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सीएम योगी ने देखा मॉडल प्रिजन एक्ट-2023 का प्रेजेंटेशन : दिया ओपन जेल का सुझाव, जानें क्या होंगे सुधार

Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष गुरुवार को यहां उनके सरकारी आवास पर मॉडल प्रिजन एक्ट-2023 के सम्बन्ध में प्रस्तुतिकरण किया गया। मुख्यमंत्री ने कारागार सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण दिशानिर्देश देते हुए कहा कि कारागारों को ‘सुधार गृह’ के रूप में स्थापित किया जाए। उन्होंने प्रदेश के नए प्रिजन एक्ट को तैयार करने के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन दिया।

सीएम ने कहा कि भारत सरकार द्वारा हाल ही में मॉडल प्रिजन एक्ट-2023 तैयार किया गया है। यह मॉडल एक्ट कैदियों के सुधार तथा पुनर्वास की दृष्टि से अत्यंत उपयोगी है। इस मॉडल एक्ट के अनुरूप प्रदेश की आवश्यकताओं का ध्यान रखते हुए प्रदेश का नया प्रिजन एक्ट तैयार किया जाए।

वर्तमान समय में जेल तथा जेल में निरुद्ध बन्दियों के संबंध में जेल अधिनियम-1894 और कैदी अधिनियम-1900 प्रचलित हैं। यह दोनों अधिनियम आजादी के पूर्व से प्रचलन में हैं, जिसके अनेक प्राविधान बदलते परिवेश एवं बंदियों के पुनर्वासन की सुधारात्मक विचारधारा के अनुकूल नहीं हैं।

प्रिजन एक्ट 1894 का उद्देश्य अपराधियों को अभिरक्षा में अनुशासित ढंग से रखने पर केन्द्रित है, लेकिन हमें सुधार एवं पुनर्वासन पर केन्द्रित होना होगा। ऐसे में भविष्य को दृष्टिगत रखते हुए हमें नए एक्ट को लागू करने की आवश्यकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश मंत्रिपरिषद ने विगत दिनों नये जेल मैन्युअल को अनुमोदित किया है। जेल सुधारों की ओर यह महत्वपूर्ण प्रयास है। हमें कारागारों को सुधार के बेहतर केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करना होगा। इस दिशा में ‘ओपेन जेल’ की स्थापना उपयोगी सिद्ध हो सकती है। वर्तमान में लखनऊ में एक सेमी ओपेन जेल संचालित है। ओपेन जेल की स्थापना के लिए विधिवत प्रस्ताव तैयार करें।

उन्होंने कहा कि हमें कारागारों को ‘सुधार गृह’ के रूप में स्थापित करना होगा। इस उद्देश्य से हर आवश्यक कदम उठाए जाएं। कैदियों का सुरक्षा मूल्यांकन, शिकायत निवारण, कारागार विकास बोर्ड, कैदियों के प्रति व्यवहार में बदलाव एवं महिला कैदियों व ट्रांसजेंडर आदि के लिये अलग बैरक के प्रावधान जैसी व्यवस्था लागू की जाए।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि आदतन अपराधियों, आतंकवादियों जैसे देश व समाज के लिए बड़ा खतरा बने कैदियों के लिए हाई सिक्योरिटी बैरक तैयार कराए जाएं। इनकी सुरक्षा के लिए उच्च मानकों का कड़ाई से पालन किया जाए। जेलों में मोबाइल फोन जैसी प्रतिबंधित वस्तुओं के इस्तेमाल पर कठोरतम दंड का प्राविधान लागू करें।

कारागार प्रशासन में पारदर्शिता लाने की दृष्टि से प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग किया जाना चाहिए। वर्तमान में प्रदेश के कारागारों में बंदियों के प्रवेश/ निकास ई-प्रिजन के माध्यम से कराये जा रहे हैं। प्रिजनर्स इन्फॉरमेशन मैनेजमेंट सिस्टम, विजिटर मैनेजमेंट सिस्टम, ई-अभिरक्षा प्रमाण-पत्र, पुलिस इन्टेलीजेंस सिस्टम लागू हैं।

4200 से अधिक सीसीटीवी कैमरे प्रदेश की कारागारों में लगे हुए हैं, जिनकी सतत् निगरानी मुख्यालय में स्थापित वीडियो वॉल से की जाती है, जिन पर एलर्ट भी प्राप्त होते रहते हैं। इसके अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि ड्रोन कैमरों को वीडियो वॉल से इन्टीग्रेट कर मॉनीटरिंग की जाए। न्यायालयों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का प्रावधान, कारागारों में वैज्ञानिक तथा तकनीकी हस्तक्षेप आदि का प्रावधान भी किया जाए। नये एक्ट को तैयार करते समय इसका ध्यान रखा जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जेल में अच्छे आचरण को प्रोत्साहित करने के लिये कैदियों को कानूनी सहायता, पेरोल, फर्लो और समय से पहले रिहाई का लाभ मिलना चाहिए। नए एक्ट में इस संबंध में सुस्पष्ट प्राविधान रखे जाएं।

इस अवसर पर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र, पुलिस महानिदेशक विजय कुमार, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल, महानिदेशक कारागार एसएन साबत, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री, गृह एवं सूचना संजय प्रसाद, प्रमुख सचिव कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाएं राजेश कुमार सिंह, स्पेशल डीजी लॉ एण्ड आर्डर प्रशांत कुमार सहित शासन-प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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