Deoria News : जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (Deoria DM Jitendra Pratap Singh IAS) ने बताया है कि फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम अथवा स्ट्रारीपर, स्ट्रारेक व बेलर, मल्चर, सुपर सीडर, पैडी स्ट्रा चापर, श्रव मास्टर, रोटरी श्लेसर रिवर्सिबुल एमबी प्लाउ का भी उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा। यदि कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम, स्ट्रारीपर अथवा स्ट्रारेक एवं बैलर के बिना चलती हुई पायी जाती है तो उसे तत्काल सीज (जब्त) की कार्रवाई की जायेगी तथा कम्बाइन स्वामी के व्यय पर ही सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम लगवाने के उपरान्त ही छोड़ी जाये।
जिलाधिकारी ने कम्बाइन स्वामियों को निर्देशित किया है कि एक सप्ताह के अन्दर उप कृषि निदेशक देवरिया के कार्यालय में उपस्थित होकर इस आशय का लिखित शपथ पत्र (मय फोटोग्राफ) प्रस्तुत करते हुये कृषि विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त कर लें कि उनके द्वारा अपने कम्बाइन हार्वेस्टर में उपरोक्तानुसार आपेक्षित अटैचमेंट लगवा लिया है तथा उपरोक्त अटैचमेन्ट के बगैर फसलों की कटाई नहीं किया जायेगा। यदि निर्धारित अवधि में सक्षम अधिकारी, उप कृषि निदेशक देवरिया के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है, तो यह माना जायेगा कि वर्तमान में कम्बाइन हार्वेस्टर का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि अपेक्षित अटैचमेन्ट के बगैर ही कम्बाइन हार्वेस्टर से फसलों की कटाई करते हुये पाया जाता है तो कम्बाइन हार्वेस्टर को सीज (जब्त करते हुये तहसील, थाना द्वारा तदविषयक प्राथमिकी दर्ज कराते हुए राष्ट्रीय हरित अभिकरण (National Green Tribunal – NGC) की गाइडलाइन के अनुसार विधिक एवं दण्डात्मक कार्रवाई के लिए न्यायालय में वाद प्रस्तुत किया जायेगा।
जिलाधिकारी ने तहसीलवार एवं विकास खण्डवार उड़नदस्तों का किया गठन
जिलाधिकारी ने फसल अवशेष/पराली को जलाये जाने वाली घटनाओं के रोकथाम के लिए प्रत्येक विकास खण्ड/तहसील स्तर पर उड़न दस्ता गठित किया है। तहसील स्तरीय सचल दस्ता के लिए संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी को पर्यवेक्षीय अधिकारी नामित किया गया है। सचल दस्ते के लिए संबंधित तहसील के तहसीलदार, उप सम्भागीय कृषि प्रसार अधिकारी तथा थानाध्यक्ष (संबंधित तहसील मुख्यालय) को अधिकारी नामित किया गया है। विकास खण्ड स्तरीय सचल दस्ते के लिए संबंधित विकास खंड के खंड विकास अधिकारी को पर्यवेक्षीय अधिकारी नामित किया गया है। नायब तहसीलदार, कानूनगो, सहायक विकास अधिकारी (कृषि) एवं थानाध्यक्ष को सचल दस्ते में अधिकारी नामित किया गया है।
जिलाधिकारी ने उक्त प्रयोजनार्थ प्रत्येक तहसील एवं विकास खण्ड के समस्त लेखपाल, कृषि विभाग के क्षेत्रीय कार्मिक एवं ग्राम प्रधानों को सम्मिलित करते हुए एक व्हाटसअप ग्रुप बनाने का निर्देश दिया है तथा उस क्षेत्र में कहीं भी फसल अवशेष जलाये जाने की घटना होने पर अथवा घटना की सूचना मिलने पर सम्बन्धित लेखपाल, ग्राम प्रधान व्हाटसअप ग्रुप एवं दूरभाष के माध्यम से सम्बन्धित तहसील, विकास खण्ड स्तर पर गठित उड़न दस्ते को तत्काल इसकी सूचना देंगे। पराली, कृषि अपशिष्ट जलाये जाने की घटना की पुष्टि होने पर सम्बन्धित कृषक को दण्डित करने तथा क्षतिपूर्ति की वसूली के सम्बन्ध में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने प्रत्येक गांव में ग्राम प्रधान एवं क्षेत्रीय लेखपाल को यह निर्देशित किया कि किसी भी दशा में उनके क्षेत्र में पराली, फसल अवशेष जलाया न जाए। किसी भी क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की घटना प्रकाश में आने पर सम्बन्धित लेखपाल जिम्मेदार होंगे। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि फसल कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाइन हार्वेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा स्ट्रा रीपर, स्ट्रा रेक, बेलर, मल्चर, पैडी स्ट्रा चापर, रोस्टरी स्लेशर, रिवर्सिबल एमबी प्लाऊ या सुपर सीडर का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाए। ऐसा न करने सम्बन्धित कम्बाइन हार्वेस्टर को सीज (जब्त) कर लिया जाए।
सहायक विकास अधिकारी (कृषि) कृषि रक्षा द्वारा खण्ड विकास अधिकारी तथा सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) के माध्यम से ग्राम प्रधानों से समन्वय करके प्रत्येक ग्राम पंचायत की खुली बैठक आयोजित कराकर फसल अवशेष प्रबन्धन के उपायों, फसल अवशेष प्रबन्धन से सम्बन्धित कृषि यंत्र व उन पर अनुमन्य अनुदान तथा पराली जलाने पर राष्ट्रिय हरित अभिकरण द्वारा निर्धारित दण्डात्मक प्राविधानों पर चर्चा करके कृषकों को पराली जलाने के स्थान पर फसल अवशेष के लाभकारी उपयोग के उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जायेगा। कृत कार्रवाई की सूचना जिला कृषि अधिकारी को प्रेषित किया जायेगा।
वसूली की प्रक्रिया के संबंध में हुई समीक्षा बैठक
अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में जनपद स्तर पर कृषि अपशिष्टों को जलाये जाने पर निषेध के उलंघन पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का आरोपण एवं वसूली की प्रक्रिया के संबंध में समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण नई दिल्ली द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन में कृषि अपशिष्ट को जलाए जाने पर निषेध के उल्लंघन पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति का आरोप एवं वसूली की प्रक्रिया के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश दिए।
अपर जिला अधिकारी नागेंद्र कुमार सिंह ने स्पष्ट दिशा निर्देश देते हुए बताया कि यदि कृषकों द्वारा फसल के अपशिष्ट को जलाया जाएगा, तो उसके खिलाफ नियमों के तहत विधिक कार्रवाई की जाएगी। जिसमें कृषकों द्वारा 2 एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को 2500 रुपये प्रति घटना एवं 2 से 5 एकड़ भूमि रखने वाले लघु कृषकों के लिए 5000 प्रति घटना तथा 5 एकड़ से अधिक भूमि रखने वाले बड़े कृषकों के लिए ₹15000 प्रति घटना के हिसाब से पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के रूप में दंडित किया जाएगा।
कृषि विभाग एवं राजस्व विभाग के ग्राम पंचायत एवं न्याय पंचायत पर कार्यरत कर्मचारियों को निर्देशित किया गया कि वह अपने-अपने क्षेत्रों में भ्रमण कर नियमित रिपोर्ट तहसील के माध्यम से जनपद स्तर पर उपलब्ध कराएंगे की किन-किन गांव में पर्यावरणीय क्षति का कृत्य किया गया है । उन्होंने प्रचार-प्रसार के माध्यम से लोगों को जागरूक करने के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित करते हुए बताया कि गांव-गांव में प्रचार-प्रसार व्यापक रूप से कराया जाए कि कोई भी व्यक्ति फसल का अपशिष्ट न जलाएं जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहें एवं जनजीवन प्रभावित न हो। बैठक में मुख्य रूप से डीडी एग्रीकल्चर एवं कृषि विभाग के अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।