Gama Pehlwan : 10 लीटर दूध और 6 देसी मुर्गे खाने वाले गामा पहलवान… गूगल ने डूडल से किया याद, पढ़ें उनसे जुड़ा हर किस्सा

Gama Pehlwan

New Delhi : गूगल ने रविवार को अपराजित भारतीय गामा पहलवान को उनके 144वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर सम्मानित किया। उन्हें ‘द ग्रेट गामा’ के नाम से जाना जाता है। गामा पहलवान को सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ पहलवानों में से एक माना जाता था। गामा अपने पूरे अंतरराष्ट्रीय मैचों में अपराजित रहे और उन्होंने “द ग्रेट गामा” नाम कमाया।

गेस्ट कलाकार वृंदा ज़वेरी का बनाया आज का डूडल न सिर्फ रिंग में गामा पहलवान की उपलब्धियों का जश्न मनाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति में उनके द्वारा लाए गए बदलाव और प्रतिनिधित्व को भी दर्शाता है।

शुरुआती दौर था

उत्तर भारत में पारंपरिक कुश्ती 1900 की शुरुआत के आसपास विकसित होने लगी। निचले और मजदूर वर्ग के प्रवासी शाही व्यायामशालाओं में प्रतिस्पर्धा करते थे। बड़े और प्रतिष्ठित टूर्नामेंट जीतने पर उन्हें राष्ट्रीय पहचान मिलती थी। इन टूर्नामेंटों के दौरान, दर्शकों ने पहलवानों के शरीर की प्रशंसा की और उनकी अनुशासित जीवन शैली से प्रेरित हुए।

एक्सरसाइज करते थे

गामा पहलवान केवल 10 साल की उम्र में 500 लंग्स और 500 पुशअप करते थे। साल 1888 में उन्होंने देश भर के 400 से अधिक पहलवानों के साथ एक लंज प्रतियोगिता में भाग लिया और जीत हासिल की। प्रतियोगिता में उनकी सफलता ने उन्हें भारत के शाही राज्यों में प्रसिद्धि दिलाई। 15 साल के होते-होते उनके किस्से हर तरफ फैल गए।

पाकिस्तान में बिताया

वर्ष 1910 तक लोग गामा को एक राष्ट्रीय नायक और विश्व चैंपियन के रूप में देखने लगे। भारतीय समाचार पत्रों ने भी उनकी प्रतिभा की सराहना की। साल 1947 में भारत के विभाजन के दौरान कई हिंदुओं के जीवन को बचाने के लिए गामा को एक नायक भी माना जाता है। उन्होंने साल 1960 में अपनी मृत्यु तक का जीवन लाहौर में बिताया, जो इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान का हिस्सा बन गया था।

“टाइगर” की उपाधि मिली

गामा ने अपने करियर के दौरान कई खिताब अर्जित किए। विशेष रूप से विश्व हैवीवेट चैम्पियनशिप (1910) के भारतीय संस्करण और विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप (1927) में उन्हें टूर्नामेंट के बाद “टाइगर” की उपाधि से सम्मानित किया गया। महान पहलवान को सम्मानित करने के लिए भारत यात्रा के दौरान उन्हें प्रिंस ऑफ वेल्स ने एक चांदी की गदा भी भेंट की थी। गामा की विरासत आधुनिक समय के पहलवानों को प्रेरित करती रही है। यहां तक कि ब्रूस ली भी उनके प्रशंसक हैं। वह गामा की जीवनशैली को अपने प्रशिक्षण दिनचर्या में शामिल करते हैं।

पंजाब में हुआ था जन्म

गामा परिवार का मूल नाम मोहम्मद गुलाम बख्श बट था। उनका जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में हुआ था। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्म मध्य प्रदेश के दतिया में हुआ था। गामा पहलवान लंबाई 5 फीट और 7 इंच थी। उनका वजन करीब 113 किलो था। उनके पिता का नाम मुहम्मद अजीज बक्श था। पहलवानी के शुरुआती गुर उनके पिता ने ही उनको सिखाए थे।

ये थी डाइट

गामा पहलवान के गांव के रहने वाले थे और उनका खान-पान भी देसी हुआ करता था। रिपोर्ट के मुताबिक उनकी डाइट काफी हैवी हुआ करती थी। वो रोजाना 10 लीटर दूध पिया करते थे। इसके साथ ही 6 देसी मुर्गे भी उनकी डाइट में शामिल थे। साथ ही वे एक ड्रिंक बनाते थे, जिसमें लगभग 200 ग्राम बादाम डालकर पिया करते थे। इससे उन्हें ताकत मिलती थी और बड़े-बड़े पहलवानों को मात देने में मदद मिलती थी।

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