सुरक्षा बलों को मिली बड़ी सफलता : छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार में माओवादियों के गढ़ पर कब्जा कर कैंप बनाया, सिर्फ 39 जिलों तक सिमटा माओवाद

New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के वामपंथी उग्रवाद मुक्‍त भारत की परिकल्‍पना को साकार करने तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) की उग्रवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत गृह मंत्रालय देशभर में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के अंतिम चरण में पहुंच गया है। वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही लड़ाई में आज सुरक्षा बलों ने निर्णायक विजय प्राप्त की है।

माओवादियों को भगाकर सेना का कैंप बनाया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के परिणामस्वरूप पहली बार छत्तीसगढ़ व झारखण्ड के बॉर्डर के बूढा पहाड़ और बिहार के चक्रबंधा एवं भीमबांध के अति दुर्गम क्षेत्रों में प्रवेश करके माओवादियों को उनके गढ़ से सफलतापूर्वक निकालकर वहां सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किये गए हैं। यह सभी क्षेत्र शीर्ष माओवादियों के गढ़ थे और इन स्थानों पर सुरक्षाबलों ने भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद, विदेशी ग्रेनेड, एरोबम व आईडी (IED) बरामद किया।

सफलता मिली है

वर्ष 2019 से वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध एक विशेष रणनीति अपनाई जा रही है। केंद्रीय तथा राज्यों के सुरक्षा बलों तथा सम्बंधित एजेंसियों के समन्वित प्रयासों और चलाये गये अभियानों से वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध लड़ाई में अप्रत्याशित सफलता मिली है।

जारी रहेगी लड़ाई

इस निर्णायक सफलता पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सीआरपीएफ (CRPF) व राज्य सुरक्षा बलों को बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय वामपंथी उग्रवाद और आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखेगा। साथ ही यह लड़ाई और तेज़ होगी।

500 से ज्यादा गिरफ्तार हुए

वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवादियों के विरुद्ध लड़ाई में सुरक्षा बलों को ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल, ऑपरेशन चक्रबंधा में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई हैI  छत्तीसगढ़ में 7 माओवादी मारे गए और 436 की गिरफ़्तारी / आत्मसमर्पण हुआ हैI झारखण्ड में 4 माओवादी मारे गये और 120 की गिरफ्तारी / आत्मसमर्पण हुआ। बिहार में 36 माओवादिओं की गिरफ़्तारी / आत्मसमर्पण हुआ। इसी प्रकार मध्य प्रदेश में 3 माओवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। यह सफलता और महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाती है क्योंकि इनमें से मारे गए कई माओवादियों के सिर पर लाखों-करोड़ों के ईनाम थे। नक्सली मिथलेश महतो पर 1 करोड़ का इनाम था।

कार्रवाई की जाएगी

केन्द्रीय गृह मंत्रालय के इन अभियानों में तेजी लाने के प्रयासों के परिणामस्वरूप बिहार से सेक्योरिटी वैक्यूम (security vaccum)  को समाप्त करने में सफलता मिली है। झारखण्ड तथा ओडिशा में भी बहुत हद तक सफल हुए हैं। इन राज्यों में वामपंथी उग्रवादियों के गढ़ों को ध्वस्त करते हुए सुरक्षा गैप को पूर्ण रूप से भर लिया जाएगा। इसी रणनीति को अपनाते हुए अन्य राज्यों में भी कार्रवाई होगी।

39 जिलों में सिमटा नक्सलवाद

हिंसा की घटनाओं और इसके भौगोलिक प्रसार दोनों में लगातार गिरावट आई है। इस अभियान का अंतिम चरण में पहुंचना इस बात से साबित होता है कि 2018 के मुकाबले 2022 में वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा की घटनाओं में 39% की कमी आई है, सुरक्षा बलों के बलिदानों की संख्या में 26% की कमी आई है, नागरिक हताहतों की संख्या में 44% की कमी आई है, हिंसा की रिपोर्ट करने वाले जिलों की संख्या में 24% की कमी आई है और इन जिलों की संख्या 2022 में सिमट कर सिर्फ 39 रह गयी है।

आंकड़ों से समझें वार

अगर वर्ष 2014 से पहले की तुलना करें, तो वामपंथी उग्रवाद की हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी आई है। 2009 में हिंसा की घटनाएं 2258 के उच्चतम स्तर से घटकर वर्ष 2021 में 509 रह गईं हैं। हिंसा में होने वाली मृत्‍यु दर में भी 85 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2010 में ये 1005 के उच्चतम स्तर पर थी, जिससे वर्ष 2021 में मृतकों की संख्‍या घटकर 147 रह गई और इनके प्रभाव क्षेत्र में ख़ासी कमी आई है। इसके साथ ही माओवादियों के प्रभाव क्षेत्र में भी काफी कमी आई है और वर्ष 2010 में 96 जिलों से सिकुड़ कर 2022 में माओवादियों का प्रभाव केवल 39 जिलों तक सीमित रह गया।

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