New Delhi : केंद्र सरकार ने केंद्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalaya) में प्रवेश प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए इनमें लागू कोटा प्रथा को लगभग समाप्त कर दिया है। मोदी सरकार ने इस फैसले के तहत सांसदों, शिक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों, केंद्रीय विद्यालयों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों और स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सहित प्रवेश से जुड़े करीब दर्जन भर कोटे खत्म किए हैं।
भारत सरकार के इस फैसले से केंद्रीय विद्यालयों में तमाम कोटे से हर साल भरी जाने वाली करीब 40 हजार सीटों पर सामान्य दाखिले होंगे। इनमें अकेले करीब 8 हजार सीटें सांसदों की सिफारिश से भरी जाती थीं। हर सांसद को 10 सीटों का कोटा दिया गया था।
अतिरिक्त थी सीटें
बताते चलें कि केंद्रीय विद्यालयों में विशेष कोटे से भरी जाने वाली यह सीटें स्कूलों की निर्धारित क्षमता के अतिरिक्त होती थी। कोटे के तहत इन दाखिलों से केंद्रीय विद्यालयों की गुणवत्ता, छात्र-शिक्षण अनुपात सहित कई तरह के मानक प्रभावित हो रहे थे। लेकिन मामला सांसदों और मंत्रालय आदि से जुड़ा था। इस वजह से हर कोई इस पर एक्शन लेने से बच रहा था।
शिक्षा मंत्री खत्म किया अपना कोटा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने मामले में दखल दिया। उन्होंने कोटा प्रथा को खत्म करने के लिए कहा। पीएम की पहल पर सबसे पहले शिक्षा मंत्री ने खुद अपना कोटा खत्म किया। उन्होंने पिछले साल अपने कोटे से एक भी प्रवेश नहीं दिया। साथ ही केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) को प्रवेश से जुड़े विशेष कोटे की नए सिरे से समीक्षा करने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री की पहल और शिक्षा मंत्री के निर्देश पर अमल करते हुए केवीएस ने पिछले दिनों ही इस कोटे पर रोक लगा थी। साथ ही पूरे कोटा प्रथा की समीक्षा करने का फैसला लिया था।
सुधरेगी शिक्षा की गुणवत्ता
इसके बाद केवीएस ने मंगलवार को जुड़े करीब दर्जन भर विशेष कोटे को खत्म करने और प्रवेश को लेकर एक संशोधित गाइडलाइन जारी की है। संगठन ने जो कोटा खत्म किया है, उनमें सांसदों, शिक्षा मंत्रालय के कर्मचारियों, केंद्रीय विद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों, प्रायोजित एजेंसियां, स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष, जिसमें जिला कलेक्टर या फिर ऐसी एजेंसियों के प्रमुख जो स्कूल के निर्माण के लिए भूमि मुहैया कराते हैं, के अतिरिक्त राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों आदि के कोटे को खत्म किया गया है। एक्सपर्ट का कहना है कि यह पहल केंद्रीय विद्यालयों की गुणवत्ता को मजबूती देगी। साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सिफारिशों को लागू करने में सहूलियत होगी।
इस मकसद से हुई स्थापना
वर्तमान में देश में करीब 1250 केंद्रीय विद्यालय है। इनका संचालन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय करता है। इन विद्यालयों की स्थापना का मकसद केंद्रीय कर्मचारियों जिसमें सेना, रेलवे आदि के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना था। हालांकि केवीएस ने खेल, स्काउट गाइड व फाइन आर्ट जैसी विधाओं से जुड़े प्रतिभाशाली बच्चों, एक बालिका और वीरता व बालश्री पुरस्कार प्राप्त बच्चों के प्रवेश से जुड़े कोटे को बरकरार रखा है। साथ ही कोरोना संक्रमण से अनाथ हुए बच्चों और कश्मीरी विस्थापितों के बच्चों के लिए दाखिले में विशेष छूट जारी रखा गया है।
ऐसे मिलेगा प्रेवश
कोविड से अनाथ हुए बच्चों को प्रवेश पीएम केयर स्कीम के तहत दिया जाएगा। इसके तहत जिला कलेक्टर की सिफारिश पर किसी भी स्कूल में ऐसे 10 बच्चों और एक कक्षा दो के बच्चों को प्रवेश देने का प्रावधान है। इनकी एक से बारहवीं तक पूरी फीस भी माफ की गई है। कश्मीरी विस्थापितों के बच्चों को प्रवेश के लिए 30 दिन का ज्यादा समय मिलेगा। उनका कटआफ एससी-एसटी बच्चों के बराबर रखने का प्रावधान किया गया है। नई गाइडलाइन में पैरा-मिलिट्री फोर्स से जुड़े बी और सी कैटेगरी के कर्मचारियों के बच्चों के लिए 50 सीटें आरक्षित की गई है। अभी तक इन्हें इन विद्यालयों के प्रवेश में कोई छूट नहीं मिलती थी। बेशक केंद्र सरकार के इस फैसले का लाभ आम बच्चों को मिलेगा।