Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख औद्योगिक शहरों को जोड़ने वाले गाजियाबाद-कानपुर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की डीपीआर तैयार हो गई है। चयनित एजेंसी भोपाल की लायन इंजीनियरिंग कंसलटेंसी ने इस कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया-एनएचएआई को सौंप दी है। एनएचएआई जल्द ही इसे मंजूरी के लिए भेजेगी। इस महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे के तैयार होने के बाद गाजियाबाद से कानपुर पहुंचने में महज 3 घंटे लगेंगे।
बताते चलें कि गाजियाबाद कानपुर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का डीपीआर बनाने के लिए 9 कंपनियों ने आवेदन दिया था। एनएचआई ने इनमें से लायन इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को इस महत्वपूर्ण ग्रीनफील्ड कॉरिडोर का डीपीआर तैयार करने के लिए चयनित किया था। डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही भूमि अधिग्रहण का काम शुरू होगा। अभी गाजियाबाद से कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-91 (NH-91) है। इसकी लंबाई 468 किलोमीटर है।
इसकी और ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के बीच की दूरी करीब 20 किलोमीटर रहेगी। यह गाजियाबाद से शुरू होकर हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, एटा, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव की सीमा क्षेत्र से होते हुए कानपुर को जोड़ेगा। डीपीआर बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर सर्वे कर यह तय करेंगे कि 380 किमी की दूरी में कहां-कहां फ्लाईओवर, अंडरपास और पुल बनेंगे। योजना के मुताबिक दोनों ओर घने छायादार पेड़ों के साथ डिवाइडर पर पौधारोपण किया जाएगा। इससे वाहनों के हेडलाइट की रोशनी दूसरी लेन में चलने वाले वाहन चालक की आंखों पर नहीं पड़ेगी। डीपीआर स्वीकृत होने के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू होगी।
साल 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य
एनएचएआई ने मई तक 380 किलोमीटर हाईवे की डीपीआर जमा करने का टारगेट रखा है। एनएचएआई का लक्ष्य 90 प्रतिशत भूमि अधिग्रहण पूरा होने के बाद निर्माण कार्य शुरू करना है। परियोजना को साल 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
साल 2019 में हुई थी घोषणा
सितंबर 2019 में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने गाजियाबाद को कानपुर से जोड़ने वाले एक आर्थिक गलियारे की घोषणा की थी। इसका मकसद दो औद्योगिक शहरों के बीच यात्रा के समय में कमी लाना था।
एक्सेस कंट्रोल होगा
परियोजना को 5 जुलाई 2022 को मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था। इसके बाद, एनएचएआई ने गाजियाबाद-कानपुर आर्थिक गलियारे पर 300 दिनों की पूर्णता की समय सीमा के साथ डीपीआर का काम शुरू किया। 380 किलोमीटर यह एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड एक्सेस-नियंत्रित आर्थिक गलियारा (Greenfield Access Controlled Economic Corridor) होगा, जो गाजियाबाद को कानपुर से जोड़ेगा।
यह है प्लान
इसका उत्तरी टर्मिनल NH-9 (गाज़ियाबाद-हापुड़ राजमार्ग) पर और दक्षिणी टर्मिनल कानपुर-उन्नाव के बीच निर्माणाधीन 62.7 किलोमीटर कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे (Kanpur-Lucknow Expressway) पर स्थित होने की उम्मीद है। इस तरह यह एक्सप्रेसवे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) से भी जुड़ जाएगा। साथ ही पूर्वांचल और बिहार जाने वाले मुसाफिरों को भी एक नया मार्ग मिल जायेगा। इसका लाभ करोड़ों मुसाफिरों को होगा।
इन जिलों से गुजरेगा एक्सप्रेसवे
एलाइनमेंट के अनुसार, गलियारा नौ जिलों गाजियाबाद, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज और उन्नाव और कानपुर से होकर गुजरेगा। योजना के अनुसार, आर्थिक गलियारा 4-लेन की सड़क होगी और जलमार्गों के अंडरपास और क्रॉसिंग पर 6 लेन तक विस्तारित की जाएगी।
8–9 घंटे लगते हैं
अभी तक, कानपुर और गाजियाबाद को जोड़ने वाला कोई मार्ग नहीं है। गाजियाबाद और कानपुर के बीच यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) पर ड्राइव में लगभग 6 घंटे लगते हैं, जबकि एनएच-9 पर यात्रा करने वालों को कम से कम 8 घंटे लगते हैं।
3 घंटे में पूरा होगा सफर
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों को से गुजरते इस ग्रीनफील्ड कॉरिडोर के तैयार होने के बाद गाजियाबाद और कानपुर के बीच यात्रा का समय घट कर महज 3 घंटे रह जाएगा। साथ ही सड़क के बनने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को लखनऊ व कानपुर जाने के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो सकेगा। अभी लखनऊ जाने वाले लोग यमुना एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जब नया एक्सप्रेस-वे बन जाएगा, तो वो कानपुर होते हुए भी लखनऊ जा सकेंगे। एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण 2023 में शुरू होगा और डीपीआर प्रस्ताव की वित्तीय स्वीकृति के एक साल के भीतर पूरा हो जाएगा।