New Delhi : केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शनिवार को कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) से कहा कि वे सिंचाई परियोजनाओं और अन्य अवसंरचनाओं समेत कृषि क्षेत्र को लंबी अवधि के और कर्ज देने पर ध्यान दें।
ध्यान देना जरूरी है
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंकों को देश में सिंचिंत भूमि को बढ़ाने के उद्देश्य से कर्ज प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए। शाह ने कहा कि छोटे किसानों के समक्ष आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए सहकारी बैंकों को इस बारे में सोचना चाहिए कि सहकारिता की भावना के साथ इस तरह के छोटे खेतों में किस तरह काम करना चाहिए।
भारत पूरी दुनिया का पेट भर सकता है
उन्होंने कहा कि भारत में 49.4 करोड़ एकड़ कृषि भूमि है, जो अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है। यदि पूरी कृषि भूमि को सिंचित किया जाए, तो भारत पूरी दुनिया का पेट भर सकता है। आजादी के बाद से 70 साल में 64 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य बनी, परन्तु प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 8 साल में 64 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में वृद्धि हुई। कृषि का निर्यात पहली बार 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह किसान कल्याण के प्रति मोदी सरकार की निष्ठा को दर्शाता है।
बढ़ा ही नहीं
एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘‘यदि आप पीछे मुड़कर देखेंगे और सहकारिता संस्थानों के जरिए दीर्घकालिक ऋण की पिछले 90 वर्ष की यात्रा पर गौर करेंगे कि यह कैसे कम हुआ है तो आंकड़ों को देखने पर पाएंगे कि यह बढ़ा ही नहीं है।’’
दीर्घकालिक ऋण में कई बाधाएं हैं
उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक ऋण में कई बाधाएं हैं और अब समय आ गया है कि सहकारिता की भावना के साथ इन अवरोधकों से पार पाया जाए। शाह ने कहा कि सहकारिता बैंकों को केवल बैंकों के तौर पर काम नहीं करना चाहिए, बल्कि सिंचाई जैसी कृषि अवसंरचना की स्थापना जैसी अन्य सहकारी गतिविधियों पर भी ध्यान देना चाहिए।
ग्रामीण विकास बैंकों ने किया है
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सहकारी क्षेत्र का कोई भी यूनिफाइड डेटाबेस नहीं है। जब तक डेटाबेस नहीं होगा, आप इस क्षेत्र के विस्तार के बारे में नहीं सोच सकते हैं। विस्तार तभी हो सकता है जब आप जानते हो कि विस्तार कहाँ करना है। सहकारिता मंत्रालय ने सहकारी क्षेत्र का डेटाबेस बनाने का काम शुरू कर दिया है। 9 दशक पहले जब कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों की शुरुआत हुई तब देश की कृषि प्रकृति व भाग्य पर आधारित थी, उसे भाग्य से परिश्रम के आधार पर परिवर्तित करने का काम हमारे कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों ने किया है।