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यूपी के किसानों को पराली जलाने से मिलेगी मुक्ति : योगी सरकार के इस फैसले से बढ़ेगी कृषकों की आय, ग्रामीण क्षेत्र में होगा निवेश

Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद (UP Cabinet) ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal) के आदेशों, भारत सरकार की अपेक्षाओं तथा प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना की सम्भावनाओं को फलीभूत करने के लिए वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 (Uttar Pradesh State Bio Energy Policy-2022) को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इससे प्रदेश में 5500 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त होगा।

इस नीति के अन्तर्गत स्थापित होने वाले संयंत्रों से किसानों की आय में वृद्धि होगी। इस नीति के क्रियान्वयन से खेतों में किसानों के पराली जला दिये जाने की समस्या का समाधान होगा। साथ ही वायु प्रदूषण में भी कमी आयेगी। जैविक अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से हो सकेगा। पर्यावरण अनुकूल जैव ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी। बायोमैन्यूर की उपलब्धता तथा प्रयोग से खेतों की उर्वरता बढ़ेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी निवेश तथा रोजगार सृजित होगा। आयातित कच्चे तेल तथा पेट्रोलियम गैस पर निर्भरता कम होगी तथा विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

30 वर्ष की लीज पर मिलेगी
इस नीति के तहत 5 वर्ष में स्थापित होने वाली जैव ऊर्जा परियोजनाओं (कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, बायोइथानॉल तथा बायोडीजल) को भारत सरकार की नीति, योजना के अतिरिक्त उत्पादन पर इन्सेन्टिव दिया जायेगा। साथ ही, जैव ऊर्जा उद्यमों, संयंत्रों की स्थापना तथा फीडस्टॉक के संग्रहण एवं भण्डारण के लिए अधिकतम 30 वर्षों की लीज अवधि पर भूमि एक रुपये प्रति एकड़ वार्षिक के टोकन लीज़ रेन्ट पर उपलब्ध कराई जायेगी।

इतना उपादान दिया जायेगा
इसके अन्तर्गत कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन पर 75 लाख रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक, बायोकोल उत्पादन पर 75000 रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये तक, बायो डीजल के उत्पादन पर 03 लाख रुपये प्रति किलोलीटर की दर से अधिकतम 20 करोड़ रुपये उपादान दिया जायेगा।

ये है लक्ष्य
उपादान के अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति, विद्युत कर शुल्क में 10 वर्षों तक शत-प्रतिशत छूट, बायोमास आपूर्ति की निश्चितता के लिए, एफपीओ, एग्रीगेटर के माध्यम से दीर्घकालीन बायोमास आपूर्ति अनुबंध तथा क्षेत्र सम्बद्धिकरण की व्यवस्था, अतिरिक्त ऊर्जा स्रोत विभाग, यूपीनेडा के माध्यम से उपलब्धतानुसार ग्राम समाज, राजस्व भूमियों तथा चीनी मिल परिसरों में उपलब्ध रिक्त भूमियों का जैव ऊर्जा उद्यम स्थापना तथा बायोमास भण्डारण के लिए आवंटन, जैव ऊर्जा उद्यमों के सह-उत्पाद, बायोमैन्यूर के विक्रय की व्यवस्था तथा जैव ऊर्जा इकाई के कैचमेण्ट एरिया, तहसील में बायोमास के संग्रहण, परिवहन तथा भण्डारण में प्रयुक्त कृषि मशीनरी पर पूंजीगत उपादान की सुविधा दी जायेगी।

हर तहसील में स्थापित होगा बायोप्लांट
इसके अन्तर्गत अपशिष्ट आपूर्ति श्रृंखला का विकास करते हुए प्रत्येक तहसील में एक बायोप्लांट की स्थापना कराई जायेगी। प्रदेश में जैव ऊर्जा इकाइयों की स्थापना के लिए कृषि अपशिष्ट, कृषि उपज मण्डियों का अपशिष्ट, पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिलों का अपशिष्ट, नगरीय अपशिष्ट सहित अन्य जैविक अपशिष्ट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जैव ऊर्जा इकाइयों की स्थापना से इन अपशिष्ट पदार्थों का उचित प्रबन्धन एवं समुचित दोहन भी हो सकेगा।

इतनी लागत आएगी
इस नीति के अन्तर्गत सीबीजी, बायोकोल व बायो एथेनॉल, बायो डीजल उत्पादन संयंत्रों की स्थापना पर राज्य सरकार के बजट में वित्तीय व्यय भार बढ़ने की सम्भावना होगी, जिसमें
-1000 टन सीबीजी प्रतिदिन की क्षमता का कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लांट्स की स्थापना पर 750 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत
-4000 टन बायोकोल प्रतिदिन की क्षमता का बायोकोल प्लांट्स की स्थापना पर 30 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत
-2000 किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता का बायो एथनॉल एवं बायो डीजल प्लांट्स की स्थापना पर 60 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत
-बायोमास के संग्रहण के लिए रेकर, बेलर तथा ट्रालर पर अतिरिक्त अनुदान फार्म मशीनरी एक्यूपमेंट यूनिट की 500 इकाइयों की स्थापना पर 100 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत
-50 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के लिए एप्रोच रोड के निर्माण पर 200 किमी के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। साथ ही जैव ऊर्जा नीति के प्रचार-प्रसार के लिये प्रति जनपद 1 लाख की दर से बजटीय व्यवस्था भी की जायेगी।

कार्यक्रम-2018 लागू किया गया था
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यमों को बढ़ावा देने के उदेश्य से पूर्व में जैव ऊर्जा उद्यम प्रोत्साहन कार्यक्रम-2018 लागू किया गया था। इसके अन्तर्गत प्रदेश में स्थापित होने वाले जैव ऊर्जा उद्यमों को भूमि क्रय पर स्टाम्प ड्यूटी की शत प्रतिशत छूट, उत्पादन प्रारम्भ की तिथि से 10 वर्षों तक एसजीएसटी की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति होगी।

साथ ही इकाई लागत के अनुसार-
-10 करोड़ रुपये तक की इकाई लागत पर 25 प्रतिशत
-10 करोड़ रुपये से 100 करोड़ तक की इकाई लागत पर 20 प्रतिशत तथा
-100 करोड़ रुपये से अधिक इकाई लागत पर 15 प्रतिशत (अधिकतम प्रति इकाई 150 करोड़ रुपये) पूँजीगत उपादान दिया जा रहा था। इस नीति के अन्तर्गत अब तक 14 जैव ऊर्जा इकाइयों को स्वीकृति पत्र निर्गत किये गये, जिनमें से 3 इकाइयाँ पूर्ण हो चुकी हैं।

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