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सावधानी : फसल में फाल आर्मी वर्म कीट के प्रकोप से सतर्क रहें किसान, ऐसे करें पहचान और जानें बचाव के उपाय

Deoria News : जिला कृषि रक्षा अधिकारी रतन शंकर ओझा ने बताया है कि जनपद की जलवायु कुछ हद तक Fall Army Worm कीट के लिए अनुकूल है। वर्तमान में जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में बोई गयी मक्के की फसल पर फालआर्मी वर्म का प्रकोप हो सकता है। यह एक बहुभोजीय (Polyphagous) कीट है, जिसके कारण अन्य फसलों जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूँ तथा गन्ना आदि फसलों को भी हानि पहुँचा सकता है। इस कीट की पहचान एवं प्रबंधन की सही जानकारी कृषकों को होना अत्यन्त आवश्यक है।

निचले हिस्से में अंडे देती है
पहचान एवं लक्षण के संबंध में उन्होंने बताया है कि इस कीट की मादा ज्यादातर पत्तियों की निचले हिस्से पर अण्डे देती है। कभी-कभी पत्तियों की ऊपरी सतह एवं तनों पर भी अण्डे देती है। इसकी मादा एक से ज्यादा पर्त में अण्डे देकर सफदे झाग से ढक देती है। अण्डे क्रीमिस से हरे व भूरे रंग के होते है। सर्वप्रथम Fall Army Worm तथा सामान्य सैनिक कीट में अन्तर को कृषकों को समझना अत्यन्त आवश्यक है।

ऐसे पहचान होती है
Fall Army Worm का लार्वा भूरा, घूसर रंग का होता है, जिसके शरीर के साथ अलग से ट्यूबरकल दिखता है। इस कीट के लार्वा अवस्था में पीठ के नीचे तीन पतली सफेद धारियां और सिर पर एक अलग सफेद उल्टा अंग्रेजी शब्द का चाई (Y) दिखता है एवं इसके शरीर के दूसरे अंतिम खण्ड पर वर्गाकार चार बिन्दु दिखाई देते है तथा अन्य खण्ड पर चार छोट-छोटे बिन्दु समलंम्ब आकार में व्यवस्थित होते है।

सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाता है
यह कीट फसल की लगभग सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाता है, लेकिन मक्का इस कीट की रूचिकर फसल है। यह कीट मक्का के पत्तों के साथ-साथ बाली को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इस कीट का लार्वा मक्के के छोटे पौधे के डन्ठल आदि के अन्दर घुसकर अपना भोजन प्राप्त करते हैं। इस कीट की प्रकोप की पहचान फसल की बढ़वार की अवस्था में जैसे पत्तियों के छिद्र एवं कीट के मल-मूत्र एवं बाहरी किनारों की पत्तियों पर मल-मूत्र से पहचाना जा सकता है। मल महीन भूसे के बुरादे जैसा दिखाई देता है।

रोक लगाई जा सकती है
इसके प्रबन्धन के संबंध में उन्होंने बताया है कि फसल की निगरानी एवं सर्वेक्षण करें। अण्ड परजीवी 2 से 5 ट्राइकोग्रामा कार्ड एवं टेलोनोमस रेमस का प्रयोग अण्डा देने की अवस्था में करने से इनकी संख्या की बढोत्तरी में रोक लगायी जा सकती है। एनपीवी 250 एलई, मेटाराइजियम एनिप्सोली एवं नोमेरिया रिलाई आदि जैविक कीटनाशकों का समय से प्रयोग अत्यन्त प्रभावशाली है। यांत्रिक विधि के तौर पर सायंकाल (7 से 9 बजे तक) में 3 से 4 की संख्या में प्रकाश प्रपंच एवं 6 से 8 की संख्या में बर्ड पर्चर प्रति एकड़ लगाना चाहिए।

छिड़काव करें
फसल में जमाव से अगेती अवस्था (Early wori) में सूंडी द्वारा 05 प्रतिशत नुकसान या पत्तियों पर अण्डे दिखाई दे एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 1500 PPM की 02 मिली/ लीटर पानी घोलकर स्प्रे करें। मध्य से अन्त तक चक्र अवस्था में तीन रसायनों का 7-9 दिन पर बदल-बदल कर छिड़काव करें।

कम खर्चीला होता है
स्पाईनोटोरम 11.7 प्रतिशत एससी की 0.3 मिली / लीटर पानी, क्लोरनट्रानिलि प्रोल 18.5 प्रति एससी की 0.4 मिली मात्रा / लीटर पानी, थायोमेथाक्सम 12.6 प्रति + लैम्बडा साइहैलोथ्रिन 9.5 प्रति एससी की 0.5 मिली मात्रा/लीटर पानी या एसीफेट 50 प्रतिशत + इमिडाक्लोरोपिड 1.8 प्रतिशत एस पी के साथ इमामेक्टिन बेंजोएट 5 प्रति 05 जी मिलाकर स्प्रे करें। फसल की बाली भूट्टे की अवस्था में सूड़ियों को पकड़कर नष्ट करने, बर्ड पर्चर लगाने व इस प्रकार की यांत्रिक विधियों द्वारा ही नियंत्रण उचित व कम खर्चीला होता है।

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