Rome : कोरोना से बेहाल दुनिया भर के लोगों के लिए पिछला साल अभिशाप बनकर आया था। बीते साल में ऐसे लोगों की संख्या सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई, जिन्हें रोजाना पर्याप्त भोजन नसीब नहीं हुआ। यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine war) की वजह से वैश्विक खाद्य उत्पादन प्रभावित हो गया है। इस वजह से यह स्थिति और ‘‘भयावह’’ होने जा रही है।
संयुक्त राष्ट्र की तरफ से बुधवार को कहा गया कि 53 देशों में लगभग 19.3 करोड़ लोगों को 2021 में खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ा। यह स्थिति संघर्ष, असामान्य मौसम और कोविड-19 वैश्विक महामारी के आर्थिक प्रभावों की ‘‘तिहरी मार’’ के कारण उत्पन्न हुई।
4 करोड़ की वृद्धि हुई
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल पर्याप्त भोजन ना पाने वाले लोगों की संख्या में करीब 4 करोड़ की वृद्धि हुई, जो पिछले कुछ वर्षों से ऐसी बढ़ती संख्या को दर्शाती है। यह बेहद चिंताजनक है।
इन देशों में दिखा संकट
खाद्य संकट पर वैश्विक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन, विश्व खाद्य कार्यक्रम और यूरोपीय संघ द्वारा संयुक्त रूप से इस रिपोर्ट को तैयार किया है। रिपोर्ट के अनुसार, अफगानिस्तान, कांगो, इथियोपिया, नाइजीरिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन सहित लंबे संघर्षों का सामना करने वाले देशों में पर्याप्त भोजन से वंचित लोगों की संख्या अधिक रही।
सोमालिया में हालात बिगड़ेंगे
रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है कि लंबे समय तक सूखे, खाद्य कीमतों में वृद्धि और लगातार हिंसा के कारण सोमालिया को 2022 में दुनिया के सबसे खराब खाद्य संकट के दौर का सामना करना पड़ेगा।
युद्ध से बिगड़ रहे हालात
संयुक्त राष्ट्र ने कहा, ‘‘अगर ग्रामीण समुदायों की मदद करने के लिए और अधिक कदम नहीं उठाए गए, तो भुखमरी तथा आजीविका संकट भयावयह स्तर पर पहुंच जाएगा। ऐसी स्थिति से बचने के लिए बड़े पैमाने पर तत्काल मानवीय दृष्टिकोण को अपनाते हुए कार्रवाई की आवश्यकता है।’’ यूक्रेन में युद्ध सोमालिया तथा कई अन्य अफ्रीकी देशों के लिए और अधिक संकट पैदा कर रहा है, क्योंकि गेहूं, उर्वरक और अन्य खाद्य आपूर्ति के लिए ये देश यूक्रेन और रूस पर निर्भर हैं।
4.7 करोड़ लोगों को झेलना पड़ेगा
विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के मुख्य अर्थशास्त्री आरिफ हुसैन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी का अनुमान है कि यूक्रेन में युद्ध के कारण खाद्य पदार्थों व ईंधन की बढ़ती कीमतों और मुद्रास्फीति के परिणामस्वरूप 4.7 करोड़ और लोगों को खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है।