Uttar Pradesh : सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की अगुवाई में प्रदेश में बेरोजगारी की दर में कमी आयी है। प्रदेश में वर्ष 2017 में बेरोजगारी दर 17 से 18 प्रतिशत थी। आज वह घटकर मात्र 5 प्रतिशत के स्तर पर रह गयी है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार की प्रारम्भ की योजनाएं प्रभावी ढंग से कार्य कर रही हैं। खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगार नवयुवकों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार के सहयोग से ‘मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना’ तथा भारत सरकार के सहयोग से ‘प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम’ का संचालन किया जा रहा है।
बीते दिनों लखनऊ में कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने सरकार का दौरा पेश किया। उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार मिलकर रोजगार सृजन के बेहतरीन प्रयास कर रही हैं। प्रयासों के परिणामस्वरूप विगत 4 वर्षों में इन योजनाओं में 1 लाख 86 हजार से अधिक व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में लगभग 50 हजार व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा।
9 करोड़ दिए गए
पं दीन दयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास सहायता योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2017-18 से 2021-21 तक 307 खादी संस्थाओं के 33 करोड़ 37 लाख 62 हजार रुपए के दावों का भुगतान किया गया है। इसमें खादी संस्थाओं में कार्यरत 1 लाख 61 हजार 345 कामगारों को 9 करोड़ 52 लाख 92 हजार रुपए के प्रोत्साहन बोनस का भुगतान किया गया है।
25 हजार कामगारों को किया भुगतान
कार्यक्रम में सीएम ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 136 खादी संस्थाओं को 4 करोड़ 87 लाख 35 हजार रुपए के दावों का भुगतान किया गया। इसमें 25,474 कामगारों को 1 करोड़ 65 लाख 70 हजार रुपये प्रोत्साहन बोनस का भुगतान किया गया। खादी एवं ग्रामोद्योगी उत्पादों के वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार एवं खादी उत्पादों को आम जनमानस में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से ग्रामोद्योगी प्रदर्शनियों का राष्ट्रीय, राज्य, मण्डल एवं जनपद स्तर पर आयोजन कराया जाता है। इसके तहत खादी उत्पादन में वृद्धि एवं खादी कामगारों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से खादी संस्थाओं को निःशुल्क सोलर चरखे का वितरण किया गया है।
संसाधन दिए गए
उन्होंने आगे कहा, विगत 3 वर्षाें में 3,803 लाभार्थियों को निःशुल्क टूलकिट्स तथा सोलर चरखे, विद्युत चालित कुम्हारी चाक, दोना-पत्तल मशीन एवं आधुनिक भट्ठी, पगमिल वितरित किये गये हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,501 टूलकिट्स के वितरण का लक्ष्य है। यहां पर उपस्थित कारीगर, हस्तशिल्पियों को टूलकिट उपलब्ध कराया गया है। खादी और ग्रामोद्योग विकास एवं सतत स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति के अन्तर्गत भुर्जी समाज के परम्परागत एवं अन्य कारीगरों को निःशुल्क आधुनिक मशीन (पॉपकॉर्न मेकिंग मशीन) तथा दोना-पत्तल कार्य में लगे परम्परागत एवं अन्य सम्बन्धित कारीगरों को निःशुल्क दोना-पत्तल मेकिंग मशीनों का वितरण कराया गया है।
57 जनपदों में होता है उत्पादन
सीएम ने कहा, उत्तर प्रदेश के कुल 57 जनपदों में 3 अलग प्रकार के रेशम का उत्पादन होता है। मैदानी क्षेत्र के 44 जनपदों में शहतूती रेशम, विंध्याचल व बुन्देलखण्ड के 13 जनपदों में टसर रेशम तथा यमुना जी के तटीय 8 जनपदों में एरी रेशम का उत्पादन होता है। प्रदेश की रेशम की खपत 3 हजार मीट्रिक टन है। यहां रेशम व्यवसाय के लिये अपार सम्भावनाएं हैं।
बढ़ावा देना होगा
इसको प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है, जबकि रेशम का उत्पादन 300 मीट्रिक टन है। रेशम उत्पादन के लिए वृक्षारोपण, कोया उत्पादन व धागाकरण के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा सामान्य वर्ग के लाभार्थियों को 75 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 90 प्रतिशत उत्पादन का अनुदान तथा निःशुल्क प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहायता दी जाती है।
प्रशिक्षण संस्थान बनाया
मुख्यमंत्री ने कहा कि परम्परागत खेती की तुलना में रेशम उत्पादन द्वारा कृषक लगभग दो गुनी आय अर्जित कर सकते हैं। इसके लिए वर्तमान राज्य सरकार ने रेशम उत्पादन में वृद्धि के लिए अनेक कदम उठाये गये हैं। पहले प्रदेश के लाभार्थी प्रशिक्षण के लिए राज्य से बाहर कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश जाते थे। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2018 में मिर्जापुर स्थित ‘लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल राजकीय प्रशिक्षण संस्थान’ का निर्माण पूर्ण कराकर प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।
13 और रीलिंग मशीन लगेगी
सीएम योगी ए आगे कहा, राज्य में कोई भी उन्नत किस्म की रीलिंग मशीन नहीं थी। वर्तमान सरकार ने वर्ष 2019 में जनपद पीलीभीत और बहराइच में एक-एक रीलिंग मशीन की स्थापना कराकर प्रदेश में ही धागाकरण शुरू किया। इस वित्तीय वर्ष में 13 और रीलिंग मशीनों की स्वीकृति प्रदान कर दी गयी है। यह मशीनें इसी वित्तीय वर्ष में स्थापित की जाएंगी। शहतूती रेशम में मुख्यतः 3 से 4 फसलें ली जा रही थीं। इनका अध्ययन एवं विश्लेषण कर वर्ष 2019 से प्रतिवर्ष 5 से 6 फसलें लिये जाने का प्रयोग किया जा रहा है।
अनुसंधान केंद्र स्थापित होगा
उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश की जलवायु के अनुकूल अनुसंधान के लिए कोई केन्द्र न होने को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने केन्द्रीय रेशम बोर्ड, भारत सरकार की मांग पर लखनऊ में क्षेत्रीय रेशम अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिए 5 एकड़ भूमि उपलब्ध करा दी है। इस अनुसंधान केन्द्र की स्थापना का कार्य भारत सरकार के स्तर पर विचाराधीन है। प्रदेश सरकार राज्य में अनुसंधान केन्द्र की स्थापना के लिये प्रयासरत है। इसकी स्थापना से प्रदेश में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा और किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी मदद मिलेेगी।