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सहकारी समिति : ग्रामीण समाज को सशक्त बनाने में है खास योगदान, पढ़ें आरम्भ से अब तक का सफर

वर्ष 2020-21 में अल्पकालीन ऋण वितरण के लक्ष्य रु0 10,000.00 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था

इसके सापेक्ष 7085.59 करोड़ का ऋण वितरित किया जा चुका है

विगत वर्षों में 1600 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है

Uttar Pradesh : भारत के ग्रामीण अंचल में सीमान्त एवं छोटे कृषकों को साहूकारों के आर्थिक शोषण से मुक्त कराने के लिए सहकारिता के माध्यम से आसान शर्तों पर कर्ज चुकाने की व्यवस्था, सहकारी ऋण समिति अधिनियम बनाने से हुई। इस अधिनियम में आगे चलकर कुछ कमियां उजागर हुईं। इसे दूर करते हुये एवं सहकारिता के कार्यक्षेत्र में वृद्धि लाने के लिए वर्ष 1912 में नया सहकारी अधिनियम बनाया गया था।

कालान्तर में सहकारी आन्दोलन के बहुमुखी प्रसार को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1965 में नया सहकारी अधिनियम लागू किया गया। वर्तमान में इसी अधिनियम के अधीन समस्त सहकारी समितियां (Co-Operative Society) अपने कार्यों का निष्पादन कर रही हैं। सहकारिता विभाग के संगठन का उददेश्य न केवल कृषकों को सस्ते ऋण की सुविधा उपलब्ध कराना है, वरन् प्रदेश के ग्रामीण तथा शहरी जनता के निर्बल और निर्धन वर्ग को समृद्धशाली बनाते हुये उनके स्तर को ऊपर उठाना है। इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए विभाग ने विभिन्न योजनायें जैसे- सहकारी ऋण एवं बैंकिंग, कृषि निवेश, क्रय-विक्रय, एकीकृत सहकारी विकास परियोजना आदि क्रियान्वित कर सहकारी समितियों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराया है।

सहकारी समितियां सस्ते ऋण की सुविधा उपलब्ध कराने, सदस्यों में बचत की भावना को विकसित करने, कृषकों के उत्पादित वस्तुओं के क्रय-विक्रय की व्यवस्था कर उत्पादकों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में भी सहयोग प्रदान करती हैं। यह समितियां किसानों को कृषि कार्य के उपयोग में आने वाली विभिन्न प्रकार के कृषि निवेशों को उन्हें उचित मूल्य पर उपलब्ध कराती है।

323 शाखाओं के माध्यम से दीर्घकालीन ऋण वितरण

सहकारिता की अधिकोषण योजना के अंतर्गत अल्पकालीन सहकारी साख संरचना के त्रिस्तरीय ढांचे में शीर्ष स्तर पर उत्तर प्रदेश को-आपरेटिव बैंक, जिला स्तर पर 50 जिला सहकारी बैंकों की 1260 शाखाओं तथा न्याय पंचायत स्तर पर 7479 पैक्स स्थित हैं। उप्र सहकारी ग्राम विकास बैंक ग्रामीण क्षेत्र में किसानों को कृषि यन्त्रीकरण, पशुपालन, भूमि सुधार के लिए 323 शाखाओं के माध्यम से दीर्घकालीन ऋण वितरण करता है।

अल्पकालीन ऋण वितरण

वर्ष 2017-18 में अल्पकालीन ऋण वितरण निर्धारित लक्ष्य 8350 करोड़ रुपये के सापेक्ष 3908.04 करोड़ का वितरण किया गया। यह कुल लक्ष्य का 46.80 प्रतिशत है। इससे 14.18 लाख कृषक लाभान्वित हुए। वर्ष 2018-19 में लक्ष्य 7911.72 करोड़ के सापेक्ष 5163.17 करोड़ का वितरण किया गया।  यह वार्षिक लक्ष्य का 65.26 प्रतिशत रहा। इस साल कुल 15.45 लाख कृषकों को लाभान्वित किया गया। इसी तरह वर्ष 2019-20 में लक्ष्य 9500 करोड़ के सापेक्ष 6150.21 करोड़ का वितरण किया गया। यह वार्षिक लक्ष्य का 64.74 प्रतिशत रहा और कुल 16.75 लाख कृषकों को लाभ मिला।

10,000 करोड़ का लक्ष्य रखा गया

वर्ष 2020-21 में अल्पकालीन ऋण वितरण के लक्ष्य रु0 10,000.00 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था। इसके सापेक्ष 7085.59 करोड़ का ऋण वितरित किया जा चुका है। जो वार्षिक लक्ष्य का 70.86 प्रतिशत है। अब तक कुल 17.99 लाख कृषकों को लाभ मिल चुका है। वर्ष 2021-22 में अल्पकालीन ऋण वितरण के लक्ष्य 10000.00 करोड़ के लक्ष्य के सापेक्ष 24 अगस्त, 2021 तक 5021.60 करोड़ का ऋण वितरित किया जा चुका है। जो वार्षिक लक्ष्य का 50.22 प्रतिशत है।

जिला सहकारी बैंक भी 142 एटीएम का संचालन कर रहे

प्रदेश में उप्र कोआपरेटिव बैंक की 27 शाखाएं एवं 50 जिला सहकारी बैंकों की 1260 शाखाएं सीबीएस प्रणाली से आच्छादित हैं। ये अपने ग्राहकों को रुपे कार्ड, रुपे केसीसी, आरटीजीएस, निफ्ट, एसएमएस अलर्ट, सीटीएस, ईसीएस क्रेडिट तथा एबीपीएस एवं डायरेक्ट बेनीफिट ट्रान्सफर की सुविधा प्रदान कर डिजिटलाईजेशन में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही हैं।

जिला सहकारी बैंक भी 142 एटीएम का संचालन कर रहे हैं। उप्र कोआपरेटिव बैंक एवं 42 जिला सहकारी बैंकों ने एटीएम सहित 43 मोबाइल वैन की सुविधा उपलब्ध करायी है। जिससे दूरस्थ ग्रामीण अंचल के कृषकों को बैंकिंग सुविधा सुगमता से उपलब्ध हो रही है। अब तक इन मोबाईल एटीएम के माध्यम से लगभग 664.55 करोड़ के लेन-देन हो चुके हैं। 16 अन्य मोबाईल वैन की स्वीकृति भी नाबार्ड ने प्रदान की है।

1600 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका

भारतीय रिजर्व बैंक की केन्द्रीय भुगतान प्रणाली की सीधी सदस्यता ग्रहण कर आरटीजीएस, एनईएफटी सुविधा के लिए स्वयं का कोड-यूपीसीबी0000001 प्राप्त किया। इससे उप्र कोआपरेटिव बैंक को लगभग 19 करोड़ रुपये वार्षिक की बचत हो रही है। प्रदेश में स्थित 42 जिला सहकारी बैंक भी इसी प्लेटफार्म के माध्यम से उप सदस्य के रूप में यह सुविधा उपयोग कर रहे हैं।

उप्र के सहकारी क्षेत्र के एवं निजी क्षेत्र के चीनी मिलों को उप्र कोआपरेटिव बैंक के नेतृत्व में उप्र कोआपरेटिव बैंक एवं जिला सहकारी बैंकों के लगभग 6500.00 करोड़ ऋण के रूप में वित्तीय वर्ष 2019-20 में उपलब्ध कराकर कृषकों के गन्ना मूल्य भुगतान एवं चीनी क्षेत्र के विकास में सार्थक योगदान दिया जा रहा है। फूड कन्सोर्टियम में भी उप्र कोआपरेटिव बैंक भाग ले रहा है। इस क्षेत्र में विगत वर्षों में 1600 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है।

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