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खास खबर : 5 साल में दोगुना हुआ यूपी का बजट, इन क्षेत्रों से हुई रिकॉर्ड इनकम, पढ़ें आंकड़ें

-2015-16 का बजट 03 लाख करोड़ रुपये का था

-वर्ष 2022-23 का बजट 06 लाख 15 हजार करोड़ रुपये का

-5 वर्षों में बजट के दायरे में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई

-पूर्ववर्ती सरकार के 05 वर्षों के सापेक्ष मौजूदा सरकार ने 5 वर्ष में 6,62,357 करोड़ रुपये अधिक व्यय किए

-यह धनराशि विकास कार्याों, गरीब कल्याण, जन कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय की गयी

Uttar Pradesh : सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने कहा कि वर्ष 2022-23 का बजट प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट है। 1947 में प्रदेश का जो पहला बजट आया था, वो कुल 103 करोड़ रुपये का था। उस समय भारत की प्रति व्यक्ति आय थी 267 रुपये और प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 259 रुपये थी। इस समय देश की जीडीपी 9,530 करोड़ रुपये थी। प्रदेश की जीएसडीपी 1,628 करोड़ रुपये थी। 1947 में राष्ट्रीय औसत के बराबर ही प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय थी। लेकिन पिछले 70-75 वर्षों में प्रदेश की राह कहीं खो गयी। 2015-16 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय देश की प्रति व्यक्ति आय की एक तिहाई रह गयी।


मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि उप्र में विकास की प्रभूत क्षमता है। हमारी सरकार के सत्ता में आने के बाद 25 करोड़ जनता के उत्थान के लिए कार्य हुआ है। जब तक हमारे लक्ष्य ऊंचे नहीं होंगे, तब तक हमारी उपलब्धियां बड़ी नहीं होंगी। वर्तमान बजट का दायरा बढ़ा है। 2015-16 का बजट 03 लाख करोड़ रुपये का था, वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट 06 लाख 15 हजार करोड़ रुपये का है। पिछले लगभग 05 वर्षों में बजट के दायरे में दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने पिछले 05 वर्षों में जो कुछ किया है, उसी को आगे बढ़ाने के लिए यह बजट प्रस्तुत किया गया है।

विकास को भी नयी गति दी

सीएम योगी ने कहा कि वर्ष 2012-17 के मध्य 12,48,102.75 करोड़ रुपये का व्यय किया गया। वर्ष 2017-22 के मध्य हमारी सरकार ने 19,10,459.97 करोड़ रुपये व्यय किये। इस प्रकार पूर्ववर्ती सरकार के 05 वर्षों के सापेक्ष हमारी सरकार ने 05 वर्ष में 6,62,357 करोड़ रुपये अधिक व्यय किये। यह धनराशि विकास कार्यों, गरीब कल्याण, जन कल्याणकारी योजनाओं पर व्यय की गयी। हमने सदी की सबसे बड़ी महामारी का कुशल प्रबन्धन किया, जिसकी सर्वत्र सराहना हो रही है। साथ ही, औद्योगिक विकास को भी नयी गति दी। वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में प्रदेश की जीएसडीपी की वृद्धि दर 19.6 प्रतिशत थी।

7.6 प्रतिशत रह गया है

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 के बजट में राज्य कर से आमदनी 29 प्रतिशत थी। वर्तमान बजट में यह बढ़कर 36 प्रतिशत हो गयी है। आमदनी में यह वृद्धि राज्य सरकार के बेहतर वित्तीय प्रबन्धन, राजस्व चोरी रोकने के प्रयासों के फलस्वरूप सम्भव हुई है। वर्ष 2016-17 में बजट का 15.80 प्रतिशत वित्त पोषण ऋण के माध्यम से होता था। वर्ष 2022-23 के बजट में यह 13 प्रतिशत है। बजट के आकार में बड़ी वृद्धि के बावजूद ऋण से होने वाले वित्त पोषण में कमी राजकोष की बेहतर स्थिति दर्शाती है। वर्ष 2016-17 में बजट का एक बड़ा हिस्सा लगभग 08 प्रतिशत पुराने ऋणों के ब्याज को चुकाने में जा रहा था, वर्तमान में बेहतर वित्तीय प्रबन्धन से यह घटकर बजट का कुल 7.6 प्रतिशत रह गया है।

अनुमानित की है

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दौरान उत्तर प्रदेश की प्रति व्यक्ति की आय को दोगुना करने में सफलता मिली है। वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक प्रदेश की जीएसडीपी की औसत वृद्धि दर 12.28 प्रतिशत रही। जबकि वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में औसत वृद्धि दर 13.71 प्रतिशत रही। वित्त मंत्रालय, भारत सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्रदेश की जीएसडीपी, 20 लाख 48 हजार 234 करोड़ रुपये अनुमानित की है।

ऋण वितरित किया गया

इस प्रकार वर्ष 2022-23 में जीएसडीपी में 17.08 प्रतिशत वृद्धि की सम्भावना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बैंकों का ऋण जमा अनुपात मार्च, 2017 में 46.21 प्रतिशत था जो मार्च, 2022 में बढ़कर 52.38 प्रतिशत हो गया है। यह दर्शाता है कि आमजन स्वावलम्बन की ओर अग्रसर हुआ है। वर्ष 2012 से 2017 की अवधि में कुल 5.20 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया, जबकि 2017 से 2022 की अवधि में कुल 9.52 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया।

सफलता हासिल की है

सीएम ने कहा कि प्रदेश का बजट प्रबन्धन बहुत महत्वपूर्ण रहा है। कोरोना की चुनौतियों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के अभूतपूर्व कार्यों, लोककल्याण की अनेक योजनाओं के बाद भी प्रदेश सरकार राजकोषीय घाटे को एफआरबीएम एक्ट की तय सीमा 4.5 प्रतिशत के सापेक्ष 3.96 प्रतिशत तक रखने में सफलता हासिल की है। यह प्रदेश सरकार की राजकोषीय अनुशासन के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह बजट हमारी सरकार का छठवां बजट है। हमने वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पूर्व लोक कल्याण पत्र-2022 जारी किया था।

परिवर्तन के लिए कार्य कर रही है

इस संकल्प पत्र में कुल 130 घोषणाएं थीं, जिसमें 97 संकल्पों को हमारी सरकार ने अपने पहले ही बजट में स्थान दिया है। इसके लिए 54,883 करोड़ रुपये का प्राविधान प्रस्तावित है। लोक संकल्प पत्र को 05 वर्षों में लागू किया जाना है। वर्तमान बजट में शेष रह गये 33 संकल्पों को आगामी वर्षों में धीरे-धीरे लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संकल्प का विकल्प और बहाना हम नहीं ढूंढते। हमारी सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के प्रधानमंत्री के मंत्र के अनुरूप प्रदेश की जनता के जीवन में व्यापक परिवर्तन के लिए कार्य कर रही है।

महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित था

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने प्रत्येक बजट में एक थीम को लेकर योजनाबद्ध ढंग से प्रयास किया है। वर्तमान सरकार ने वर्ष 2017-18 में अपना पहला बजट किसानों को समर्पित किया था। वर्ष 2018-19 का बजट औद्योगिक विकास तथा बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के लिए था। वर्ष 2019-20 का बजट महिला सशक्तिकरण के लिए समर्पित था। वर्ष 2020-21 का बजट युवाओं तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए समर्पित था।

संकल्पना को समर्पित है

वर्ष 2021-22 के बजट का केन्द्र बिन्दु राज्य के विभिन्न वर्गों का ‘स्वावलम्बन से सशक्तिकरण’ का था। राज्य सरकार के इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि अब उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है। वर्ष 2022-23 का बजट ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ एवं ‘अंत्योदय’ की संकल्पना की सिद्धि’ को समर्पित है। राज्य सरकार के इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि जनता जनार्दन ने दोबारा हमारी सरकार को सेवा का अवसर दिया है। वर्ष 2022-23 का बजट आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश एवं ‘अंत्योदय’ की संकल्पना को समर्पित है।

वृद्धि दर 12.28 प्रतिशत रही

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा बजट है। वर्ष 2015-16 में प्रदेश के बजट का आकार 03 लाख 02 हजार 687 करोड़ रुपये का था, जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 06 लाख 15 हजार 518 करोड़ 97 लाख रुपये का हो गया। 05 वर्षों में प्रदेश के बजट के आकार में 02 गुने से अधिक की वृद्धि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को विस्तार देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2016-17 तक प्रदेश की जीएसडीपी की औसत वृद्धि दर 12.28 प्रतिशत रही। जबकि वर्ष 2017-18 एवं 2018-19 में औसत वृद्धि दर 13.71 प्रतिशत रही।

क्रियान्वयन किया है

कोविड संक्रमण के प्रभाव स्वरूप आर्थिक गतिविधियों की दृष्टि से वित्तीय वर्ष 2019-20, 2020-21 एवं 2021-22 सामान्य नहीं रहे। इसके बावजूद वर्ष 2021-22 के प्रथम त्रैमास में प्रदेश की जीएसडीपी में 19.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश एक नई दिशा में बढ़ चुका है। हमारी सरकार ने उत्तर प्रदेश की सम्भावनाओं के लिए हर वर्ग के लिए बिना भेदभाव के कार्य किया है। गरीब, दलित, अतिपिछड़े आदि वर्गों के लिए योजनाएं बनाकर उनका क्रियान्वयन किया है।

वैराग्य का भाव था

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान देश की अनेक सरकारों ने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की। हमारी सरकार जनता-जनार्दन के साथ पूरी संवेदना के साथ खड़ी रही। कोरोना काल खण्ड में भी प्रदेश वासियों पर कोई अतिरिक्त कर नहीं लगाया गया। स्ट्रेट वेण्डर्स श्रमिक के भरण-पोषण की व्यवस्था की गयी। उज्ज्वला योजना में गरीब परिवारों को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना एवं प्रदेश सरकार के अपने संसाधनों से जरूरतमन्दों के लिए राशन की व्यवस्था की। वृद्धजन, निराश्रित महिला, दिव्यांगजन को पेंशन धनराशि उपलब्ध करायी गयी। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार गरीब कल्याणकारी योजनाओं के प्रति वैराग्य का भाव था।

36,231 करोड़ रुपये प्राप्त हुए

सीएम ने कहा कि राज्य सरकार ने बजट के दायरे को बढ़ाने के लिए राजस्व संग्रह को बढ़ाया। वर्ष 2016-17 में राज्य का कर राजस्व लगभग 86 हजार करोड़ रुपये था, जो वर्ष 2021-22 में 80 प्रतिशत बढ़कर 01 लाख 55 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। वर्ष 2016-17 में सेल्स टैक्स और वैट से लगभग 51,800 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई, जो कोविड के बावजूद बढ़कर लगभग 90,000 करोड़ रुपये हो गयी है। वर्ष 2016-17 में एक्साइज से 14,273 करोड़ रुपये के सापेक्ष वर्ष 2021-22 में 36,231 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।

अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है

वर्ष 2016-17 में स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन में 11,564 करोड़ रुपये के राजस्व को वर्ष 2021-22 में बढ़ाकर 20,045 करें लाख रुपये किया। परिवहन में वर्ष 2016-17 में प्राप्त 5,148 करोड़ रुपये के राजस्व को वर्ष 2021-22 में बढ़ाकर 7,159 करोड़ रुपये किया गया। प्रदेश का यह बढ़ा हुआ राजस्व, राज्य के विकास का आधार बन रहा है। राज्य सरकार ने पारदर्शिता के साथ निरन्तर प्रयास से प्रदेश के सम्बन्ध में धारणा को बदला है। प्रधानमंत्री की मंशा के अनुरूप राज्य की अर्थव्यवस्था आगे बढ़ रही है।

प्राकृतिक खेती के लिए गोरक्षा आवश्यक है

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक ओर नेता प्रतिपक्ष किसान की बात करते हैं, दूसरी ओर उन्हें गोबर में बदबू नजर आती है। भारत कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाला देश है। गाय और गोबर के बिना खेती नहीं हो सकती। अब अगरबत्ती भी गोबर से बन रही है। हमारी सरकार नेचुरल फार्मिंग की व्यवस्था लेकर आ रही है। नेचुरल फार्मिंग, केमिकल, फर्टिलाइजर, पेस्टीसाइड के साइड इफेक्ट से मुक्त करती है। इसके माध्यम से जनता को ऑर्गेनिक उत्पाद उपलब्ध कराया जा सकता है। यह गोमाता के बगैर सम्भव नहीं है। प्राकृतिक खेती के प्रधानमंत्री के विजन को धरातल पर उतारने के लिए अनेक कार्यक्रम चल रहे हैं। प्राकृतिक खेती को गंगा के तटवर्ती क्षेत्रों में बढ़ाया जा रहा है। बुंदेलखंड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती के लिए बजट व्यवस्था की गयी है। प्राकृतिक खेती के लिए गोरक्षा आवश्यक है।

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