Deoria News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को उनके सरकारी आवास पर राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के संचालक मण्डल की 168वीं बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्यमंत्री ने किसानों के हितों के संरक्षण के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद द्वारा किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए किये जा रहे प्रयास सराहनीय हैं। मण्डी शुल्क को न्यूनतम करने के बाद भी राजस्व संग्रह में मण्डियों का अच्छा योगदान है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में जहां 614 करोड़ रुपये की आय हुई थी, वहीं वर्ष 2022-23 में 1520.95 करोड़ रुपये की आय हुई है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के पहले दो माह में अब तक 251.61 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रहीत हो चुका है।
सीएम ने कहा कि फसलों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री, बागवानी फसलों के गुणवत्ता पूर्ण रोपण एवं रोग मुक्त बनाने के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज (अयोध्या) में टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला की स्थापना की जाए। यह प्रयोगशाला न्यूनतम 03 हेक्टेयर के विशाल परिसर में स्थापित हो। इसके लिए धनराशि की व्यवस्था मण्डी परिषद द्वारा की जाए।
सीएम ने कहा कि मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। वर्तमान में 05 विश्वविद्यालयों एवं 23 महाविद्यालयों में कृषि एवं गृह विज्ञान के विद्यार्थियों को 3,000 रुपये मासिक छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। योजना का लाभ अधिकाधिक युवाओं को मिले, इसके लिए इसमें कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बाँदा, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी और बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झांसी तथा 37 अन्य महाविद्यालयों को भी इसमें शामिल किया जाए।
उन्होंने कहा कि जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों के आउटलेट वर्तमान में मण्डल मुख्यालय पर स्थापित हैं। इन्हें जिला मुख्यालय तक विस्तार देने की आवश्यकता है। मण्डी समितियों में भी जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों के आउटलेट खोले जाएं। जैविक/ प्राकृतिक उत्पादों के बाजार लगवाए जाएं। किसानों के जैविक/ प्राकृतिक उत्पादों के सत्यापन, ब्राण्डिंग के लिए टेस्टिंग लैब आवश्यक है। यद्यपि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा लखनऊ, मेरठ, वाराणसी एवं झांसी में प्रयोगशालाएं संचालित हैं, लेकिन प्रदेश के कृषि विश्वविद्यालयों में कोई लैब संचालित नहीं है। ऐसे में मण्डी परिषद द्वारा प्रदेश के सभी 04 कृषि विश्वविद्यालयों में टेस्टिंग लैब स्थापित की जाए।
सीएम ने कहा कि किसानों की सुविधा के दृष्टिगत राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में ग्रामीण हाटपैठ और आधुनिक किसान मण्डियों का निर्माण कराया है। क्षेत्रीय जरूरतों के अनुसार नए हाट पैठ और किसान मण्डियों का निर्माण कराया जाना चाहिए। इनका अच्छा मेंटीनेंस रखें। पटरी व्यवसायियों को यहां समायोजित किया जाना चाहिए। मण्डियों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था हो, जलभराव की स्थिति न हो। किसानों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाए और कृषि फसल की सुरक्षा के अच्छे प्रबन्ध किये जाएं। शौचालय तथा पेयजल के पर्याप्त इंतजाम रखें।
उन्होंने कहा, यह सुखद है कि मण्डी परिषद की सहायता से कृषि विश्वविद्यालयों में छात्रावासों का निर्माण कराया जा रहा है। इन छात्रावासों का निर्माण कार्य गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखते हुए, समयबद्ध ढंग से कराया जाए। कृषि मंत्री द्वारा इन निर्माणाधीन छात्रावासों का निरीक्षण किया जाए। विभिन्न जनपदों में कृषि उत्पादन मण्डी परिषद की भूमि/ भवन निष्प्रयोज्य हैं। इस भूमि/ भवन के व्यवस्थित इस्तेमाल के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। इनके माध्यम से परिषद अपनी आय का एक नवीन विकल्प भी सृजित कर सकता है।
सीएम ने कहा कि कृषि और खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अनेक नीतिगत प्रयास किए जा रहे हैं। प्राकृतिक खेती को प्रोत्सहित करने के लिए भी योजनाबद्ध रीति से कार्य किया जा रहा है। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, उत्पाद की ब्राण्डिंग हो, सही बाजार मिले, इसके लिए राजधानी लखनऊ में ‘एग्री मॉल’ स्थापित किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में प्रक्रिया तेजी से आगे बढाएं। ‘एग्री मॉल’ में किसान सीधे अपने फल, सब्जियों की बिक्री कर सकेंगे। मण्डी परिषद द्वारा नवी मुम्बई में निर्यात प्रोत्साहन के लिए वर्ष 2006 में स्थापित किये गये ऑफिस ब्लॉक को और उपयोगी बनाने के लिए इसे एमएसएमई विभाग से जोड़ा जाना चाहिए।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही तथा राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद के संचालक मण्डल के सदस्यगण उपस्थित थे।