Salempur news : हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर सलेमपुर में सम्पूर्ण क्लासेज के परिसर में कार्यक्रम आयोजित कर साहित्यकार, गीतकार व विद्वानों को सम्मानित किया गया।
इस दौरान सम्बोधित करते हुए साहित्यकार, कवि गिरिधर करुण ने कहा कि हिंदी समन्वय की भाषा है। यह विचार लोगों को मन से निकाल देना चाहिए कि इस भाषा से अध्ययन करने पर हमें किसी भी क्षेत्र में सफलता नहीं मिलेगी।
आजादी की लड़ाई में खास योगदान रहा
सेंट जेवियर्स स्कूल (St Xavier’s School) के प्रधानाचार्य वीके शुक्ला ने कहा कि हिंदी साहित्य का आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान है। मातृभाषा को उचित स्थान दिए बिना कोई भी राष्ट्र विकसित नहीं हो सकता है। पूर्व प्रधानाचार्य व कवि नरसिंह तिवारी ने कहा कि हिंदी हिन्द देश की संस्कृति का सम्मान है, जीवन का वरदान है, यह है जन मन की भाषा, मानवता की परिभाषा, इसमें ऋषियों मुनियों का अनुपम व्याख्यान है, सुनाकर हिंदी की महिमा का वर्णन किया।
संकल्प पूरा नहीं हो सका
डॉ चतुरानन ओझा ने कहा कि हिंदी को राजभाषा बनाने का जो संकल्प संविधान सभा ने लिया था, उसे आज तक पूरा नहीं किया जा सका है। न तो मातृभाषा में शिक्षा दी जा रही है और न ही न्यायपालिका के फैसले ही हिंदी में आ रहे हैं।
सम्मान करना होगा
पूर्व प्रधानाचार्य भागीरथी प्रसाद ने कहा कि हमें हिंदी को अपने रोजमर्रा के जिंदगी में उतारना होगा और इसका सम्मान करना होगा। तभी इसका विकास संभव है। आयोजक पूर्व चेयरमैन सुधाकर गुप्त ने कहा कि हिंदी देश के आंदोलन को दिशा देने वाली भाषा है। कोई भी देश अपने भाषा की गरिमा को बचा कर ही आगे गया है।
इन्होंने किया संबोधित
कार्यक्रम को डॉ धर्मेन्द्र पांडेय, नंद जी नंदा, सत्यदेव तिवारी, रमेश मिश्र, दीनदयाल यादव, संतोष महाजन, राजेश्वर द्विवेदी, संपूर्णानंद पांडेय, केपी गुप्ता, श्याम नारायण मिश्र, जितेंद्र नाथ पांडेय, आनंद उपाध्याय, रमेश मद्देशिया आदि ने सम्बोधित किया। अध्यक्षता गिरिधर करुण व संचालन डॉ धर्मेंद्र पांडेय ने किया।