Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने कहा है कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे (Gorakhpur Link Expressway) के निर्माण कार्यों को तेज गति से पूर्ण किया जाए। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे से जुड़े चारों जनपदों के जिलाधिकारी इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्यों की नियमित रूप से समीक्षा करें। उन्होंने आदेश देते हुए कहा कि गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्यों को दिसम्बर, 2023 तक हर हाल में पूर्ण किया जाए। हालांकि सीएम की दी नई डेडलाइन में एक्सप्रेसवे को तैयार करना चुनौतीभरा होगा।
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण यूपीडा (Uttar Pradesh Expressways Industrial Development Authority-UPEIDA) से जारी रिपोर्ट के मुताबिक 9 जनवरी, 2023 तक गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे (Gorakhpur Link Expressway) का 58% काम पूरा हो चुका है। यूपीडा के अनुसार पिछले महीने तक लिंक एक्सप्रेसवे के क्लीयरिंग एण्ड ग्रबिंग का 100 प्रतिशत काम, मिट्टी का कार्य 78 प्रतिशत, जीएसबी का कार्य 56 प्रतिशत, डब्ल्यूएमएम का कार्य 56 प्रतिशत, डीबीएम का काम 53 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। एक्सप्रेसवे में तैयार होने वाले कुल 342 स्ट्रक्चर्स में से जनवरी, 2023 तक 306 तैयार हो चुके हैं।
यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर से अंबेडकर नगर, संत कबीर नगर और आजमगढ़ होते हुए पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से कनेक्ट होगा। एक्सप्रेसवे के शुरू होने के बाद यात्रा में 5 घंटे कम लगेंगे।
172 गांवों की जमीन अधिग्रहित हुई
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे से चार जिलों गोरखपुर, संतकबीर नगर, आजमगढ़ और अंबेडकर नगर के 172 गांव प्रभावित हुए हैं। शासन ने इन गांवों की जमीन अधिग्रहित की है। इसमें गोरखपुर के 88 गांव, संतकबीर नगर के 4, आजमगढ़ के 43 और अंबेडकर नगर के 37 गांव के किसानों से जमीन ली गई है।
इस मॉडल पर तैयार हो रहा एक्सप्रेसवे
इस एक्सप्रेस वे की की कुल लंबाई 91.352 किलोमीटर है और इस एक्सप्रेसवे के लिए 5876.67 करोड रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे गोरखपुर के नेशनल हाईवे 27 (Bypass) पर जैतपुर से शुरू होगा और आजमगढ़ जिले के सलारपुर /चैनेज में पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर जाकर समाप्त होगा। हालांकि पहले गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे को चार लेन का बनाया जा रहा है, लेकिन इसे बाद में जरूरत पर 6 लेन तक विस्तार दिया जा सकेगा। इस एक्सप्रेस-वे को टोटल एक्सेस कंट्रोल मॉडल (Total Access Controll Model) पर तैयार किया जा रहा है।
99.5 फीसदी जमीन सरकार ने ली
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे का काम साल 2020 में शुरू हुआ और 4 जुलाई 2022 तक इस एक्सप्रेस वे के लिए 99.5% जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है। पहले इसे साल 2022 में तैयार करने की डेडलाइन रखी गई थी। लेकिन कोविड और दूसरी वजह से अब इस एक्सप्रेसवे के तैयार होने में देरी हो रही है। अब शासन ने दिसंबर, 2023 की डेडलाइन तय की है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का राइट-ऑफ-वे (आरओडब्ल्यू) 110 मीटर है। यूपीडा इस पूरे प्रोजेक्ट को 2 पैकेज में बांट कर पूरा करा रही है। पैकेज-1 के लिए एपको इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (APCO Infrastructure Pvt Ltd) और पैकेज-2 के लिए दिलीप बिल्डकॉन (Dilip Buildcon) को चयनित किया गया है।
ये खासियत होगी
एक्सप्रेसवे के निर्माण में 2 टोल प्लाजा, 3 रैम्प प्लाजा, 7 फ्लाई ओवर, 16 व्हेकुलर अण्डरपास, 50 लाइट व्हेकुलर अण्डरपास, 35 पेडेस्ट्रियन अण्डरपास, 7 दीर्घ सेतु, 27 लघु सेतु तथा 389 पुलियों का निर्माण भी किया जा रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे परियोजना के दोनों पैकेजों के बिल्डरों का चयन ई-टेंडरिंग के जरिए किया गया है। इस परियोजना में न्यूनतम निविदा अनुमानित लागत से 3.12 प्रतिशत कम हो गई है। इससे यूपीडा को लगभग 96 करोड़ का लाभ हुआ है। पैकेज-1 का निर्माण कार्य 10 फरवरी, 2020 से तथा पैकेज-2 का निर्माण कार्य 19 जून, 2020 से प्रारम्भ किया गया है।
क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे पूरा होने पर उत्तर प्रदेश सरकार बुनियादी ढांचे की मजबूती के मोर्चे पर एक और मील का पत्थर हासिल कर लेगी। एक्सप्रेसवे से जुड़े क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उत्पादन ईकाइयों, विकास केन्द्रों तथा कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेसवे के निकट इण्डस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान, मेडिकल संस्थान आदि की स्थापना के भी अवसर सुलभ होंगे। यह एक्सप्रेसवे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भण्डारण ग्रह, मण्डी तथा दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा। इस एक्सप्रेसवे के बन जाने पर क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा।