Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath) राज्य के निवासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए प्रतिबद्ध है। योगी सरकार राज्य में अगले 5 वर्ष में 10000 नए उप केंद्र स्थापित करेगी। इसके अलावा लोगों की सहूलियत के लिए हर जिले में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। लोगों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए अगले 100 दिन में कम से कम 800 नई एंबुलेंस खरीदी जाएंगी।
बीते दिन बीते दिन मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग की प्रेजेंटेशन के बाद कई महत्वपूर्ण आदेश जारी किए। सीएम ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में 5000 स्वास्थ्य उपकेन्द्रों की स्थापना का कार्य हुआ है। अब हमारा लक्ष्य हो कि आगामी 05 वर्ष में 10,000 नए उपकेन्द्रों की स्थापना की जाए। आगामी 100 दिनों के भीतर राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को कैशलेस चिकित्सा सुविधा से लाभान्वित किया जाए।
बदलाव किया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जनपद में मुफ्त डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध करायी जाए। डायलिसिस, सीटी स्कैन, न्यू बॉर्न स्टेबिलाइजेशन यूनिट, स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट की संख्या में बढ़ोत्तरी की जरूरत है। अगले दो वर्ष में सभी जनपदों तक इन सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। उन्होंने कहा कि डायलिसिस प्रक्रिया को टेलीकन्सल्टेंसी और नेफ्रोलॉजिस्ट की सुविधाओं से जोड़ा जाए। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका वायरस, जापानी इंसेफेलाइटिस, एईएस और कालाजार जैसी जल-जनित बीमारियों के लिए ‘मिशन जीरो’ को प्रभावी बनाया जाए।
एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम कम हो
सीएम योगी ने कहा कि ‘108’ तथा ‘102’ एम्बुलेंस सेवा को और व्यवस्थित करने की जरूरत है। एम्बुलेंस के रिस्पॉन्स टाइम को और कम किया जाए। एम्बुलेंस सेवा के संचालन का विकेन्द्रीकरण किया जाए। अगले 100 दिनों में कम से कम 800 नई एम्बुलेंस अपने बेड़े में बढ़ाएं। एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस (एएलएस) की संख्या को 01 वर्ष में 250 से बढ़ाकर 375 और फिर आगे 500 तक करने के प्रयास हों।
दवाओं की कमी न हो
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसिक रोगियों के सहायतार्थ निजी स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लें। आगरा, बरेली, वाराणसी के मानसिक चिकित्सालयों में उन्मुखीकरण केन्द्र खोला जाना चाहिए, ताकि आमजन को मानसिक रोग के सम्बन्ध में सही-सटीक जानकारी दी जा सके। सभी चिकित्सालय, स्वास्थ्य केन्द्र में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे। आवश्यक मानी जाने वाली करीब 300 दवाओं की कमी न हो। इसकी सतत् मॉनीटरिंग भी की जाए। प्रत्येक जनपद में जिला मुख्यालय के अतिरिक्त एक और फर्स्ट रेफरल यूनिट (जैसे सीएचसी, 100 बेडेड आदि) स्थापित कराई जाए। हर जिले में ड्रग हाउस की व्यवस्था हो।