Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने प्रदेश के लाखों लोगों को बड़ी राहत दी है। राज्य सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के उल्लंघन के मामले में दर्ज करीब 3 लाख मुकदमों को वापस लेने का आदेश जारी किया है। योगी सरकार के इस फैसले से लाखों लोगों को फायदा मिलेगा। हालांकि जनप्रतिनिधियों और माननीयों को इस आदेश से बाहर रखा गया है।
बीते मंगलवार को यूपी न्याय विभाग की तरफ से इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान या पूर्व सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य सरकार के आदेश के दायरे से बाहर हैं। हाई कोर्ट की अनुमति के बाद इनसे जुड़े मुकदमे वापस लेने पर विचार किया जाएगा। फिलहाल आम नागरिकों को राहत दी जा रही है।
लिखित आदेश जारी हुआ
प्रदेश के विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने बताया, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस निर्णय से आम लोगों को अदालती कार्यवाही से छुटकारा मिलेगा। उन्होंने बताया कि कोविड-19 प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के उल्लंघन में दर्ज मुकदमे वापस लेने संबंधी आदेश सभी जिला मजिस्ट्रेट को लिखित रूप से दिया गया है। इसके बाद अदालत में दर्ज हो चुके मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया आरंभ होगी।
इन एक्ट में दर्ज हुए थे मामले
न्याय विभाग के प्रमुख सचिव प्रमोद कुमार श्रीवास्तव द्वितीय ने मंगलवार को इस दिशा में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया है। उन्होंने कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महामारी अधिनियम 1897 और आईपीसी की धारा 188 के तहत पूरे प्रदेश में 300000 से ज्यादा लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। इन सभी में आरोप पत्र दाखिल हो चुके हैं। लेकिन अब इन्हें वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
2 साल की सजा होगी
राज्य सरकार मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया 3 महीने में पूरी कर रिपोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय को सौंपेगी। अगर ऐसा नहीं होता है, तो संबंधित लोगों को अधिकतम 2 साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकेगा। बताते चलें कि कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए पिछले डेढ़ साल तक राज्य में लॉकडाउन लागू रहा। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना अब भी निवासियों के लिए जरूरी है। लॉकडाउन के दौरान पुलिस ने नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्यवाही करते हुए मामला दर्ज किया था।