Uttar Pradesh : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की अगुवाई वाली यूपी सरकार अगले 6 महीने में प्रदेश में 10,000 पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति करेगी। नियुक्ति प्रक्रिया उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से पूर्ण शुचिता के साथ कराई जाएगी। सीएम योगी ने इस संबंध में मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग को आदेश जारी किए।
उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्ष में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में प्रदेश में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार ने कोविड नियंत्रण एवं प्रबन्धन में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) उन्मूलन के प्रयास तथा कोविड प्रबन्धन में प्रदेश को वैश्विक संस्थाओं से सराहना मिली है। प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में अच्छा कार्य हुआ है। हमारी आबादी अधिक है, किन्तु स्वास्थ्य सेवाओं की सहज उपलब्धता और बेहतरीन प्रबन्धन ने स्वास्थ्य क्षेत्र में लोगों में एक विश्वास जताया है। एक टीम के रूप में यह प्रयास सतत् जारी रखा जाए।
स्वास्थ्य विभाग ने दिया प्रजेंटेशन
मुख्यमंत्री मंगलवार को शास्त्री भवन में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेक्टर के 05 विभागों के प्रस्तुतीकरण के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेक्टर के अन्तर्गत चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग, आयुष विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग, खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभागों का प्रस्तुतीकरण किया गया।
पारदर्शी रहे प्रक्रिया
इस मौके पर सीएम ने कहा कि नियोजित प्रयासों से एनएचआरएम, एनएचएम जैसे स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों को भ्रष्टाचार मुक्त बनाया गया है। दवाओं की खरीद को पारदर्शी बनाया गया है। यह शुचिता बनी रहे। भ्रष्टाचार की हर एक शिकायत को गम्भीरता से लेते हुए कठोरतम कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना तथा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत गोल्डेन कार्ड का लाभ पात्र व्यक्तियों को सुनिश्चित कराया जाए।
ग्रामीण क्षेत्रों को मिले सुविधा
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री आरोग्य मेलों से ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाओं की सहज उपलब्धता सुनिश्चित कराने में सफलता मिली है। इस अभियान को और गति प्रदान करते हुए मंत्रि, जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्रों में इन मेलों में प्रतिभाग करें। व्यवस्था का निरीक्षण करें, आमजन से बेहतरी के लिए सुझाव प्राप्त करें।
डॉक्टर और नर्स की तैनाती रहे
उन्होंने कहा कि चिकित्सा सेवाओं के सुचारू संचालन के लिए डॉक्टरों और नर्सों की पर्याप्त तैनाती होनी चाहिए। डॉक्टर-नर्स का अनुपात 1:1 हो। आवश्यकतानुसार पद सृजन कर योग्य प्रोफेशनल का चयन किया जाए। सभी विधानसभा क्षेत्रों में 100 बेड के चिकित्सालय की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर चरणबद्ध रूप से इसे क्रियान्वित किया जाए।
10 हजार नए उपकेंद्र खोले जाएं
सीएम ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में 5000 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों की स्थापना का कार्य हुआ है। अब हमारा लक्ष्य हो कि आगामी 05 वर्ष में 10,000 नए उपकेन्द्रों की स्थापना की जाए। आगामी 100 दिनों के भीतर राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को कैशलेस चिकित्सा सुविधा से लाभान्वित किया जाए।
बदलाव किया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जनपद में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। डायलिसिस, सीटी स्कैन, न्यू बॉर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट, स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट की संख्या में बढ़ोत्तरी की जरूरत है। अगले दो वर्ष में सभी जनपदों तक इन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने कहा कि डायलिसिस प्रक्रिया को टेलीकन्सल्टेंसी और नेफ्रोलॉजिस्ट की सुविधाओं से जोड़ा जाए। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका वायरस, जापानी इंसेफेलाइटिस, एईएस और कालाजार जैसी जल-जनित बीमारियों के लिए ‘मिशन जीरो’ को प्रभावी बनाया जाए।
एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम कम हो
सीएम योगी ने कहा कि ‘108’ तथा ‘102’ एम्बुलेंस सेवा को और व्यवस्थित करने की जरूरत है। एम्बुलेंस के रिस्पॉन्स टाइम को और कम किया जाए। एम्बुलेंस सेवा के संचालन का विकेन्द्रीकरण किया जाए। अगले 100 दिनों में कम से कम 800 नई एम्बुलेंस अपने बेड़े में बढ़ाएं। एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस (एएलएस) की संख्या को 01 वर्ष में 250 से बढ़ाकर 375 और फिर आगे 500 तक करने के प्रयास हों।
दवाओं की कमी न हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसिक रोगियों के सहायतार्थ निजी स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लें। आगरा, बरेली, वाराणसी के मानसिक चिकित्सालयों में उन्मुखीकरण केन्द्र खोला जाना चाहिए, ताकि आमजन को मानसिक रोग के सम्बन्ध में सही-सटीक जानकारी दी जा सके। सभी चिकित्सालय, स्वास्थ्य केन्द्र में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे। आवश्यक मानी जाने वाली करीब 300 दवाओं की कमी न हो। इसकी सतत् मॉनीटरिंग भी की जाए। प्रत्येक जनपद में जिला मुख्यालय के अतिरिक्त एक और फर्स्ट रेफरल यूनिट (जैसे सीएचसी, 100 बेडेड आदि) स्थापित कराई जाए। हर जिले में ड्रग हाउस की व्यवस्था हो।
भर्ती करेगी सरकार
उन्होंने कहा कि पैरामेडिकल स्टाफ स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ है। कोविड काल में हम सभी ने पैरामेडिक्स के महत्व को बहुत करीब से देखा और समझा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा अगले 6 माह में प्रदेश में 10,000 पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति की जाए। नियुक्ति प्रक्रिया उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से पूर्ण शुचिता के साथ कराई जाए।
क्षय रोग मुक्त हो प्रदेश
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, “वर्ष 2025 तक क्षय रोग से मुक्ति के प्रयासों को गति प्रदान करते हुए इस रोग से ग्रसित मरीजों को गोद लेने की कार्रवाई प्रशंसनीय होगी। लखनऊ के केजीएमयू में क्षय रोग के सेण्टर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना कराई जाए। लखनऊ स्थित डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय के विस्तारीकरण की आवश्यकता है। लखनऊ में नेशनल सेण्टर फॉर डिजीज कण्ट्रोल की शाखा स्थापना की प्रक्रिया तेज की जाए। फाइलेरिया रोग के सम्बन्ध में उपचार की व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करते हुए इससे सम्बन्धित जागरूकता अभियानों में गति लायी जाए।
जांच रिपोर्ट पोर्टल पर उपलब्ध हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर मैटरनल एनीमिया मैनेजमेण्ट सेण्टर की स्थापना करायी जाए। यह सुनिश्चित कराएं कि सभी एफआरयू पर ब्लड स्टोरेज यूनिट जरूर हो। कोविड रिपोर्ट की तर्ज पर ही डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया की जांच रिपोर्ट भी पोर्टल पर उपलब्ध कराने के प्रयास हों।