Uttar Pradesh : योगी सरकार ने हर घर नल योजना में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। नल कनेक्शन देने के मामले में यूपी ने जहां राजस्थान को पछाड़ा है, वहीं सबसे अधिक नल कनेक्शन देने में देशभर में वो तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। यूपी ने गुरुवार तक 97 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों तक नल कनेक्शन पहुंचा दिये हैं।
इसके साथ ही जल जीवन मिशन की हर घर जल योजना से पांच करोड़ से अधिक ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल का लाभ मिलने लगा है। आंकड़ों के मुताबिक यूपी ने गुरुवार तक 97,11,717 से अधिक परिवारों तक टैप कनेक्शन पहुंचा दिये हैं। योजना से 5,82,70,302 से अधिक ग्रामीण लभान्वित हो रहे हैं। जबकि राजस्थान में 39,33,140 टेप कनेक्शन दिये गये हैं।
नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार यूपी के 36.59 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक हर घर जल पहुंचाने का सरकार का संकल्प पूरा हो चुका है। जबकि राजस्थान में 36.47 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक हर घर जल पहुंचा है। यूपी में जहां प्रत्येक दिन लगभग 40 हजार से अधिक परिवारों को नल कनेक्शन दिये जा रहे हैं। वहीं राजस्थान में यह आंकड़ा 5 हजार से अधिक है।
मुख्यमंत्री की ओर से हर घर जल योजना की निरंतर समीक्षा के फलस्वरूप बीते फरवरी माह में ही यूपी ने झारखंड और पश्चिम बंगाल को पछाड़ कर 81 लाख से अधिक परिवारों तक नल कनेक्शन पहुंचाने की उपलब्धि हासिल की थी। अधिकारी के अनुसार भारत सरकार की जल जीवन मिशन योजना को योगी सरकार सबसे तीव्र गति से लक्ष्य की ओर पहुंचा रही है। बहुत जल्द उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना में नम्बर वन होने जा रहा है। हमारा लक्ष्य गांव, गरीब, किसान को घर-घर तक स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है।
नल कनेक्शन देने वाले टॉप 5 राज्य
राज्य नल कनेक्शनों की संख्या
बिहार – 1,59,10,093
महाराष्ट्र – 1,09,98,678
यूपी – 97,11,717
गुजरात – 91,18,449
तमिलनाडु – 79,62,581
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त, 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य सभी ग्रामीण परिवारों को नियमित और दीर्घकालिक आधार पर पर्याप्त मात्रा में (55 एलपीसीडी) पर्याप्त दबाव के साथ निर्धारित गुणवत्ता का पानी उपलब्ध कराना है। जल जीवन मिशन की समग्र वित्तीय प्रतिबद्धता 3600 बिलियन (43.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रूपये है जो इसे विश्व का एक सबसे बड़ा कल्याणकारी कार्यक्रम बनाती है। अगस्त 2019 में इस मिशन के शुरुआत के समय, 19.43 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (16.65 प्रतिशत) परिवारों के पास ही नल का पानी उपलब्ध था।
कोविड महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हाल के वर्षों में पैदा हुए कई व्यवधानों के बावजूद राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने जल जीवन मिशन को लागू करने के बारे में लगातार प्रयास किए हैं। देश ने 4 अप्रैल 2023 को ‘हर घर जल’ की इस यात्रा में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है, जिसमें 11.66 करोड़ (60 प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण परिवारों को उनके घरों में नल से जल की आपूर्ति उपलब्ध कराई गई है। 5 राज्यों गुजरात, तेलंगाना, गोवा, हरियाणा और पंजाब और 3 केंद्र शासित प्रदेशों – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दमन दीव एवं दादरा नगर हवेली और पुडुचेरी ने शत-प्रतिशत कवरेज हासिल कर ली है। देश अपने सभी ग्रामीण परिवारों को नल के माध्यम से सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
जल जीवन मिशन केवल बुनियादी ढांचा विकास कार्यक्रम नहीं है। इस मिशन में जल आपूर्ति की पर्याप्तता, सुरक्षा और नियमितता के रूप में सेवा आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जल जीवन मिशन को लागू करने की गति और उसका पैमाना अभूतपूर्व रहा है। केवल 3 वर्षों में, 40 करोड़ से अधिक लोगों के साथ 8.42 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार (आईएमआईएस स्रोत के अनुसार 4.95 व्यक्ति प्रति ग्रामीण परिवार) कार्यक्रम के तहत लाभान्वित हुए हैं। यह संख्या संयुक्त राज्य अमेरिका की 33.1 करोड़ जनसंख्या से अधिक है और यह ब्राजील की 21 करोड़ और नाइजीरिया की 20 करोड़ जनसंख्या से लगभग दोगुनी है और मेक्सिको की 12.8 करोड़ और जापान की 12.6 करोड़ जनसंख्या से तीन गुना से भी अधिक है।
बच्चों के स्वास्थ्य और भलाई पर ध्यान देने के साथ-साथ सभी ग्रामीण स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और आश्रमशालाओं (जनजातीय आवासीय विद्यालयों) में पीने, मध्याह्न भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में उपयोग के लिए जल कनेक्शन प्रदान करने के बारे में विशेष प्रयास किए गए हैं। अब तक, 9.03 लाख (88.26 प्रतिशत) स्कूलों और 9.36 लाख (83.71 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों में नल से पानी की आपूर्ति उपलब्ध कराई जा चुकी है।
जल जीवन मिशन के तहत “सुरक्षित पानी की आपूर्ति” मुख्य विचारणीय विषय रहा है। जल जीवन मिशन के शुभारंभ के समय देश में 14,020 आर्सेनिक और 7,996 फ्लोराइड से प्रभावित बस्तियां मौजूद थीं। राज्यों/ केन्द्रशासित प्रदेशों के द्वारा किए गए ठोस प्रयासों के कारण जल जीवन मिशन की शुरूआत के बाद तीन वर्षों की छोटी अवधि में ही ऐसी बस्तियों की संख्या घटकर क्रमशः 612 और 431 रह गई है। इन बस्तियों में भी अब सभी लोगों के लिए पीने और खाना पकाने के लिए सुरक्षित जल उपलब्ध हो रहा है। वास्तव में, आर्सेनिक या फ्लोराइड से प्रभावित बस्तियों में रहने वाले सभी 1.79 करोड़ लोगों को अब पीने और खाना पकाने के लिए सुरक्षित पानी उपलब्ध हो रहा है।
अब 2,078 जल परीक्षण प्रयोगशालाएं विकसित की गई हैं, जिनमें से 1,122 एनएबीएल से मान्यता प्राप्त हैं। पानी की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके जल के नमूनों के परीक्षण के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 21 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। वर्ष 2022-23 में, एफटीके के माध्यम से 1.03 करोड़ जल नमूनों का परीक्षण किया गया है और प्रयोगशालाओं के माध्यम से 61 लाख जल नमूनों का परीक्षण किया गया है। मिशन द्वारा एक विशेष ‘स्वच्छ जल से सुरक्षा’ अभियान शुरू किया गया था और वर्ष 2022-23 के दौरान 5.33 लाख गांवों में रासायनिक और 4.28 लाख गांवों में जैविक अपमिश्रण (मानसून के बाद) के लिए जल गुणवत्ता परीक्षण होने की जानकारी दी गई है।
सरकार की जल गुणवत्ता निगरानी प्रयासों की ताकत का इस तथ्य से प्रमाण मिलता है कि अकेले 2022-23 में 1.64 करोड़ से अधिक जल नमूनों का परीक्षण किया गया है जो वर्ष 2018-19 (50 लाख) में परीक्षण किए गए नमूनों की संख्या की तुलना में तीन गुना से भी अधिक है। इन प्रयासों से देश में जल जनित रोगों के मामलों में महत्वपूर्ण कमी होने की संभावना है।
सटीक दृष्टिकोण का अनुसरण करते हुए, जल जीवन मिशन को विकेंद्रीकृत, मांग जनित समुदाय-प्रबंधित कार्यक्रम के रूप में लागू किया जा रहा है। जल जीवन मिशन के तहत 5.24 लाख से अधिक पानी समितियां/ ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समितियों (वीडब्ल्यूएससी) का गठन किया गया हैं और 5.12 लाख से अधिक ग्राम कार्य योजना तैयार की गई है ताकि गांव में जल आपूर्ति बुनियादी ढांचे का प्रबंधन, संचालन और रखरखाव किया जा सके।