Kakori Train Action : 4600 रुपये की लूट के लिए 4 क्रांतिकारियों को फांसी, 40 पर चला मुकदमा, पढ़ें पूरी घटना

Gorakhpur News : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने सोमवार, 19 दिसंबर को काकोरी बलिदान दिवस (Kakori Balidan Diwas) के अवसर पर जनपद गोरखपुर के महंत दिग्विजयनाथ पार्क में आयोजित देश के सबसे बड़े ड्रोन शो का अवलोकन किया। इस ड्रोन शो में 750 ड्रोन के माध्यम से देश की आज़ादी की गाथाओं को प्रस्तुत किया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने देश की आजादी के लिए बलिदान देने वाले सभी ज्ञात-अज्ञात अमर बलिदानियों को नमन करते हुए कहा कि देश की आजादी के लिए लखनऊ के काकोरी नामक स्थान पर क्रान्तिकारियों ने ब्रिटिश सरकार द्वारा ट्रेन से भेजे जा रहे खजाने को लेकर काकोरी की घटना को अंजाम दिया था। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश गवर्नमेण्ट ने क्रान्तिकारियों पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को गिरफ्तार कर फांसी दे दी थी।

सीएम ने कहा कि पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर की जेल में रखा गया था। सन् 1927 में 19 दिसंबर के दिन ही के दिन उन्हें जेल में फांसी दी गई थी। ऐसे ही अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह तथा राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को भी अयोध्या, प्रयागराज और गोण्डा की जेल में फांसी दी गई। राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को फांसी के लिए 19 दिसम्बर, 1927 की तिथि तय थी, लेकिन ब्रिटिश गवर्नमेण्ट ने भयभीत होकर निश्चित तिथि से दो दिन पूर्व 17 दिसम्बर, 1927 को ही उन्हें फांसी दे दी। मगर क्रान्ति की ज्वाला इन क्रान्तिकारियों के बलिदान से और तेजी के साथ बढ़ती गयी। इसके परिणामस्वरूप 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हुआ।

मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में देशवासियों को पंचप्रण दिए हैं। इसमें पहला है कि हर भारतवासी गुलामी के अंशों को समाप्त करेगा, गुलामी का अंश जहां भी होगा, उसे हम स्वीकार नहीं करेंगे। क्रान्तिकारियों के बलिदान स्थल को भव्य स्मारक के रूप में विकसित करना, उनके प्रति सम्मान का भाव, विरासत का ही सम्मान है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए पंचप्रणों में विकसित भारत का प्रण भी सम्मिलित है। इसके तहत विकसित, आत्मनिर्भर और सशक्त भारत पूरी दुनिया को न केवल सुरक्षा देगा, बल्कि पूरी दुनिया को नेतृत्व देकर लोकमंगल की कामना के साथ विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में हमारा देश उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।

सीएम ने कहा कि जब देश गुलाम था, देशवासियों पर अत्याचार हो रहे थे, चन्द्रशेखर आजाद ने इसका सामना करते हुए स्वयं ही अपनी गोली से अपने को बलिदान कर दिया। सन् 1857 का प्रथम स्वतंत्रता समर प्रदेश में ही जन्मे मंगल पाण्डेय की हुंकार से प्रारम्भ हुआ, जब उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा दिए जाने वाले गाय व सुअर की चर्बी से बने कारतूसों का इस्तेमाल करने से इंकार करते हुए कहा कि हम भारतीयों पर गोली नहीं चलाएंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर में भी सन् 1857 में बंधु सिंह के नेतृत्व में एक बड़ा अभियान प्रारम्भ हुआ। गोरखपुर में कई ऐसे क्षेत्र थे, जिसमें क्रान्तिकारियों ने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता समर में मजबूती के साथ इस आन्दोलन को आगे बढ़ाने का कार्य किया। गोरखपुर में सन् 1922 में चौरी-चौरा के किसानों, मजदूरों ने ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती देते हुए एक नई हुंकार भरी। उस समय कोई जिला, कोई कस्बा ऐसा नहीं था, जिसने आजादी की लड़ाई में बढ़-चढ़कर हिस्सा न लिया हो।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में क्रान्तिकारियों की स्मृतियों को जीवन्त बनाये रखने तथा वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए इन्हें प्रेरणा के रूप में स्थापित करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। राज्य सरकार ने महान क्रान्तिकारी अशफाक उल्ला खां के नाम पर गोरखपुर के प्राणि उद्यान का नाम रखा है। गोरखपुर में ड्राइविंग टेस्टिंग केन्द्र का नामकरण अमर शहीद बंधु सिंह के नाम पर किया गया है।

सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार करने के लिए हर भारतवासी को ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ के मुख्य पर्वों पर प्रधानमंत्री जी द्वारा दिए गए पंचप्रणों के अनुरूप अपने आपको तैयार करना होगा। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में ब्रिटेन को पछाड़कर भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना है। इनोवेशन, रिसर्च एण्ड डेवलपमेण्ट के साथ-साथ पेटेण्ट के 90 प्रतिशत अधिकार रखने वाले जी-20 देशों की अध्यक्षता, भारत प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में 01 दिसम्बर, 2022 से 30 नवम्बर, 2023 तक करेगा। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में इससे बड़ा सौभाग्य और दूसरा नहीं हो सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में हम सभी मिलकर देश को ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ बनाने के अभियान का हिस्सा बनेंगे। हम सभी क्रान्तिकारियों के बलिदान से प्रेरणा लेते हुए भारत की सुरक्षा, समृद्धि और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करने वाले डबल इंजन की सरकार के सभी कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि भारत के महान सपूतों ने आजादी के लिए अपना बलिदान दिया था। ऐसे महान सपूतों को याद करने के लिए यह ड्रोन शो किया जा रहा है। कार्यक्रम को सांसद रवि किशन ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

यह है पूरी घटना
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों ने ब्रिटिश राज के विरुद्ध जबरदस्त युद्ध छेड़ने और हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूटने की एक ऐतिहासिक घटना की, जो 9 अगस्त 1925 को घटी। इस ट्रेन डकैती में जर्मनी के बने चार माउज़र पिस्तौल काम में लाये गये थे। इन पिस्तौलों की विशेषता यह थी कि इनमें बट के पीछे लकड़ी का बना एक और कुन्दा लगाकर रायफल की तरह उपयोग किया जा सकता था। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (Hindustan Republican Association) के केवल 10 सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था।

क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे स्वतन्त्रता आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत थी। क्रांतिकारियों की शाहजहांपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी “8 डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन” को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खाँ, चन्द्रशेखर आज़ाद व 6 अन्य सहयोगियों संग ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाने का 4601 रुपया लूट लिया।

बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों पर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व यात्रियों की हत्या करने का मुकदमा चलाया। इसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां तथा ठाकुर रोशन सिंह को मृत्यु दण्ड (फांसी की सजा) सुनायी गयी। इस प्रकरण में 16 अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी (आजीवन कारावास) तक का दण्ड दिया गया था।

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