News Delhi : भारत की नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने आज देश के 15वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण किया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। इसके साथ ही स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है।
वह देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं, जबकि इस सर्वोच्च संवैधानिक पद को संभालने वाली पहली आदिवासी महिला हैं। साथ ही वह स्वतंत्र भारत में जन्म लेने वाली देश की पहली राष्ट्रपति हैं। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और पक्ष – विपक्ष के सभी नेता मौजूद रहे।
बहुत बड़ी ताकत होंगे
शपथ ग्रहण के बाद देश को दिए संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूँ। आपकी आत्मीयता, आपका विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे।
ये नया दायित्व मिला है
उन्होंने कहा कि मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है, जब हम अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था, तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।
जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है
राष्ट्रपति ने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है। मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं, जिसका जन्म आज़ाद भारत में हुआ है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृत काल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा-सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।
दोनों का प्रतीक है
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत के उज्ज्वल भविष्य की नई विकास यात्रा, हमें सबके प्रयास से करनी है, कर्तव्य पथ पर चलते हुए करनी है। कल यानि 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। ये दिन, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम, दोनों का ही प्रतीक है। मैं आज, देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।
राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है
उन्होंने अपने बारे में बताते हुए कहा कि मैंने अपनी जीवन यात्रा पूर्वी भारत में ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गाँव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूँ, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। मैं जनजातीय समाज से हूँ, और वार्ड कॉउन्सिलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है।
राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुँचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।
सपनों और सामर्थ्य की झलक है
राष्ट्रपति ने कहा कि ये मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है। मेरे इस निर्वाचन में, पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है।
गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूँ। मैं आज समस्त देशवासियों को, विशेषकर भारत के युवाओं को तथा भारत की महिलाओं को ये विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर कार्य करते हुए मेरे लिए उनके हित सर्वोपरि होंगे।
आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें
राष्ट्रपति ने कहा कि श्री जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई जी की कविता की एक पंक्ति है-
“मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ”।
अर्थात, अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है। जगत कल्याण की इसी भावना के साथ, मैं आप सब के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगी। आइए, हम सभी एक जुट होकर समर्पित भाव से कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ें तथा वैभवशाली व आत्मनिर्भर भारत का निर्माण करें।