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित मार्ग, ग्रामीण मार्ग, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अन्तर्गत आने वाले मार्गाें को छोड़कर) पर दुर्घटना सम्भावित रेल सम्पारों पर रेल उपरिगामी सेतु/अधोगामी सेतु निर्मित किये जा सकेंगे। रेल सम्पार आवागमन में सुरक्षा के दृष्टिगत अत्यन्त संवेदनशील स्थल होते हैं। इन स्थलों पर दुर्घटना की सम्भावनाएं निरन्तर बनी रहती हैं। रेल उपरिगामी सेतुओं एवं अधोगामी सेतुओं के निर्माण से रेल सम्पारों पर जनमानस की सुरक्षा के साथ-साथ स्थानीय निवासियों के आवागमन में समय व ईंधन की बचत भी होगी।

8 – राज्य में वायुयानों की मेन्टेनेंस, रिपेयर एण्ड ओवरहॉल सुविधाओं के विकास के सम्बन्ध में नीति अनुमोदित

मंत्रिपरिषद ने राज्य में वायुयानों की मेन्टेनेंस, रिपेयर एण्ड ओवरहॉल (एमआरओ) सुविधाओं के विकास के सम्बन्ध में नीति को अनुमोदित कर दिया है। नागर विमानन क्षेत्र में निरन्तर हो रहे विकास एवं प्रसार के दृष्टिगत एक अनुकूल वातावरण बनाये जाने के लिए प्रदेश में मेंटेनेंस, रिपेयर एण्ड ओवरहॉल (एमआरओ) हब्स की स्थापना की आवश्यकता है। नागर विमानन क्षेत्र में प्रचालन के लिए उपयोग में आने वाले हवाई जहाजों की मेंटेनेंस, रिपेयर एण्ड ओवरहॉल एक सतत और समयबद्ध प्रक्रिया है। भारत में एमआरओ की स्थापना न होने के कारण वायुयानों को मरम्मत के लिए देश के बाहर सिंगापुर, दुबई आदि स्थानों पर भेजा जाता है, जहां पर हवाई जहाजों के मरम्मत में एक तरफ धन एवं फॉरेन एक्सचेंज का व्यय होता है, वहीं दूसरी तरफ अधिक समय भी लगता है।


उत्तर प्रदेश में एमआरओ की स्थापना के व्यापक सम्भावनाएं हैं। वर्ष 2026 तक देश में लगभग 01 हजार नये वायुयानों को क्रय किये जाने की सम्भावनाएं है। सम्प्रति भारत में एमआरओ से सम्बन्धित कतिपय कम्पनियांे द्वारा हैदराबाद और बैंगलुरू में छोटे-मोटे मरम्मत के कार्य किये जाते हैं। वायुयानों की मेन्टेनेंस, रिपेयर एण्ड ओवरहॉल (एमआरओ) सुविधाओं के विकास के सम्बन्ध में नीति के प्रख्यापन से प्रदेश में एमआरओ की स्थापना होगी, जिससे राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही, बड़ी संख्या रोजगार के सृजित होंगे। प्रदेश में एमएसएमई के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। वायुयानों की मरम्मत पर अपेक्षाकृत कम धनराशि व्यय होगी। साथ ही, समय एवं फॉरेन एक्सचेंज की बचत होगी। इससे देश व प्रदेश की जीडीपी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


एमआरओ के अन्तर्गत वायुयानों से सम्बन्धित विभिन्न गतिविधियां वर्णित हैं। इनमें एयरक्राफ्ट हैवी मेन्टेनेंस, इंजन मेन्टेनेंस एण्ड ओवरहॉल, कॉम्पोनेन्ट रिपेयर तथा लाइन मेन्टेनेंस सम्मिलित हैं।

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