Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने कहा कि प्रदेश में तेजी से ऐसे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसके माध्यम से पूरे पुलिस बल की व्यवस्था को बेहतर किया जा सके। विगत 05 वर्षों में प्रदेश में डेढ़ लाख से अधिक पुलिस कार्मिकों की भर्ती की गयी है। इससे प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहतर हुई है, जिससे प्रदेश में निवेश बढ़ा, राज्य के बारे में लोगों की धारणा बदली तथा प्रदेश के नौजवानों को रोजगार व नौकरियां मिलीं। आज प्रदेश में एक नया माहौल बना है और उत्तर प्रदेश विकास के पथ पर निरन्तर बढ़ता हुआ देश व दुनिया के लिए आकर्षण का केन्द्र बना है। उत्तर प्रदेश एक सुरक्षित प्रदेश के रूप में देश के अन्दर नज़ीर प्रस्तुत कर रहा है।
मुख्यमंत्री शुक्रवार को लोक भवन सभागार में उत्तर प्रदेश के 18 जनपदों के 25 अग्निशमन केन्द्रों के लोकार्पण एवं 25 अग्निशमन वाहनों के फ्लैग ऑफ कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
05 वर्ष में कार्य योजना आगे बढ़े
सीएम ने कहा कि हमारा प्रयास है कि अगले 02 वर्ष में हर तहसील में अग्निशमन केन्द्र की स्थापना हर हाल में कर ली जाए। प्रयास होना चाहिए कि जिन विकास खण्डों में कोई भी फायर टेण्डर नहीं हैं, वहां फायर टेण्डर की स्थापना के लिए अगले 05 वर्ष में कार्य योजना आगे बढ़े, जिससे न्यूनतम खर्चे से वहां पर बेहतर सेवा दी जा सके और लोगों को अग्नि की दुर्घटना से बचाव के लिए बेहतर उपाय भी किए जा सकें।
30 बनकर तैयार हो चुके हैं
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों की अपने-अपने क्षेत्रों में अग्निशमन केन्द्र की स्थापना की सबसे अधिक मांग होती है। विगत 05 वर्षों में पूरे प्रदेश में 97 अग्निशमन केन्द्र स्वीकृत किये गये थे, जिनमें से 30 बनकर तैयार हो चुके हैं। आज इनमें से 25 का लोकार्पण हो रहा है।
इन केंद्रों का हुआ लोकार्पण
बताते चलें कि मुख्यमंत्री ने जिन 18 जनपदों के 25 अग्निशमन केन्द्रों का शुक्रवार को लोकार्पण किया है, उनमें अतर्रा एवं नरैनी (बांदा), कोरांव (प्रयागराज), सिराथू (कौशाम्बी), कांठ (मुरादाबाद), मड़िहान (मिर्जापुर), कुलपहाड़ (महोबा), बांसगांव (गोरखपुर), दातागंज (बदायूं), बदलापुर, मड़ियाहू एवं केराकत (जौनपुर), घोरावल (सोनभद्र), जयसिंहपुर (सुलतानपुर), सकलडीहा (चन्दौली), जमनियां (गाजीपुर), कैसरगंज, पयागपुर एवं महसी (बहराइच), महराजगंज (रायबरेली), मऊ, मानिकपुर एवं राजापुर (चित्रकूट), शिकारपुर (बुलंदशहर) तथा पुरवा (उन्नाव) शामिल हैं।
मात्र 05 अग्निशमन केन्द्र थे
मुख्यमंत्री ने कहा कि सन् 1944 में प्रदेश में मात्र 05 अग्निशमन केन्द्र थे। तब से उत्तर प्रदेश में अग्निमशन सेवा ने एक लम्बी दूरी तय की है। इस दौरान प्रदेश में जनपदों, तहसीलों, थानों की संख्या तो बढ़ी, लेकिन जिस गति से अग्निशमन केन्द्रों की स्थापना व उसको तकनीकी से युक्त करने की प्रक्रिया आगे बढ़नी चाहिए थी, उसमें यह क्षेत्र उपेक्षित रह गया था। जबकि अग्नि व उससे जुड़ी आपदा के समय अग्निशमन सेवा सर्वाधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक होती है।
इस कार्यक्रम की शोभा भी बढ़ा रहे हैं
सीएम ने कहा कि विगत 05 वर्षाें में अग्निशमन विभाग में लगभग 03 हजार अधिकारियों व कार्मिकों की नियुक्ति की गयी है। साथ ही, उनके प्रशिक्षण के कार्यक्रम को भी आगे बढ़ाया गया है। विगत 05 वर्षाें में विभाग के 838 अधिकारियों व कार्मिकों को समयबद्ध रूप से प्रोन्नति प्रदान की गयी है। आज हमारे फायरमैन इस कार्यक्रम की शोभा भी बढ़ा रहे हैं।
241 अग्निशमन वाहन क्रय किये गये
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार केवल पुलिस भर्ती तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि नवनियुक्त कार्मिकों के लिए प्रशिक्षण की क्षमता को भी बढ़ाया गया है। कार्मिकों की सुविधाओं में वृद्धि की गयी। प्रत्येक पुलिस लाइन व थाने में अच्छे आवास तथा बैरकों के निर्माण के साथ ही अच्छे थानों का निर्माण कराया गया है। तकनीक का बेहतर प्रयोग किया जा रहा है। विगत 05 वर्षाें में प्रदेश में विभिन्न प्रकार के 241 अग्निशमन वाहन क्रय किये गये। प्रदेश सरकार द्वारा सुविधाओं को बेहतर करने का प्रयास किया जा रहा है। आने वाले समय में बहुमंजिली इमारतों एवं जिन स्थानों पर आसानी से पहंुचा नहीं जा सकता, वहां अग्निशमन कार्य के लिए ड्रोन के प्रयोग किये जाने की सम्भावना पर विचार किया जाना चाहिए।
बेहतर परिणाम दे सकते हैं
सीएम ने कहा कि जनहानि को न्यूनतम किये जाने का प्रयास किया जाना चाहिए। जितना हम यह कर पायेंगे, उतना ही हमारी सार्थकता होगी। उत्तर प्रदेश फायर सर्विस को राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) तथा राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एसडीएमए) के साथ बेहतर समन्वय करना चाहिए। एक साथ मिलकर हम बेहतर परिणाम दे सकते हैं। प्रदेश के सभी विकास खण्डों में 91 हजार अग्नि सचेतकों के बेहतर प्रशिक्षण को आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
सुरक्षा के सम्बन्ध में जानकारी हो सके
उन्होंने कहा कि जनपदों में सामान्य दिनों में स्कूल-कॉलेजों में अग्निशमन के उपायों एवं सावधानियों के सम्बन्ध में बैठकें होनीं चाहिए। घरेलू गैस (एलपीजी) के सम्बन्ध में सावधानी व सतर्कता के लिए गैस एजेन्सियों को जोड़ा जाना चाहिए। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक सेफ्टी के लिए भी ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि अलग-अलग स्टैक होल्डर्स के साथ इस प्रकार के संवाद के कार्यक्रम निरन्तर आयोजित किये जाएं, जिससे अधिक से अधिक लोगों को अग्नि सुरक्षा के सम्बन्ध में जानकारी हो सके। स्कूल-कॉलेजों में अग्नि दुर्घटना तथा इससे बचाव के सम्बन्ध में हैण्डबिल उपलब्ध कराये जाने चाहिये, जिससे विद्यार्थियों में जागरूकता आये। इस कार्य में बच्चों के अभिभावकों भी जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समन्वय बनाकर आपदा को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
जनहानि का प्रयास न कर पायें
मुख्यमंत्री ने कहा कि एसडीआरएफ, एसडीएमए तथा फायर सर्विस सम्भावित खतरों के बारे में पहले से सतर्क होकर अपना कार्य करें। आज के समय में समाज विरोधी तथा राष्ट्र विरोधी तत्वों के सम्बन्ध में भी एसडीआरएफ, एसडीएमए, फायर सर्विस को सावधानी व सतर्कता रखनी चाहिए ताकि वे शरारतन व्यापक रूप से जनहानि का प्रयास न कर पायें।
हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया
इस अवसर पर अग्निशमन से सम्बन्धित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री ने 10 अग्नि सचेतकों को प्रमाण पत्र प्रदान किया। सीएम ने विधान भवन के सामने अग्नि सुरक्षा उपकरणों सेे सम्बन्धित एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। अग्निशमन विभाग द्वारा बहुमंजिली इमारतों में लगी आग को बुझाने से सम्बन्धित एक प्रदर्शन मुख्यमंत्री जी के समक्ष किया गया। मुख्यमंत्री ने 25 अग्निशमन वाहनों को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।
ये रहे मौजूद
इस अवसर पर विधायक नीरज बोरा, योगेश शुक्ला तथा अमरेश कुमार, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव एमएसएमई एवं सूचना नवनीत सहगल, पुलिस महानिदेशक देवेन्द्र सिंह चौहान, पुलिस महानिदेशक फायर सर्विस अविनाश चन्द्र, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना संजय प्रसाद सहित प्रशासन एवं पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा नवनियुक्त फायरमैन उपस्थित थे।