Gorakhpur News : गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सनातन ही सत्य एवं शाश्वत है। कर्ता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन ही सनातन धर्म की पहचान है। गुरु पूर्णिमा गुरु के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने की इसी पहचान से जुड़ा पावन पर्व है।
गोरक्षपीठाधीश्वर गुरु पूर्णिमा पर्व पर सोमवार को गोरखनाथ मंदिर में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को गुरु की तरह जीवन का व्यावहारिक आशीर्ज्ञान देते हुए सीएम योगी ने आदि गुरु वेदव्यास को नमन करते हुए कहा कि महर्षि वेदव्यास जी की जयंती ही गुरु पूर्णिमा के रूप में प्रतिष्ठित है। हमारे वैदिक व धार्मिक ज्ञान को लिपिबद्ध कर कर सर्वसुलभ बनाने में कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास जी का अनिर्वचनीय योगदान है।
उन्होंने वेदव्यास जी के साथ ही गुरु गोरक्षनाथ, आदि शंकराचार्य, संत रामानंद, स्वामी निम्बाचार्य, गोस्वामी तुलसीदास आदि का स्मरण करते हुए कहा कि हमारे संतों, महर्षियों ने गुरु की भूमिका निभाते हुए अलग अलग कालखंड में समाज को विकृतियों से बचाकर समूची मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। भारत के संतों की यह परंपरा हमें सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।
कृतज्ञता के भाव पर शाहजहां ने भी की सनातन की प्रशंसा
सीएम योगी ने कहा कि न सिर्फ गुरु पूर्णिमा पर बल्कि कृतज्ञता ज्ञापन की अपनी संस्कृति से हम आश्विन माह में भी जुड़ते हैं। इस माह में पूरा एक पक्ष हम तर्पण के माध्यम से अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। उन्होंने कहा कि बादशाह शाहजहां को जब उसके पुत्र ने कैद कर लिया तब उसने कहा था, सबसे अच्छे तो सनातनी लोग हैं, जो जीते जी अपने माता-पिता की सेवा तो करते ही हैं, उनकी मृत्यु के बाद भी तर्पण से उनके प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करते हैं।
योगी ने बताईं गुरु की पांच श्रेणियां
सीएम योगी ने कहा कि सनातन संस्कृति में गुरु की पांच श्रेणियां हैं। ऋषि परंपरा के गुरु, दमाता-पिता, बड़े भाई, शिक्षा गुरु व दीक्षा गुरु। ये सभी किसी न किसी रूप में हमारा मार्गदर्शन कर हमें जीवन पथ पर आगे बढ़ाते हैं। इनके प्रति सदैव सम्मान व कृतज्ञता का भाव होना चाहिए।
राष्ट्रीयता की संस्कृति से अक्षुण्ण है भारत की पहचान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीयता की संस्कृति से भारत की पहचान अक्षुण्ण है। यहां अनेक जातियां हो सकती हैं, वेशभूषा, रहन-सहन अलग हो सकता है लेकिन देश के प्रति सबकी भाव भंगिमा एक है। भारत के बारे में जो सोच गोरखपुर के लोग रखते हैं, वही सोच तमिलनाडु और कश्मीर के लोग भी रखते हैं। भारत मजबूत हो, यही सोच हर भारतीय की रहती है और यही सोच हमें राष्ट्रीयता से जोड़ती है। भारतीयों की इसी सोच से वे लोग गफलत का शिकार हो गए जो आजादी के बाद भारत के कई टुकड़ों में बंटने की कल्पना करते थे।
यशस्वी नेतृत्व से भारत ने लगाई लंबी छलांग
सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्रीयता की भावना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में भारत ने लंबी छलांग लगाई है। आजादी के अमृत महोत्सव में जब हर घर पर शान से तिरंगा लहरा रहा था तब भारत ने इस पर 200 साल शासन करने वाले ब्रिटेन को पछाड़कर दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उपलब्धि भी हासिल कर ली। गौरव की बात यह भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में भारत दुनिया के 20 बड़े देशों के समूह जी-20 की अगुवाई भी कर रहा है।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत को साकार करने में हो सबका योगदान
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति बीज को वृक्ष के रूप में विकसित करने और उसे फलने फूलने योग्य बनाने की प्रेरणा देती है। हमें विकृति से बचाने को हमारा मार्गदर्शन करती है। पूरे समाज को साथ लेकर चलने का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार करने में सबको योगदान देना होगा। यह कार्य केवल राजनीतिक नेतृत्व का नहीं है। आम नागरिक का भी यह कार्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में पीएम मोदी द्वारा बताए गए पंच प्रणों से जुड़कर हम यह कार्य कर सकते हैं।
अहंकार से बचने की दी सीख
मुख्यमंत्री ने कर्म करने का ज्ञान देने के साथ अहंकार से बचने की भी सीख दी। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में जब हम हवन करते हैं, तब स्वाहा व स्वधा बोलते हैं। स्वाहा के जरिए हम अहंकार का त्याग करते हैं और स्वधा के जरिए अंतःकरण में शुद्धि को धारण करते हैं। उन्होंने कहा कि भक्ति से रावण ने कैलाश पर्वत को भी उठा लिया लेकिन जब मन में अहंकार आया तो वह अंगद जी के पैर तक नहीं उठा पाया। सनातन धर्म हमें अहंकार त्याग करपूरी प्रतिबद्धता के साथ, सात्विक भाव से मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने की प्रेरणा देता है।
धरती व गोमाता के प्रति कर्तव्यों का कराया एहसास
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रकृति, धरती व गोमाता के प्रति जन सामान्य के कर्तव्यों का भी एहसास कराया। उन्होंने कहा कि यदि हम धरती और गाय को माता मानते हैं तो पुत्र के रूप में हमारा कुछ कर्तव्य बनता है। धरती को हानिकारक रसायनों से बचाकर और गोमाता की रक्षा कर हम पुत्र का अपना कर्तव्य निभा सकते हैं।
उन्होंने इसी परिप्रेक्ष्य में खेतीबाड़ी के क्षेत्र में रिसर्च, सहफसली खेती और जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। कहा कि कोई जरूरी नहीं कि डिग्रीधारी ही रिसर्च कर सकते हैं। कई प्रगतिशील किसान बिना डिग्री के ऐसा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने आयुष के प्रसार, जल संरक्षण का भी संदेश दिया। पर्यावरण संरक्षण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि वैदिक मंत्रों में प्राचीन काल से ही इस चराचर जगत के कल्याण के कामना की गई है। उसके लिए उस प्रकार के मंत्र रचे गए हैं। मंत्र केवल रचने या गायन के लिए नहीं होते हैं बल्कि उसे अंगीकार करने की भी जरूरत होती है।
मानवता के कल्याण को समर्पित है नाथपंथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नाथपंथ साधना पक्ष के ही समानांतर क्रियात्मक पक्ष से मानवता के कल्याण को समर्पित है। गोरखपुर को साधनास्थली बनाने वाले गुरु गोरखनाथ ने शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए क्रियात्मक योग का उपहार दिया। नाथपंथ के सभी मनीषी मानवता के कल्याण के क्रम को आगे बढ़ाते रहे हैं। साधना के जिज्ञासु बाबा गंभीरनाथ के योगदान को जानते हैं।
गोरखनाथ मंदिर को यह स्वरूप देने के साथ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज ने उस वक्त शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जब पूर्वी उत्तर प्रदेश पूरी तरह पिछड़ा हुआ था। उनके बाद गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ जी ने न केवल श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन का नेतृत्व किया बल्कि समाज के लिए शिक्षण संस्थानों और चिकित्सालय की स्थापना की। यह सभी कार्य मानवता के कल्याणार्थ हैं।
दादागुरु व गुरुदेव के चित्र पर सीएम ने किया पुष्पार्चन
गुरु पूर्णिमा उत्सव में संबोधन से पूर्व मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ महाराज व गुरु राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज के चित्र पर पुष्पार्चन किया। इस अवसर पर लोक गायक राकेश श्रीवास्तव व उनके दल की तरफ से गुरु की महिमा के गीतों की भावपूर्ण प्रस्तुति की गई।
समारोह में प्रदेश सरकार के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, दयाशंकर सिंह, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, देवीपाटन के महंत मिथिलेश नाथ, कालीबाड़ी के महंत रविंद्रदास, महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति प्रो यूपी सिंह समेत कई गणमान्यजन व बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।