Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने रविवार को गंगा समग्र संगठन के राष्ट्रीय कार्यकर्ता संगम के समापन समारोह को सम्बोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में गंगा सहित विभिन्न नदियों को सुरक्षित एवं संवर्धित करने के कार्य किये जा रहे हैं। नदी संस्कृति के विकास से देश का विकास एवं आत्मनिर्भरता जुड़ी है।
उन्होंने कहा कि अनादिकाल से मां गंगा के प्रति हमारी सनातन आस्था रही है। आज भी वह सभी के लिए जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी हैं। गंगा भारत की नदी संस्कृति हैं। यह अपनी सहायक नदियों के साथ 10 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल के विशाल उपजाऊ मैदान की रचना करती हैं। गंगा और यमुना का सर्वाधिक प्रवाह क्षेत्र उत्तर प्रदेश में है, जिस कारण राज्य में विपुल जल संसाधन हैं। साथ ही, हमारे अधिकांश तीर्थ गंगा जी के तट पर अवस्थित हैं।
योजना शुरू की गई
सीएम ने कहा कि गंगा के आध्यात्मिक, सामाजिक और आर्थिक महत्व को देखते हुए प्रधानमंत्री ने वर्ष 2016 में नमामि गंगे परियोजना प्रारम्भ की। प्रधानमंत्री के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में नमामि गंगे परियोजना के माध्यम से नदी संस्कृति को पुनर्जीवित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश सरकार गंगा जी की निर्मलता एवं अविरलता के लिए नमामि गंगे परियोजना के कार्यों को तकनीक की मदद से सफलतापूर्वक आगे बढ़ा रही है।
काम चल रहा है
मुख्यमंत्री योगी ने आगे कहा, “प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में सीवेज प्रबन्धन के लिए 46 परियोजनाओं पर कार्य कराया जा रहा है, जिसमें से 25 परियोजनाओं के कार्य पूर्ण हो चुके हैं। 19 प्रोजेक्ट पर युद्धस्तर पर कार्य चल रहा है। 2 परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। शवदाह गृहों के आधुनिकीकरण एवं नदियों में उत्प्रवाह रोकने के विभिन्न कार्यों को तकनीक की मदद से क्रियान्वित किया जा रहा है।”
सेल्फी प्वाइंट बन चुका है
सीएम ने कहा कि गंगा जी के 2500 किमी से अधिक के प्रवाह में विगत 5 वर्ष पूर्व सबसे क्रिटिकल क्षेत्र कानपुर था। इस क्षेत्र के गंगा प्रवाह में जलीय जीव नष्ट हो रहे थे। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन एवं प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज कानपुर क्षेत्र के गंगा प्रवाह में जलीय जीव जीवित हैं और प्रदूषित सीसामऊ नाला वर्तमान में सेल्फी प्वांइट बन चुका है।
सुव्यवस्था के मानक स्थापित किये
उन्होंने कहा कि प्रयागराज कुम्भ-2019 ने स्वच्छता, सुरक्षा और सुव्यवस्था के मानक स्थापित किये हैं। कुम्भ की सफलता के पीछे स्वच्छ, शुद्ध एवं अविरल गंगा जी का प्रवाह था, जिसमें करोड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी आस्था एवं सम्मान से गंगा जल में आचमन किया था। प्रधानमंत्री की प्रेरणा एवं प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज काशीवासी भी शुद्ध एवं पवित्र गंगा जल का अहसास कर रहे हैं और गंगा डॉल्फिन को देख पा रहे हैं।
गंगा यात्रा आयोजित की गई
मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा जी एवं उनकी सहायक नदियों के संरक्षण, सुरक्षा, प्रबन्धन के उद्देश्य से प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद का गठन किया गया है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक आयोजित की थी। लोगों में नदी संस्कृति की जागरूकता के लिए वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने बिजनौर से कानपुर तक और बलिया से कानपुर तक गंगा यात्रा आयोजित की थी।
सब्सिडी उपलब्ध करा रही सरकार
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार गंगा जी के तटवर्ती क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती एवं बागवानी करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। इस नदी के किनारे गंगा उद्यान एवं गंगा पार्क विकसित किये जा रहे हैं तथा गंगा घाटों का निर्माण कराया जा रहा है। राज्य सरकार बागवानी कार्य के प्रोत्साहन के लिए प्रदेश के किसानों को निःशुल्क पौधे एवं 03 वर्ष तक सब्सिडी उपलब्ध करा रही है। गंगा, यमुना, राप्ती, गोमती सहित प्रदेश की विभिन्न नदियों के किनारे वृक्षों की श्रृंखला विकसित की जा रही है।
नदियों की निर्मलता बचानी होगी
उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जनपदों में गंगा समितियां गठित की गयी हैं, जो समाज में नदियों की निर्मलता एवं अविरलता के लिए जनजागरूकता का अभियान चला रही हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में नदी संस्कृति को विकसित करने के लिए सरकार के साथ ही समाज को भी आगे बढ़कर व्यावहारिक कार्य करने होंगे।
समाज की सहभागिता जरूरी है
गंगा तथा यमुना की सहायक नदियों को भी स्वच्छ, अविरल बनाने के समन्वित कार्य करने होंगे। नदी संरक्षण एवं पुनरुद्धार के कार्यों को युद्धस्तर पर बढ़ाने की आवश्यकता है। क्योंकि जब समाज किसी कार्य को आगे बढ़कर और सरकार सहायक की भूमिका में कार्य करती है, तो सफलता शत-प्रतिशत प्राप्त होती है। आमजन को नदियों के संरक्षण के अभियान के साथ जोड़ना आवश्यक है।
अधिक लोगों को जोड़ना होगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राचीन काल से ही हमारे यहां जल संरक्षण के कार्य को पवित्र कार्य माना जाता रहा है। प्रदेश के सभी गांवों में तालाबों के पुनरुद्धार के कार्य करने होंगे। स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत स्वच्छता अभियान से अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना होगा और जल संरक्षण के विराट अभियान को समग्र गंगा अभियान से जोड़ना होगा। आने वाली पीढ़ी को अपनी जिम्मेदारियां अपने हाथों में लेनी होंगी। उन्होंने कहा कि पुण्य सलिला मां गंगा और उसकी सहायक नदियों की अविरलता एवं निर्मलता के लिए गंगा समग्र संगठन उल्लेखनीय कार्य कर रहा है।