New Delhi : देश में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग क्षेत्र (Road Transport & Highways) में सबसे अधिक 300 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। इसके बाद 119 परियोजनाओं के साथ रेलवे (Indian Railway) और 90 परियोजनाओं के साथ पेट्रोलियम क्षेत्र (Petroleum Sector) का स्थान है। एक सरकारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
इतने प्रोजेक्ट पिछड़े हैं
बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग से संबंधित 825 परियोजनाओं में 300 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रेलवे की 173 परियोजनाओं में 119 परियोजनाएं देरी से आगे बढ़ रही हैं। पेट्रोलियम क्षेत्र की 142 परियोजनाओं में 90 परियोजनाएं पिछड़ी हुई हैं।
14 वर्ष का विलंब हुआ
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है। रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनी) की निर्मित 500 मेगावाट का प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर सबसे विलंबित परियोजना है। इसमें 168 महीने की देरी हुई है।
13 साल देर से तैयार हुई
दूसरी सबसे विलंबित परियोजना एनएचपीसी की पार्वती-2 जलविद्युत परियोजना है, जिसमें 162 महीने की देरी हुई है। तीसरी सबसे विलंबित परियोजना एनएचपीसी की सुबनसिरी लोअर हाइड्रो इलेक्ट्रिक परियोजना है, जिसमें 155 महीनों की देरी हुई है।
मूल लागत 4,90,792.42 करोड़ रुपये थी
रिपोर्ट में सड़क परिवहन और राजमार्ग क्षेत्र के बारे में कहा गया है कि 825 परियोजनाओं की स्वीकृति के वक्त कुल मूल लागत 4,90,792.42 करोड़ रुपये थी। बाद में इसके बढ़कर 5,37,163.29 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस तरह लागत करीब 9.4 प्रतिशत बढ़ गई।
64 फीसदी बढ़ी
इसी तरह रेलवे की 173 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 3,72,761.45 करोड़ रुपये थी, जो बाद में बढ़कर 6,12,578.9 करोड़ रुपये हो गई। इनकी लागत 64.3 प्रतिशत बढ़ गई।
मूल लागत बढ़ती गई
पेट्रोलियम क्षेत्र की 142 परियोजनाओं की कुल मूल लागत 3,73,333.65 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 3,93,008.38 करोड़ रुपये हो गई। हालांकि कोरोना संक्रमण की वजह से पिछले दो सालों में परियोजनाओं की रफ्तार सुस्त रही। कई प्रोजेक्ट पर काम पूरी तरह बंद रहा, तो कुछ पर मजदूरों की संख्या न के बराबर रही।