Uttar Pradesh News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राजधानी लखनऊ के लोक भवन में संविधान दिवस पर उपस्थित महानुभावों को भारत के संविधान की उद्देशिका का सशपथ पाठन कराया। इस अवसर पर उन्होंने संविधान के आदर्शों पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। इसके पूर्व, मुख्यमंत्री ने बाबा साहब डॉ भीमराव आम्बेडकर जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धान्जलि दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत के संविधान को अंगीकृत किए जाने के अमृत महोत्सव का समारूप है। वर्ष 2015 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से पूरा देश 26 नवम्बर की तिथि को संविधान दिवस के रूप में आयोजित करता है।
इस अवसर पर सीएम योगी ने कहा कि आज भारत के संविधान को अंगीकृत किए जाने के अमृत महोत्सव का समारूप है। वर्ष 2015 से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से पूरा देश 26 नवम्बर की तिथि को संविधान दिवस के रूप में आयोजित करता है। भारत सौभाग्यशाली है कि यहाँ के नागरिकों ने संविधान को सर्वोपरि मान कर सदैव इसका सम्मान किया है। स्वाधीनता संग्राम सेनानियों व प्रतीकों के प्रति आदर भाव प्रदर्शित करते हुए संविधान की मूल भावनाओं को अपने जीवन का हिस्सा बनाने का प्रयास किया है। जब कोई देश अपने संविधान की मूल भावनाओं को सम्मान देते हुए आगे बढ़ता है, उसे विकसित होने से कोई ताकत नहीं रोक सकती। हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहना होगा। जो व्यक्ति जिस क्षेत्र में कार्य कर रहा है, उसे उस क्षेत्र में पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना होगा।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी की अध्यक्षता में संविधान सभा ने भारत के संविधान का निर्माण किया था। संविधान सभा की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में बाबा साहब डॉ भीमराव आम्बेडकर की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण थी। संविधान के निर्माण में 02 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन लगे। स्वाधीनता संग्राम सेनानियों के योगदान तथा संविधान विशेषज्ञों के सहयोग के परिणामस्वरूप भारत की अनेकता को एकता में परिवर्तित करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा संविधान बना। हम सभी को अपने संविधान पर गौरव की अनुभूति करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबा साहब डॉ भीमराव आम्बेडकर ने संविधान सभा में कहा था कि संविधान एक ऐसा दस्तावेज है, जो भारत की विविधता को एकता में परिवर्तित करने में सदैव मार्गदर्शिका के रूप में देश का नेतृत्व करेगा। वर्तमान में संविधान लागू होने का अमृत महोत्सव वर्ष चल रहा है। संविधान अंगीकृत किए जाने के अमृत महोत्सव वर्ष का समारोह आज यहां पर आयोजित किया जा रहा है। प्रत्येक संस्था व पंचायत में इस प्रकार के आयोजन के माध्यम से संविधान की प्रस्तावना का वाचन करने का प्रयास हुआ है। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2015 में संविधान दिवस पर पूरे देशवासियों को इस बात के लिए प्रेरित किया था।
सीएम योगी ने कहा कि अक्सर होता है कि हम में से प्रत्येक व्यक्ति स्वतंत्र भारत का नागरिक होने के बावजूद स्वतंत्रता की वास्तविक कीमत को विस्मृत किए जा रहा है। क्योंकि हमने स्वाधीनता की लड़ाई को अपनी आंखों से नहीं देखा। अंग्रेजों की क्रूर यातनाओं को नहीं सहा। प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने अधिकार की बात करता है। अधिकार तब संरक्षित व सुरक्षित होते हैं, जब हम स्वयं अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की आदत डालें। कर्तव्य के बिना अधिकार नहीं हो सकता। जिन देशों में लोगों ने कर्तव्य के बगैर अधिकार प्राप्त करने का प्रयास किया है, वहां लोकतंत्र नहीं है। वहां कोई न कोई तानाशाह पूरी व्यवस्था को अपनी गिरफ्त में लेकर वहां के आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों को रौंदता हुआ दिखाई देता है।
उन्होंने आगे कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में प्रधानमंत्री जी ने देशवासियों के सामने विकसित भारत की संकल्पना रखी थी। प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि जब यह देश अपनी आजादी के 100वें वर्ष में प्रवेश करेगा, तब हमें कैसा भारत चाहिए, इस पर प्रत्येक भारतवासी को मनन करना होगा। यदि हमें विकसित और आत्मनिर्भर भारत चाहिए, तो प्रत्येक भारतवासी को दायित्वों का एहसास दिलाने वाले पंचप्रण से जुड़ना होगा। पंचप्रण के अन्तर्गत प्रत्येक व्यक्ति को गुलामी की मानसिकता से मुक्त होना, सैनिकों, अर्द्धसैनिक बलों तथा पुलिस का सम्मान करना आवश्यक है। हम सब इसलिए सुरक्षित हैं, क्योंकि हमारे सैनिक माइनस टेम्परेचर में देश की सीमाओं की रक्षा हेतु अडिग रूप से खड़े हैं। हम रात्रि को इसलिए सुरक्षित महसूस करते हैं, क्योंकि पुलिस के जवान निरन्तर अपनी सेवाएं दे रहे होते हैं। यदि कोई एक व्यक्ति कहीं गलती करता है, तो उसके लिए पूरी व्यवस्था को नहीं कोसा जाना चाहिए। उन्हें गलती का परिमार्जन करने का अवसर देना चाहिए। यदि कोई तब भी बार-बार गलती करता है, तो उन्हें इस पर प्रभावी कदम उठाने के लिए कहना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर हम लोग स्वार्थ के लिए सामाजिक विद्वेष की खाई को चौड़ा करने का प्रयास करते हैं। सदैव समाज की एकता और एकात्मता के लिए प्रयास करना हमारा दायित्व होना चाहिए। यह हमारा नैतिक, संवैधानिक और राष्ट्रीय दायित्व भी है। हमें अपनी विरासत का सम्मान करना होगा। भारत जैसे प्राचीन देश में बहुमूल्य विरासत, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परम्परा है। स्वाधीनता संग्राम के दौरान अलग-अलग क्षेत्रों में हुए विभिन्न संघर्षों में जिन महापुरुषों ने स्वयं को समर्पित कर भारत की एकता और अखण्डता के लिए मिलकर कार्य किया, उन महापुरुषों की धरोहर हमारे पास आज भी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि हम भारत के संविधान का अपमान करते हैं, तो यह बाबा साहब डॉ0 भीमराव आम्बेडकर तथा भारत के स्वाधीनता संग्राम सेनानियों और बलिदानियों का अपमान होगा। उन गरीबों का अपमान होगा, जिन्हांने संविधान की ताकत के बल पर अपना लोकतांत्रिक अधिकार पाया है। उस आधी आबादी का अपमान होगा, जिसे संविधान ने पहले आम चुनाव में मत देने का अधिकार प्रदान किया था। दुनिया में ऐसा अन्यत्र कहीं नहीं हुआ। दुनिया में आधुनिक लोकतंत्र की उद्घोषणा करने वाले अनेक देशों ने कुछ तबकों को ही मत देने का अधिकार दिया था।
सीएम ने कहा कि आधुनिक लोकतंत्र का दावा करने वाले दुनिया के अनेक बड़े देशों ने अपने यहां आधी आबादी अर्थात महिलाओं को मत देने का अधिकार बहुत बाद में दिया। भारत ने पहले आम चुनाव से ही प्रत्येक वयस्क मतदाता को, जो भारत का नागरिक है, चाहे वह किसी भी जाति, क्षेत्र, मत और मजहब का हो, मत देने का अधिकार प्रदान किया है। भारत में संविधान लागू होने के साथ ही बिना भेदभाव के सामाजिक रूप से अस्पृश्य कहे जाने वाले दलित समाज व जनजातीय समाज के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी। उनको यह अधिकार समाज की मुख्यधारा के साथ जोड़ने और सामाजिक समता के निर्माण में उनकी भूमिका के निर्वहन हेतु प्रदान किया गया। भारत के संविधान की भावनाओं को आगे बढ़ाने के लिए आज नया भारत उस दिशा में तेजी के साथ आगे बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि एक विद्यार्थी यदि ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करता है, तो मानकर चलिए कि वह भारत के संविधान का सम्मान कर रहा है। यदि एक शिक्षक ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अपने उत्तरदायित्वों को पूर्ण कर रहा है, इसका मतलब वह भारत के संविधान का सम्मान कर रहा है। यदि व्यापारी ईमानदारी के साथ अपने व्यापार कार्य को सम्पन्न कर रहा है, शासकीय सेवा में कार्य करने वाला कोई कार्मिक ईमानदारी के साथ अपने उत्तर दायित्वों का निर्वहन कर रहा है, तो यह मान कर चलिए कि वह अपने नागरिक कर्तव्यों का ईमानदारीपूर्वक पालन करते हुए भारत के संविधान के प्रति अपनी सच्ची निष्ठा का निर्वहन भी कर रहा है। कोई व्यक्ति चाहे वह किसी भी पद पर हो, यदि वह ईमानदारी के साथ अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन नहीं कर रहा है, तो इसका तात्पर्य है कि वह भारत के संविधान, भारत के स्वाधीनता संग्राम सेनानियों तथा भारत की विरासत का अपमान कर रहा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति यूनिफॉर्मधारी फोर्स का अपमान व उनके विरुद्ध टिप्पणी कर रहा है, तो यह भारत के संविधान, भारत की व्यवस्था तथा स्वाधीनता संग्राम सेनानियों का अपमान है। यदि कोई व्यक्ति गुलामी की मानसिकता धारण करने के लिए भारत के नागरिकों को बाध्य कर रहा है या किसी भी तबके को उस मानसिकता के साथ संचालित करने का प्रयास कर रहा है, तो वह भारत का अपमान कर रहा है। यदि कोई व्यक्ति समाज में जाति, क्षेत्र तथा भाषा के नाम पर विद्वेष की खाई चौड़ा कर अराजकता और अव्यवस्था उत्पन्न करने का प्रयास कर रहा है, तो वह भारत का अपमान कर रहा है। भारत को एक बार फिर से उन स्थितियों की ओर ले जाने का प्रयास कर रहा है, जो भारत को कमजोर कर सकती हैं। यह भारत के संविधानविदों तथा संविधान निर्माताओं का अपमान है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक भारतवासी के घर में संविधान की मूल प्रति होनी चाहिए और उसकी प्रस्तावना का वाचन प्रत्येक परिवार में होना चाहिए। हो सकता है कि विस्तृत संविधान को प्रत्येक व्यक्ति न पढ़ पाए। वह उसके अनुच्छेदों व उपबन्धों की जानकारी न प्राप्त करना चाहता हो, लेकिन हमें मूल प्रस्तावना के साथ-साथ उसके भाव की जानकारी होनी चाहिए। मूल संविधान के चित्र में भगवान श्रीराम तथा माता सीता को पुष्पक विमान द्वारा अयोध्या जाते हुए प्रदर्शित किया गया। उसमें महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण द्वारा गीता के उपदेश का चित्र स्थापित है। महात्मा बुद्ध, सम्राट अशोक तथा अन्य महापुरुषों के चित्रों के माध्यम से हमें अपनी विरासत के प्रति गौरव की अनुभूति करने का अवसर दिया गया है। यह सभी चीजें बताती हैं कि भारत का संविधान हमें अपनी विरासत के प्रति सम्मान प्रकट करने का भाव प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कहीं धुआं उठ रहा है, तो हमें सतर्क होना चाहिए। पड़ोस में आग लगी है और यदि हम सतर्क नहीं है तथा उसे बुझाने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, तो देर सवेर वह आग हमें भी चपेट में ले सकती है। यदि कोई व्यक्ति ईमानदारी पूर्वक कार्य कर रहा है, तो उसको सम्मानजनक मानदेय और जीने का पूरा अधिकार मिलना चाहिए। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में डबल इंजन सरकार द्वारा जो प्रयास प्रारम्भ किए गए हैं, वह उसी श्रृंखला का हिस्सा है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विकसित भारत की संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश का विकसित होना तथा विकसित उत्तर प्रदेश के लिए लखनऊ का विकसित होना आवश्यक है। गत विधान मण्डल सत्र के दौरान इस मुद्दे पर 24 घन्टे चर्चा की गयी थी। प्रदेश सरकार ने इस सम्बन्ध में जनता के सुझाव प्राप्त करने के लिए पोर्टल लॉन्च किया। विकसित भारत व विकसित उत्तर प्रदेश के लिए शिक्षा, हेल्थ, एम्प्लॉयमेन्ट, स्किल डेवलपमेन्ट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, एग्रीकल्चर, इन्वेस्टमेन्ट, सिक्योरिटी आदि क्षेत्रों में अब तक 98 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं। यह चीजें दिखातीं हैं कि व्यवस्था के साथ प्रत्येक व्यक्ति जुड़ना चाहता है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि कुछ अच्छा परिवर्तन हो। 98 लाख लोगों का तात्पर्य प्रत्येक पांच परिवारों में से एक परिवार ने हमें सुझाव भेजा है।
सीएम योगी ने कहा कि आत्मनिर्भरता की शुरुआत हमें सबसे छोटी इकाई से प्रारम्भ करनी होगी। यदि ग्राम पंचायत व वॉर्ड आत्मनिर्भर होगा, तो जनपद, प्रदेश व देश भी आत्मनिर्भर हो जाएगा। यदि भारत आत्मनिर्भर होगा, तो विकसित भारत की संकल्पना हमसे दूर नहीं हो सकती है। आज यहाँ संविधान दिवस पर विगत एक वर्ष में संविधान को अंगीकृत किये जाने के अमृत महोत्सव वर्ष में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया गया। सरकार ने तय किया कि विकसित उत्तर प्रदेश के निर्माण सम्बन्धी अच्छे सुझावों को जनपद तथा प्रदेश स्तर पर दो श्रेणियों में विभाजित करते हुए जनपद स्तर पर तीन तथा प्रदेश स्तर पर पांच अच्छे सुझावों को समारोहपूर्वक सम्मानित किया जाएगा।
कार्यक्रम में संविधान पर आधारित एक लघु फिल्म प्रदर्शित की गयी।
कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह, कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी, लखनऊ की महापौर सुषमा खर्कवाल, उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
