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पराली जली तो नपेंगे लेखपाल : डीएम ने गठित किया सचल दस्ता, इन्हें मिली गांवों में निगरानी की जिम्मेदारी

Deoria News : जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (Deoria DM Jitendra Pratap Singh IAS) ने पराली (धान की पुआल/अन्य कृषि अपशिष्टों) के जलाये जाने के कारण होने वाले प्रदूषण को नियन्त्रित करने के लिए जनपद स्तर पर तथा प्रत्येक तहसील स्तर पर उप जिलाधिकारी के पर्यवेक्षण में सचल दस्ता गठित किया है।

उन्होंने संबंधित बीडीओ, सहायक विकास अधिकारी (कृषि) के साथ-साथ कृषि विभाग से संबंधित एटीएम व बीटीएम, राजस्व विभाग से संबंधित लेखपाल, पुलिस विभाग से संबंधित थानाध्यक्ष की ड्यूटी न्याय पंचायतवार लगाई है तथा उन्हें निर्देशित किया गया है कि सम्बन्धित कर्मचारी अपने न्याय पंचायत के समस्त राजस्व ग्रामों में पराली/फसल अपशिष्ट जलाने से रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करना सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी जेपी सिंह ने ड्यूटी में लगाये गये कर्मचारियों को निर्देशित किया है कि वे कृषकों के मध्य फसल अवशेष जलाने से मिट्टी जलवायु एवं मानव स्वास्थ्य को होने वाली हानि विषय में अवगत कराएं। उन्हें यह भी अवगत कराए कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal-NGT) के आदेशानुसार दण्डनीय अपराध है। सम्बन्धित राजस्व ग्राम में पराली न जलाये जाने के लिए समस्त कदम उठायें जाएं। पराली जलाने पर सम्बन्धित लेखपाल के साथ सम्बन्धित कर्मचारी का पूर्ण रूप से उत्तरदायित्व निर्धारण किया जायेगा।

डीएम ने कहा है कि तहसील एवं विकास खण्ड के समस्त लेखपाल एवं ग्राम प्रधानों को सम्मिलित करते हुये एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाए। उस क्षेत्र में कहीं भी फसल अवशेष जलाये जाने की घटना होती है, तो सम्बन्धित लेखपाल एवं ग्राम प्रधान व्हाट्सएप ग्रुप एवं दूरभाष के माध्यम से सम्बन्धित तहसील स्तर पर गठित सचल दस्ते को तत्काल इसकी सूचना देंगे।

पराली, कृषि अपशिष्ट जलाये जाने की घटना पाये जाने पर सम्बन्धित को दण्डित करने के सम्बन्ध में राजस्व अनुभाग-10 के शासनादेश अनुरुप दण्डात्मक कार्रवाई की जाए तथा सम्बन्धित के विरुद्ध अर्थदण्ड लगाये जाने के सम्बन्ध में कार्रवाई सुनिश्चित की जायेगी।

कृषि भूमि का क्षेत्रफल 02 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदण्ड 2500/-प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल 2 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड 5000/-प्रति घटना, कृषि भूमि का क्षेत्रफल 05 एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदण्ड 15000/- प्रति घटना निर्धारित है।

उन्होंने कहा है कि इन-सीटू मैनेजमेन्ट के लिए नियमानुसार अनुमन्य कृषि यंत्रों का प्रचार-प्रसार एवं उपलब्ध इन-सीटू यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेष प्रबन्धन कराया जाए। साथ ही जन जागरण अभियान के माध्यम से भी फसल अवशेष न जलाये जाने एवं फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए सचेत करते हुये कृषकों को प्रेरित करेंगे।

जिलाधिकारी ने उन्हें यह भी निर्देशित किया है कि कृषि अपशिष्ट जलाने वाले व्यक्ति, कृषक के विरुद्ध सचल दस्ते का यह दायित्व होगा कि धान की कटाई से लेकर गेहूं की बुआई तक फसल अवशेष जलाने की रोकथाम के लिये की गई कार्रवाई की सतत निगरानी एवं अनुश्रवण करते हुये प्रत्येक कार्य दिवस की सूचना अनिवार्य रूप से जनपद स्तर पर गठित सचल दस्ते को दिया जाए।

डीएम ने प्रत्येक गाँव के क्षेत्रीय लेखपाल एवं ग्राम प्रधान को यह निर्देशित किया है कि किसी भी दशा में अपने क्षेत्र से पराली / कृषि अपशिष्ट न जलाने दिया जाये। कृषि अपशिष्ट जलाने की घटना प्रकाश में आने पर सम्बन्धित लेखपाल जिम्मेदार होगें। इसके अतिरिक्त सहायक विकास अधिकारी (कृषि) इन-सीटू मैनेजमेन्ट के लिए नियमानुसार अनुमन्य कृषि यंत्रों का प्रचार प्रसार करते हुये कृषकों को प्रेरित करेंगे। सम्बन्धित तहसीलदार प्रतिदिन की सूचना अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व को उपलब्ध कराने के साथ ही उप कृषि निर्देशक, देवरिया को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

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