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खेती-किसानी : किसानों की आय बढ़ाने के लिए सीएम योगी ने दिया यह मंत्र, जानें कैसे कम लागत में मिलेगी ज्यादा उपज

अथर्ववेद के ‘पृथ्वी सूक्त’ में कहा गया है कि ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः अर्थात् धरती हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं: मुख्यमंत्री

हम सबका दायित्व है कि भरण पोषण करने वाली धरती माँ का हम संरक्षण करें

वर्ष 2020-21 में 619 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद्यान्न उत्पादित कर उप्र देश का सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादक राज्य बना

यह हमारे किसानों के परिश्रम और पुरुषार्थ का प्रतिफल है

Uttar Pradesh : सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया है। सोमवार को वह नीति आयोग, भारत सरकार के ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती एवं इनोवेटिव एग्रीकल्चर’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वर्कशॉप में वर्चुअल माध्यम से सम्मिलित हुए। यहां उन्होंने राज्य में खेती-किसानी की स्थिति पर जानकारी दी।

कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “अथर्ववेद के ‘पृथ्वी सूक्त’ में कहा गया है कि ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ अर्थात् धरती हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं। धरती माता के प्रति हमारे वेद जिस महिमा का ज्ञान कर रहे हैं, वह आज के परिप्रेक्ष्य में हमारे संस्कारों का हिस्सा हैं। अथर्ववेद का यह मंत्र मां की महिमा से जोड़कर धरती की गरिमा का गान करता है। इसलिए हम सबका दायित्व है कि भरण-पोषण करने वाली धरती मां का हम संरक्षण करें।”

165 लाख हेक्टेयर पर खेती हो रही
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश देश की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। देश की उपजाऊ भूमि का सर्वाधिक भाग उत्तर प्रदेश में है। प्रदेश का कुल क्षेत्रफल 241 लाख हेक्टेयर है, जिसमें से 165 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती का कार्य किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत 128.73 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में खरीफ की फसल की खेती एवं 129.32 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में रबी की फसल की खेती की जा रही है।

कृषकों के परिश्रम का फल है

उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में राज्य में कुल 619 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है, जिससे उत्तर प्रदेश देश का सर्वाधिक खाद्यान्न उत्पादक राज्य बना है। यह हमारे किसानों के परिश्रम और पुरुषार्थ का प्रतिफल है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता के आरम्भ से ही गौ और गौवंश को मनुष्य का सबसे नजदीकी हितचिन्तक माना गया है। आज भी हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूल मंत्र गौवंश है।


गौ-आधारित प्राकृतिक खेती’ हो

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में वर्ष 2014 से ही किसानों की आय को दोगुना करने के लिए गम्भीरता से प्रयास किये जा रहे हैं। आज इसके बेहतर परिणाम दिखायी दे रहे हैं। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए खेती की लागत को कम करना और उत्पादन को बढ़ाना अनिवार्य है। यह तभी सम्भव है, जब हम प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरण सुधार, मानव स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार के साथ-साथ कृषकों की आय में भी वृद्धि करने में सफल हों। इन सभी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती’ को ही एक मात्र रास्ता बताया है। ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती’ का मतलब कम लागत और विषमुक्त खेती है।

अच्छा उत्पादन मिलेगा

खेती में मशीनीकरण के साथ-साथ यह बात समझ में आने लगी है कि छोटे किसानों के लिए बैल न केवल किफायती, बल्कि उनके संरक्षक भी हैं। प्रदेश में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन से न केवल हमारे किसान को कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है, बल्कि स्वास्थ्य के साथ-साथ गौ-संरक्षण का कार्य भी हम इसके माध्यम से करने में सफल हो सकते हैं। इसके माध्यम से गोबर एवं गौमूत्र के विविध प्रयोग से प्रदेश की मृदा संरचना में भी सुधार कर जीवांश कार्बन में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित की जा सकती है तथा बड़े पैमाने पर जो धनराशि उर्वरकों, पेस्टीसाइड के आयात में खर्च की जाती है, उसकी भी बचत कर सकते हैं।

प्रशिक्षित किया गया

मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री एवं कृषि मंत्री को केन्द्रीय बजट में प्राकृतिक खेती को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में सूबे में गंगा यात्रा निकाली गयी थी, जिसके पश्चात उत्तर प्रदेश में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती विषय पर एक वर्कशाप का आयोजन किया गया था। इसमें प्रदेश के 700 से अधिक कृषकों को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया गया था।

प्राकृतिक खेती हो रही है

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बड़े भूभाग पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। नमामि गंगे एवं परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत विगत 03 वर्षों के प्रथम वर्ष में प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया। वर्ष 2020 से प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में अनेक नवाचार किये गये हैं। प्रथम चरण में राज्य के 18 मण्डलों में टेस्टिंग लैब स्थापित करने की कार्रवाई, किसानों को उचित दाम मिल सके इसके लिए प्राकृतिक खेती से उत्पन्न होने वाले खाद्यान्न के लिए प्रत्येक मण्डी में अलग से व्यवस्था बनाने तथा उसकी व्यवस्थित मार्केटिंग के कार्य को आगे बढ़ाया गया है।


लाखों किसान जुड़ गए हैं

सीएम ने कहा कि वर्ष 2020 में नमामि गंगे यात्रा के दौरान सूबे में गंगा, यमुना, सरयू जैसी पवित्र नदियों के दोनों तटों पर 05-05 किलोमीटर के दायरे में किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से औद्यानिक फसल या खेती के लिए अगले 3 वर्षों तक सब्सिडी देते हुए प्रोत्साहन की व्यवस्था की गयी थी। इसमें कृषि वानिकी को भी सम्मिलित किया गया है। इससे 2 लाख से अधिक कृषकों को जोड़ा गया है। आज उत्तर प्रदेश में लाखों किसानों की रुचि प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ी है और वे इसके माध्यम से अच्छा उत्पादन ले रहे हैं।

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