खास खबर : यूपी के करोड़ों किसानों को सिंचाई में मिली सहूलियत, योगी सरकार ने उत्पादन में बनाया रिकॉर्ड

CM Yogi Adityanath

Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश का कृषि के क्षेत्र में देश में महत्वपूर्ण स्थान है। प्रदेश सरकार की कृषि एवं कृषक हितैषी नीतियों एवं योजनाओं का यह सुपरिणाम है कि गन्ना, चीनी एवं एथेनॉल के उत्पादन में प्रदेश देश में लगातार चौथी बार प्रथम स्थान पर है। खाद्यान्न, गेहूँ, आलू, हरी मटर, आम, आँवला तथा दुग्ध उत्पादन में भी राज्य का देश में प्रथम स्थान है। कृषि एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। सही समय पर बुआई, निराई, खाद देना, सिंचाई आदि इसके महत्वपूर्ण आगत हैं। इनमें भी सिंचाई का महत्व सर्वोपरि है।

उत्तर प्रदेश की वर्तमान योगी आदित्यनाथ सरकार (Yogi Adityanath Government) ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग की वर्षों से लम्बित परियोजनाएं पूर्ण करायी हैं। इनमें 46 वर्षों से लंबित बाण सागर परियोजना को पूर्ण कराकर 15 जुलाई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से इसका उद्घाटन कराया गया। इस परियोजना से मिर्जापुर एवं प्रयागराज जनपदों की 150132 हेक्टेअर कृषि भूमि सिंचित हो रही है। इससे 1 लाख 70 हजार से भी ज्यादा किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

13 प्रोजेक्ट पूरे हुए

बाण सागर परियोजना के पूर्ण होने से कृषि के अन्तर्गत सिंचित भूमि में वृद्धि होने से इन जनपदों में अब फसल क्षेत्र में वृद्धि, फसल उत्पादकता में बढ़ोत्तरी होने से कृषकों को आय वृद्धि में मदद मिल रही है। इसी के साथ ही पूर्ववर्ती सरकारों के कार्यकाल से ही लम्बित पहाड़ी बांध, बण्डई बांध, जमरार बांध, मौदहा बांध, पहुॅज बांध, लहचुरा बांध, गुण्टा बांध, रसिन बांध परियोजनाएं एवं जाखलौन पम्प नहर प्रणाली तथा सोलर पावर प्लांट की पुनर्स्थापना की लगभग 13 परियोजनाएं वर्तमान सरकार के साढ़े चार वर्ष के कार्यकाल में पूर्ण की गयी है। हर खेत को पानी, के लक्ष्य को पूरा करने के लिए पूर्ण की गई इन परियोजनाओं से प्रदेश में 3.77 लाख हेक्टेअर सिंचन क्षमता में वृद्धि हुई है। संबंधित क्षेत्रों में कृषि के साथ-साथ समग्र विकास को भी गति मिल रही है।

रफ्तार दिया है

प्रदेश का बुन्देलखण्ड क्षेत्र सिंचाई एवं कृषि में बाकी प्रदेश से अपेक्षाकृत पिछड़ा रहा है। परन्तु प्रदेश की वर्तमान सरकार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बुन्देलखण्ड के विकास का खाका खींचा है। उसे रफ्तार देने के लिए विभिन्न परियोजनाएं चलाई जा रही हैं। बुंदेलखण्ड में कृषि एवं कृषकों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने बुंदेलखण्ड क्षेत्र में 19428 खेत तालाबों का निर्माण कराया है। इस खेत तालाब वर्षा जल संचयन के माध्यम से बुंदेलखण्ड के भूजल स्तर में भी सुधार आया है। साथ ही यह कृषकों की सिंचाई की समस्या को भी दूर करने में सहायक हो रहे हैं।

आगे बढ़ रहा है

बुंदेलखण्ड क्षेत्र के अंतर्गत ही प्रदेश की वर्तमान सरकार ने सिंचाई, विद्युत आदि की 12 बड़ी परियोजनाएं पूर्ण करायी  है। इन परियोजनाओं से बुंदेलखण्ड क्षेत्र में 73345 हेक्टेयर सिंचन क्षमता का सृजन हुआ है तथा इसमें 5.92 मेगावाट सौर विद्युत भी उत्पादित हो रही है। इससे 65062 किसान लाभान्वित हुए हैं। सिंचाई क्षमता में वृद्धि तथा सौर ऊर्जा के उत्पादन से बुंदेलखण्ड भी शेष उत्तर प्रदेश के विकास से कदमताल मिलाकर समूचे प्रदेश की समृद्धि में अपना योगदान दे रहा है। बुंदेलखण्ड क्षेत्र में ही जल संसाधनों के विकास व उचित एवं पर्यावरण अनुकूल दोहन की क्षमता वृद्धि के लिए इजराइल के साथ ’इण्डो-इजराइल वाटर प्रोजेक्ट’ का एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है।

गोरखपुर मंडल को होगा फायदा

राज्य सरकार ने वर्ष 2021-22 में प्रदेश की सिंचाई क्षमता में वृद्धि से सम्बन्धित 12 परियोजनाओं को पूर्ण करने का लक्ष्य रखा है। इनमें सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के अन्तर्गत अब तक 12.61 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हुई है। सरयू नहर परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश के 09 जनपदों- बहराइच, श्रावस्ती, गोण्डा, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर व महराजगंज में सिंचाई सुविधाओं के सृजन के लिए 1982 में स्वीकृत हुई थी। वर्ष 2012 में इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था।

29 लाख किसानों को मिलेगा लाभ

इसके पूर्ण होने पर 14.04 लाख हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित होगी तथा 29.74 लाख किसान इससे लाभान्वित होंगे। प्रदेश में बनी नहरों की क्षमता का पूरा उपयोग हो सके, इसके लिए समय-समय पर नहरों की सफाई, सिल्ट निकासी जरूरी है। प्रदेश की वर्तमान सरकार के कार्यकाल में 1 लाख 49 हजार 802 किमी नहरों की सिल्ट सफाई का कार्य कराया जा चुका है। वर्ष 2020-21 में ही 46000 किलोमीटर सिल्ट सफाई का कार्य कराया गया है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव की समस्या के निराकरण के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 में 15100 किलोमीटर की लम्बाई में ड्रेनों की सफाई कराकर संबंधित क्षेत्रों को जलभराव से मुक्त कराया गया है।

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